Edited By Niyati Bhandari,Updated: 27 Oct, 2023 07:37 AM
हमारे शास्त्रों में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व बताया गया है। इसे कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इसे कौमुदी
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Sharad Purnima 2023: हमारे शास्त्रों में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व बताया गया है। इसे कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इसे कौमुदी उत्सव, कुमार उत्सव, शरदोत्सव और कमला पूर्णिमा भी कहते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पूरे साल में से सिर्फ शरद पूर्णिमा के दिन ही चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। ऐसी धार्मिक मान्यता भी है कि इस दिन आसमान से अमृत वर्षा होती है। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की विशेषतौर पर पूजा होती है।
Sharad Purnima Laxmi pujan: देश भर में शरद पूर्णिमा का त्योहार काफी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। कई जगह लक्ष्मी जी के साथ-साथ भगवान विष्णु जी की भी पूजा की जाती है। शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है। अंतरिक्ष के समस्त ग्रहों से निकलने वाली सकारात्मक ऊर्जा चंद्र किरणों के माध्यम से पृथ्वी पर पड़ती हैं। शरद पूर्णिमा के दिन खुले आसमान के नीचे खीर बनाकर रखी जाती है और रात के एक पहर के बाद लक्ष्मी जी को इस खीर का भोग लगाया जाता है।
Kheer on Sharad Purnima: पूर्णिमा की चांदनी में खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे रखने के पीछे वैज्ञानिक तर्क यह है कि चंद्रमा के औषधीय गुणों से युक्त किरणें पड़ने से खीर भी अमृत के समान हो जाएगी। उसका सेवन करना स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होगा। जिन स्थानों पर देवी दुर्गा की प्रतिमा स्थापित होती है, वहां लक्ष्मी पूजन का विशेष आयोजन होता है।
What is done on Sharad Purnima: हमारे शास्त्रों के अनुसार शरद पूर्णिमा से कार्तिक पूर्णिमा तक नित्य आकाशदीप जलाने और दीपदान करने से दुख-दरिद्रता का नाश होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा की निशा में ही भगवान श्रीकृष्ण ने यमुना तट पर गोपियों के साथ महारास रचाया था इसलिए इसी दिन से कार्तिक मास के यम नियम, व्रत और दीपदान भी शुरू हो जाते हैं।