Kojagiri Purnima: आधी रात को करें ये काम, साल भर लक्ष्मी-कुबेर रहेंगे मेहरबान

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 30 Oct, 2020 05:33 AM

sharad purnima worship

आज शरद पूर्णिमा व कोजागर पूर्णिमा मनाई जाएगी। इसे रास पूर्णिमा भी कहते हैं। इसी दिन भगवान कृष्ण ने महारास रचाकर दिव्य प्रेम का नृत्य किया था। अश्विन पूर्णिमा की मध्य रात्रि में महालक्ष्मी व एरावत पर सवार इंद्र की पूजा की जाती है।

Sharad Purnima 2020: आज शरद पूर्णिमा व कोजागर पूर्णिमा मनाई जाएगी। इसे रास पूर्णिमा भी कहते हैं। इसी दिन भगवान कृष्ण ने महारास रचाकर दिव्य प्रेम का नृत्य किया था। अश्विन पूर्णिमा की मध्य रात्रि में महालक्ष्मी व एरावत पर सवार इंद्र की पूजा की जाती है। इस दिन महालक्ष्मी मध्य रात्रि में हाथ में वर लेकर पृथ्वी पर विचर कर भक्तों को धन प्रदान करती हैं।

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Kojagiri Purnima 2020: कोजागर का अर्थ है कौन जाग रहा है। अतः इस रात में जागरण कर लक्ष्मी, इंद्र, चंद्र व कुबेर का पूजन करते हैं। शास्त्रनुसार केवल शरद पूर्णिमा का चंद्रमा ही 16 कलाओं से परिपूर्ण होकर अपनी विशेष किरणों से अमृत वर्षा करता है। अतः इस रात चांदी के पात्र में गो दूध, घृत व अरवा चावल से बनी खीर चांदनी में 3 प्रहर रखने से वह औषधि बनकर 32 प्रकार के रोगों को ठीक करती है। प्रत्येक व्यक्ति के गुण के आधार पर कुछ कलाएं होती हैं। अगर किसी में 16 कलाएं हों तो वो संपूर्ण ब्रह्म बन जाता है। भगवान राम 12 कलाओं से युक्त थे परंतु भगवान कृष्ण 16 कलाओं से परिपूर्ण थे इसलिए कृष्ण को विष्णु का पूर्ण अवतार माना जाता है।

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Kumara Purnima: शरद पूर्णिमा पर महालक्ष्मी इंद्र चंद्र, कुबेर व राधाकृष्ण का पूजन चंद्रोदय के बाद मध्य रात्रि में करने से साल भर लक्ष्मी-कुबेर की कृपा बने रहने से स्थिर धन प्राप्त होता है, दरिद्रता का समाधान होता है, प्रेम में सफलता मिलती है, मनोबल में वृद्धि, स्मरण शक्ति में बढ़ोतरी, अस्थमा से छुटकारा और ग्रह बाधा का निवारण होता है।

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Puja vidhi: पूजन विधि: शाम में चंद्रोदय के बाद गाय के दूध, घृत व अरवा चावल से बनी खीर तैयार कर लें। रात के दूसरे प्रहार में खीर को चांदी के पात्र में डालकर उसे चन्द्रमा की चांदनी में रखें। मध्य रात्रि मुहूर्त में मिट्टी के कलश पर लाल चुनरी से ढकी स्वर्ण फ्रेम में महालक्ष्मी का चित्र स्थापित करें, साथ ही राधा कृष्ण, इंद्र का चित्र और कुबेर व चंद्र यंत्र स्थापित करके बड़े मिट्टी के दिए में गाय के घी का 16 मुखी दीपक जलाएं। षोडश उपचारों से उनकी पूजा करें। गौघृत में इत्र मिलाकर दीपक करें, चंदन की धूप जलाएं, अबीर चढ़ाएं, चांदनी के फूल चढ़ाएं, मावे की बर्फी का भोग लगाएं, सफ़ेद वस्त्र चढ़ाएं, मिश्री व मलाई चढ़ाएं और 108 बार इन विशिष्ट मंत्रों का जाप करें। इसके बाद खीर का भोग लगाकर प्रसाद रूप में ग्रहण करें।

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Lakshmi mantra: लक्ष्मी मंत्र: ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः॥

Kuber mantra: कुबेर मंत्र: ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन धान्याधिपतये धन धान्य समृद्धि में देहि दापय स्वाहा॥

Radhakrishna mantra: राधाकृष्ण मंत्र: श्रीं ह्रीं क्लीं राधासर्वेश्वर शरणं॥

Chander mantra: चंद्र मंत्र: ॐ चन्द्रमसे नमः॥

Inder mantra: इंद्र मंत्र: ॐ महेंद्राय नमः॥

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दारिद्रय से मुक्ति के लिए: इत्र लगा चांदी का सिक्का लक्ष्मी-कुबेर पर चढ़ाकर तिजोरी में स्थापित करें।

प्रेम में सफलता के लिए: राधा कृष्ण पर 16 रातरानी के फूल चढ़ाएं।

मनोबल में वृद्धि के लिए: चंद्र यंत्र पर 16 काजू चढ़ाकर लगातार 16 दिन तक रोज एक सेवन करें।

स्मरण शक्ति में वृद्धि के लिए: इंद्र देव पर चढ़े चंदन से लगातार 16 दिन तक रोज तिलक करें।

अस्थमा से छुटकारा पाने के लिए: चंद्र यंत्र पर चढ़ी शतावरी पानी में डालकर 16 दिन तक रोज़ स्नान करें।

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