शिव धाम: 12 ज्योर्तिलिंगों के दर्शन होते हैं एकसाथ

Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Jun, 2017 09:26 AM

shiva dham 12 jyotirlingas are seen together

पुराण कहते हैं कि परमात्मा के विभिन्न कल्याणकारी स्वरूपों में भगवान शिव ही महाकल्याणकारी हैं। जगत कल्याण तथा भक्तों के दुख हरने

पुराण कहते हैं कि परमात्मा के विभिन्न कल्याणकारी स्वरूपों में भगवान शिव ही महाकल्याणकारी हैं। जगत कल्याण तथा भक्तों के दुख हरने के लिए वह असंख्य बार विभिन्न नाम व रूपों में प्रकट होते रहे हैं जो मानव के लिए तो क्या देवताओं के लिए भी मुक्ति का मार्ग बनता है। संभवत: इसी के कारण भगवान शिव को त्रिदेवों में सर्वाधिक महत्व प्राप्त है।


तैंतीस कोटि प्रवतर देवताओं में शिव ही ऐसे हैं जिनकी लिंग के रूप में पूजा होती है। वह देवलोक से दूर एक फक्कड़ बाबा के रूप में माने जाते हैं। शिव ही है जो वरदान देने में बहुत उदार हैं। भूतभावन भगवान महादेव की उपासना हमेशा से ही फलदायी रही है। शिव जी शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवों के भी देव महादेव हैं। शिव उपासना के निमित्त शिवलिंग का विशेष महत्व है। जिन-जिन स्थानों में शिवलिंग की स्थापना हुई उनकी गणना प्रमुख तीर्थों के रूप में की जाती है। भक्तों ने जिस-जिस दिव्य स्थान में उनकी पूजा-अर्चना की उसी-उसी स्थान पर वह प्रकट हुए और ज्योर्तिलिंग के रूप में हमेशा के लिए शोभायमान हो गए। यूं तो शिवलिंगों की संख्या अनगिनत है किन्तु प्रधान रूप से बारह ज्योर्तिलिंग ही माने जाते हैं।


शिव पुराण के अनुसार 12 ज्योर्तिलिंग हैं जो भारत के विभिन्न प्रदेशों में स्थित हैं और शिव भक्त इनके दर्शनों के लिए जाते रहते हैं। भगवान शिव ने इन 12 ज्योर्तिलिंगों के दर्शन करने की अभिलाषा प्रत्येक शिव भक्त की होती है परंतु व्यस्तता भरी जिंदगी के कारण देश के अलग-अलग कोनों में स्थित इन 12 ज्योर्तिलिंगों के दर्शन हर किसी के लिए संभव नहीं हैं। 


शिवधाम ऐसा धाम है जहां एक साथ ही भगवान भोलेनाथ के इन 12 रूपों के दर्शन किए जा सकते हैं। पंजाब प्रांत के औद्योगिक नगर लुधियाना व फिल्लौर टोल प्लाजा जी.टी. रोड के मध्य गांव लाडोवाल से एक सड़क गांव बग्गे कलां को जाती है जहां पर आदिदेव महादेव का विशाल सुंदर व मनमोहक शिव मंदिर ‘शिवधाम’ असंख्य शिव भक्तों की श्रद्धा व आस्था का मुख्य केंद्र बन चुका है। 


यहां भक्तजन श्री सोमनाथ सोमेश्वर, श्री मल्लिकार्जुन, श्री ओंकारमम्लेश्वर, श्री वैद्यनाथ, श्री महाकालेश्वर, श्री भीमाशंकर, श्री रामेश्वर, श्री केदारनाथ, श्री विश्वेश्वर श्री त्रंयम्बकेश्वर, श्री नागेश्वर व श्री घृष्णेश्वर ज्योर्तिलिंगों के रूप के दर्शन करते हैं। इन रूपों के दर्शन के साथ-साथ श्रद्धालुगण 11 रुद्रावतार, पवित्र शिवलिंग, शिव परिवार, मां दुर्गा, श्री हनुमान जी, श्री राम परिवार तथा श्री राधा कृष्ण जी की सुंदर व मनमोहक मूर्तियों के दर्शन प्राप्त करते हैं।


शिवधाम के निर्माण का कार्य 2006 में शुरू किया गया तथा मूर्तियों की स्थापना 20 फरवरी 2014 को की गई। मंदिर में एक विशाल गुफा भी निर्मित की गई है। इसके अलावा मंदिर में तपस्थली, गुरुकुल, यज्ञशाला, भोजनालय, गौशाला तथा सुंदर पार्क भी बनाए गए हैं। मंदिर के गुरुकुल में बच्चों को आध्यात्मिक शिक्षा प्रदान की जाती है।


मंदिर प्रांगण में प्रतिदिन पवित्र शिवलिंग का रुद्राभिषेक तथा सुबह, शाम को हवन किया जाता है। हर सोमवार को भोलेनाथ का विशेष शृंगार व विशेष आरती होती है। इसके अलावा समय-समय पर मंदिर में धार्मिक समारोह आयोजित किए जाते हैं। मंदिर के अंदर भोलेनाथ का चांदी का रथ शोभायमान है। 

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