क्या यहां रखा था माता सीता को अपहरण के बाद ?

Edited By Updated: 18 Jan, 2019 01:51 PM

sita amman temple

आप ने आज तक ऐसे बहुत से मंदिरों के बारे में सुना होगा जहां श्रीराम और सीता साथ में विराजित हैं। इनमें से लगभग हर मंदिर मे मुख्य रूप में श्रीराम की ही पूजा का जाती है, लेकिन हम आपको आज जिस मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं वहां श्रीराम नहीं बल्कि...

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आप ने आज तक ऐसे बहुत से मंदिरों के बारे में सुना होगा जहां श्रीराम और सीता साथ में विराजित हैं। इनमें से लगभग हर मंदिर मे मुख्य रूप में श्रीराम की ही पूजा का जाती है, लेकिन हम आपको आज जिस मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं वहां श्रीराम नहीं बल्कि उनकी पत्नी सीता की मुख्य रूप में पूजा की जाती है। हम जानते हैं आप में से बहुत से लोग यकीन नहीं करेंगे, लेकिन ये सच है। यहां श्रीराम नहीं बल्कि देवी सीता की पूजा-अर्चना की जाती है। तो आइए जानते हैं इस अनोखे मंदिर के बारे में जहां देवी सीता ने बंधनी बन कर निवास किया था। बता दें कि सीता माता तो श्री रीम की शक्ति माना जाता था। कहा जाता है कि अगर श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं तो उनकी पत्नी सीता आदर्श भारतीय नारी में ये सीता माता के नाम से प्रतिष्ठित हैं।
PunjabKesariसीता माता का ये अम्मान मंदिर श्रीलंका के ‘न्यूवार इलिया’ नामक पर्वतीय स्थल पर बसे इसी नामक कस्बे से 5 कि. मी. दूर केन्डी रोड पर इस स्थापित है। मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण सन 1998 में हुआ था। कुछ मान्यताओं की माने तो ये वहीं स्थान है जहां रावण के उनको अपहरण के बाद सीता माता को बंधी बनाया गया था। परंतु आज तक इस इतिहास की पुष्टि कोई नहीं कर सकता।
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अम्मान मंदिर
शांत ग्रामीण क्षेत्र में एक झरने के पास स्थापित ये मंदिर गोलाकार छत बहुरंगी पौराणिक चित्रों से भरपूर है। कहा जाता है सीता मंदिर बनने के बाद से यह स्थल न केवल रामभक्तों बल्कि विश्व के सामान्य पर्यटकों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण हो चुका है।
PunjabKesariसीता झरना
इस मंदिर के पास एक झरना है जिसे सीता झरना कहा जाता है। मान्यता के मुताबिक कि इसी झरने में एक स्थल पर सीता जी स्नान करती थी। यहां के लोगों द्वारा बताया गया है कि झरने में एक स्थान ऐसा भी है जहां का जल स्वाद रहित है। जिसके बारे ये क्था प्रचलित है कि ऐसा सीता जी द्वारा दिए गए श्राप के कारण है। इसके अलावा झरने के किनारे एक चट्टान है जिसे ‘सीता साधना’  कहा जाता है। बताया जाता है नदी के किनारे लगभग एक शताब्दी पूर्व 3 मूर्तियां मिली थी जिन्हें श्रीराम, सीता जी और लक्ष्मण जी के लंका युद्ध मानकर इसी मंदिर में स्थापित कर दिया गया है। इससे ये संकेत मिलता है कि स्थानीय श्रद्धालुओं द्वारा इन मूर्तियों की प्राचीनकाल से पूजा-अर्चना की जा रही है।
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हनुमान जी के निशान
मंदिर के बाहर पहाड़ी पर बड़े-बड़े पत्थरों पर कुछ बड़े-बड़े निशान हैं, जिसके बारे में कहा जाता है कि ये निशान और किसी के नहीं बल्कि पवपनपुत्र और रामभक्त हनुमान के हैं।
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