Sleep disorders: रात को नींद आती नहीं...

Edited By Updated: 14 Mar, 2025 08:20 AM

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Sleep disorders: नींद, विश्रांति का सबसे अच्छा तरीका है, जो ध्यान (मैडीटेशन) के बिल्कुल करीब है, इसीलिए जो लोग अच्छी नींद लेते हैं, वे सदैव तन से भी सेहतमंद रहते हैं और मन से भी प्रफुल्लित रहते हैं।

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Sleep disorders: नींद, विश्रांति का सबसे अच्छा तरीका है, जो ध्यान (मैडीटेशन) के बिल्कुल करीब है, इसीलिए जो लोग अच्छी नींद लेते हैं, वे सदैव तन से भी सेहतमंद रहते हैं और मन से भी प्रफुल्लित रहते हैं। 

शेक्सपीयर के अनुसार ‘निद्रा प्रतिदिन के जीवन के लिए मृत्यु, कठिन परिश्रम के लिए स्नान, घायल मस्तिष्क के लिए शान्तिदायिनी औषधि और क्षतिपूर्ण शरीर के लिए अमृतकुण्ड है।’ 

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वस्तुत: मृत्यु तक हम एक लंबे विकास की स्थिति में होते हैं और जिस तरह हंसते, खेलते शिशु के रूप में हम पुन: जीवन धारण करते हैं, ठीक उसी तरह प्रतिदिन की नींद के बाद भी नव-चेतना के साथ नया जीवन प्राप्त कर हम पुन: अपने काम-काज में लग जाते हैं। 

मजे की बात यह है कि इस महान उपकार के बदले हमें मां प्रकृति को कुछ भी देना नहीं पड़ता किन्तु, मनुष्य तो आखिर मनुष्य ही ठहरा, जो मुफ्त में प्राप्त हुई इतनी अमूल्य सौगात, जिसकी तुलना में संसार का कोई भी पदार्थ समर्थ नहीं है, उसे भी अपने पास रख नहीं पाता। 

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जी हां! हम सभी जानते हैं कि आज के संसार में एक गहरी नींद का आनंद तो जैसे दुर्लभ अवसर बन गया है, क्योंकि आज लाखों लोग स्लीप एप्निया, अनिद्रा, रैस्टलैस लैग सिंड्रोम एवं नार्कोलेप्सी जैसे विविध नींद संबंधी विकारों से ग्रस्त हैं। भारत में हुए एक ताजा सर्वेक्षण से यह तथ्य सामने आया है कि महानगरों में रहने वाले 15 प्रतिशत से भी अधिक लोग नींद संबंधी शिकायतें लेकर अपने डाक्टरों के पास पहुंचते हैं। क्यों? क्योंकि अत्यधिक तनाव के कारण लोग स्वभाविक निद्रा को भूलते जा रहे हैं और दवाइयों के सहारे सोने का प्रयास करते हैं। 

मैडिकल साइंस के अनुसार अनिद्रा रोग का सबसे बड़ा कारण है बुरा मानसिक स्वास्थ्य, इसीलिए डॉक्टर्स नींद संबंधी अधिकतर रोगों को मनोशारीरिक मानते हैं क्योंकि इनकी उत्पत्ति निरन्तर मानसिक तनाव एवं अशांति के परिणामस्वरूप होती है। हमारी नींद को प्रभावित करने वाला अन्य एक महत्वपूर्ण कारक है हमारा ‘आहार’! 

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यह एक चिकित्सकीय सिद्ध तथ्य है कि खराब मानसिक स्वास्थ्य प्रतिकूल रूप से व्यक्ति की खाने की आदतों को प्रभावित करता है और आगे चलकर फिर वह उसकी नींद और स्वास्थ्य को। ऐसी बीमारियों में समुचित ध्यान तकनीक का यदि नियमित रूप से अभ्यास किया जाए तो वह काफी मददगार सिद्ध हो सकती है।

शरीर विज्ञानियों के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को नींद की आवश्यकता अलग-अलग होती है। कई व्यक्ति 3-4 घंटे की नींद में ही पूर्ण विश्राम ले लेते हैं, जबकि बहुत से लोग 8-10 घंटे सोने पर भी पर्याप्त विश्राम नहीं ले पाते। 

अत: निद्रा का समय व्यक्ति विशेष को अपनी जरूरत अनुसार दिनचर्या में समाविष्ट करना चाहिए। प्रात: जल्दी उठना और रात्रि को जल्दी सो जाना उत्तम स्वास्थ्य एवं स्वस्थ मस्तिष्क के लिए सर्वोत्तम है।  

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