Edited By Niyati Bhandari,Updated: 11 Aug, 2023 08:51 AM
काम उसका सामने सबके रू-ब-रू हो गया। मां को बना के खुदा खुद सुर्खरू हो गया॥
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काम उसका सामने सबके रू-ब-रू हो गया। मां को बना के खुदा खुद सुर्खरू हो गया॥
क्या आप खुदा को खोज रहे हैं ? पहले आप जरा सोचिए कि ईश्वर का क्या काम है ? वह सृष्टि की रचना करता है, उसकी रक्षा और पालन करता है, करुणा बरसाता है, अपनी ममता और प्यार लुटाता है। प्रगति के वरदान देता है, सुख के भंडार देता है और दुखियों के दुख हरता है। उसने बड़ी बुद्धिमत्ता और समझदारी से धरती पर मां को पैदा करके ये सारी जिम्मेदारियां उसको समर्पित कर दीं और उसे ममता की मूरत बनाकर सृष्टि की रचना का कार्य सौंप दिया। मां बच्चे को जन्म देती है। उसको पालती-पोसती है, अपने हृदय से लगा कर लोरियों के रूप में अपना सर्वस्व न्यौछावर करती है, उसके हर दुख को हरती है, दुआएं देती है, उसके उज्ज्वल भविष्य की कामना करती है।
पिता उसका सहायक बनकर गृहस्थ जीवन को मूल्यवान और सार्थक बनाते हैं। पिता बच्चे के विकास के लिए कदम-कदम पर कष्ट सहकर भी उसे हर प्रकार की विद्या के लिए दक्ष बनाता है। इसलिए माता-पिता से बढ़कर कोई भगवान नहीं, जो साकार रूप में आपके पास विद्यमान हैं। मां-बाप की पूजा कोई दीप जलाकर या घंटी-घड़ियाल बजाकर नहीं करनी होती, बल्कि उनकी सेवा, आज्ञा का पालन करना होता है। उनके आदर्शों और उपदेशों को मानना होता है। उनके प्रति अपनी सहानुभूति, आदर और सम्मान का पालन करना होता है। परमात्मा भी चाहता है कि उसके बनाए हुए मनुष्य उनकी आराधना में लीन रहें। वह भी तो उसी व्यक्ति को अपना आशीर्वाद देता है जो उसकी रजा में अपनी रजा जाने।
क्या माता-पिता हमसे यह आस नहीं लगाएं कि उनकी औलाद सुख-दुख में उनकी सहायक हो, उन्हें किसी प्रकार का कष्ट न पहुंचाए, उनके बुढ़ापे का सहारा बने, बीमार मां-बाप की सेवा करे, श्रवण कुमार की भांति मां-बाप पर जीवन न्यौछावर कर दे।
मां-बाप जिंदा भगवान हैं, जिनकी आराधना करके हम स्वर्ग जैसी सुविधाएं प्राप्त कर सकते हैं। दुनिया में मां-बाप से बढ़कर किसी अन्य भगवान को ढूंढने की जरूरत नहीं। यदि मां-बाप को दुख दिया तो नरक के अधिकारी बनोगे।
जन्म से मुझे धन की एक तिजोरी मिली, मैं खुशनसीब था, मुझे मां की लोरी मिली।