Somnath Jyotirlinga: 17 बार लूटने के बाद भी अपने पूर्ण दमखम के साथ खड़ा है

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 10 May, 2021 08:42 AM

somnath jyotirlinga

गुजरात के सौराष्ट्र में वैरावल नामक स्थान पर स्थित प्रसिद्ध तीर्थ स्थल सोमनाथ न केवल प्राकृतिक दृष्टि से एक परिपूर्ण धार्मिक स्थल है, वरन राष्ट्रीय महत्व का ऐतिहासिक स्थल भी है। एक

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Shree Somnath Jyotirlinga Temple: गुजरात के सौराष्ट्र में वैरावल नामक स्थान पर स्थित प्रसिद्ध तीर्थ स्थल सोमनाथ न केवल प्राकृतिक दृष्टि से एक परिपूर्ण धार्मिक स्थल है, वरन राष्ट्रीय महत्व का ऐतिहासिक स्थल भी है। एक ओर गुजरात का अनूठा हस्तशिल्प पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है तो दूसरी ओर लम्बे समुद्री किनारे भी पर्यटकों को यहां आने के लिए लुभाते रहते हैं।

PunjabKesari Somnath Jyotirlinga
Who destroyed Somnath temple 17 times: आज इन ऐतिहासिक धरोहरों को सुरक्षित रखना आवश्यक है। सोमनाथ का मंदिर कई विदेशी आक्रांताओं के हमलों का साक्षी रहा है। अरब सागर की तूफानी लहरें इस मंदिर से हरदम टकराती रहती हैं। विदेशी आक्रांताओं द्वारा लूटे जाने एवं खंडित किए जाने के बाद भी भारत की अनूठी कलात्मकता तथा संस्कृति का प्रतीक यह मंदिर अल्प समय में पुन: तैयार हो गया। सोमनाथ मंदिर संभवत: विश्व का सर्वश्रेष्ठ एवं समृद्ध मंदिर था। सन 1026 ई. में जब मोहम्मद गौरी ने इसे लूटा तब प्रतिदिन पूजा के अवसर पर कश्मीर से लाए हुए फूलों तथा गंगा के पानी से यहां अभिषेक किया जाता था। 10 हजार ब्राह्मण हमेशा शिवलिंग का पूजन करते तथा सोने की 200 डंडियों से बंधा घंटा मंदिर की आरती में बजाया जाता था।
PunjabKesari Somnath Jyotirlinga
यहां 56 रत्न तथा हीरों से जडि़त खम्भे थे जिन पर लगा सोना विभिन्न शिवधर्मी राजाओं द्वारा दिया गया था। इन खम्भों पर बेशकीमती हीरे, जवाहरात, रुबिया, मोती, पन्ने आदि जड़े थे। सोमनाथ का शिवलिंग 10 फुट ऊंचा तथा 6 फुट चौड़ा है। कहा जाता है कि सोलंकी राजा भीमदेव ने बुंदेलखंड के युद्ध में जीती हुई सोने की पालकी मंदिर को अर्पित की थी तथा उन्होंने ही विमल शाह को सोमनाथ मंदिर बनाने का आदेश दिया।

मंदिर के गर्भगृह के तीन रास्ते हैं तथा यह अद्भुत है। खम्भों का सहारा लिए बिना गुंडा मंडप तथा उसकी छत अद्वितीय है। ऐसी मान्यता है कि पशुपथ धर्म के आचार्य को राजा भीमदेव ने यहां का मुख्य पुजारी नियुक्त किया था तथा यह कार्य लगभग 300 वर्षों तक इसी सम्प्रदाय के पास रहा।
PunjabKesari Somnath Jyotirlinga
History Of Somnath Temple मंदिर के निर्माण सम्बन्धी किंवदंतियां
सन् 1225 ई. में भाव बृहस्पति ने सोमनाथ के मंदिर के बारे में विस्तारपूर्वक लिखा था। इसका टूटा हुआ पत्थर तीन भागों में प्रभास पाटन के भद्रकाली मंदिर के पास पाया गया था।

इस सम्बन्ध में वर्णित कहानी के अनुसार यह मंदिर सबसे पहले सोम ने बनवाया तथा दूसरे भाग में रावण ने चांदी का मंदिर बनवाया, फिर श्री कृष्ण ने लकड़ी का तथा भीमदेव ने इसे पत्थर का बनवाया। कथा के अनुसार कुमार पाल के समय में इस मंदिर का व्यापक स्तर पर जीर्णोद्धार हुआ जिसे आचार्य भाव बृहस्पति की देखरेख में करवाया गया।

उसके पश्चात मोहम्मद गजनी ने सबसे पहले इस मंदिर को लूटा, फिर अलाउद्दीन खिलजी के कमांडर अफजल खान ने तथा उसके बाद औरंगजेब ने भी इसे लूटा। इस प्रकार यह मंदिर करीब 17 बार लूटा या नष्ट किया गया तथा फिर भी आज यह विशाल मंदिर अपने पूर्ण दमखम तथा शौर्य के साथ खड़ा है।

खुदाई के दौरान पाए गए अवशेषों से पता लगा है कि यह मंदिर मैत्रक के समय से राजा सोलंकी के समय तक करीब 13 फुट ऊंचाई पर था तथा इसमें शिव, नटराज, भैरव, योगी आदि की प्रतिमाएं थीं। राजा भीमदेव एवं उनकी कई कलाकृतियां आज भी सोमनाथ के संग्रहालय में विद्यमान हैं।
PunjabKesari Somnath Jyotirlinga

Story of Somnath सोमनाथ प्रथम ज्योतिर्लिंग
ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से सबसे प्रथम स्थान ‘सोमनाथ’ का है। प्रभास पाटन एक धार्मिक स्थल है जहां मान्यता के अनुसार सरस्वती, हिरण्य तथा कपिला का संगम होता है। यह भी मान्यता है कि भगवान शिव का काल भैरव लिंग प्रभास पाटन में ही है।

चंद्रमा भी इस शिवलिंग की पूजा करता था तथा उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान ने उसे वरदान दिया कि इस शिवलिंग का नाम चंद्रमा पर रखा जाएगा। इसी कारण इसका नाम सोमनाथ रखा गया। यहां की खुदाई से प्राप्त अवशेषों तथा भारतीय एवं विदेशी इतिहासकारों के लेखन से यहां आर्यों के निवास की सूचना भी मिली है। माना जाता है कि ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व का यह मंदिर लगभग चौथी ईस्वी में बना था।
PunjabKesari Somnath Jyotirlinga
Somnath darshan: नए मंदिर का निर्माण
भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल इस मंदिर के नव-निर्माण के प्रति समर्पित एवं कार्यशील थे। इस नए भव्य मंदिर का डिजाइन प्रसिद्ध आर्किटेक्ट प्रभाशंकर ने किया। विगत 800 वर्षों के इतिहास में कैलाश महाभेरू प्रसाद की शैली में बनने वाला यह प्रथम मंदिर था। इस नव-निर्मित एवं विशाल तथा भव्य मंदिर को 1 दिसम्बर 1995 को तत्कालीन राष्ट्रपति डा. शंकर दयाल शर्मा ने राष्ट्र को समर्पित किया। पर्यटकों के लिए सोमनाथ में पर्याप्त संख्या में गैस्ट हाऊस, रैस्ट हाऊस, होटल आदि हैं।
सोमनाथ की यात्रा में खूबसूरत समुद्री किनारे तथा गिर वन देखने का आनंद भी अद्भुत है।
PunjabKesari Somnath Jyotirlinga
Famous places of Somnath Jyotirlinga प्रमुख पर्यटन स्थल
सोमनाथ के आस-पास बहुत से पर्यटन स्थल हैं। इनमें म्यूजियम (जहां पुराने व न मंदिर के फोटो एवं अवशेष रखे हैं), हिंगलाज माता का मंदिर भी शामिल हैं। कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण यहीं पर एक शिकारी का तीर लगने से घायल हुए थे। इसके अतिरिक्त सूर्य नारायण मंदिर, अहिल्याबाई द्वारा स्थापित सोमनाथ मंदिर, नरसिंह जी मंदिर, त्रिवेणी संगम, दीव किला, जालंधर तट, पांडव गुफा, प्रभास, जलप्रभास तथा ब्रह्मकुंड नामक आदि भी दर्शनीय स्थल हैं।

PunjabKesari Somnath Jyotirlinga
How to reach Somnath Jyotirlinga कैसे पहुंचें
सोमनाथ के लिए अहमदाबाद से बस या निजी वाहनों से अथवा केशोड तक विमान या रेल से पहुंच कर मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस अत्यंत भव्य मंदिर का दर्शन किया जा सकता है।

PunjabKesari Somnath Jyotirlinga

 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!