श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के गुरुता गद्दी दिवस पर विशेष

Edited By Updated: 29 Oct, 2019 11:31 AM

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जागत ज्योति गुरु श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी 1708 ई. को श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने हजूर साहिब में गुरु ग्रंथ साहिब को गुरुता गद्दी देकर सिखों का गुरु बनाया था।

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जागत ज्योति गुरु श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी 1708 ई. को श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने हजूर साहिब में गुरु ग्रंथ साहिब को गुरुता गद्दी देकर सिखों का गुरु बनाया था। जिस समय श्री गुरु नानक देव जी का इस धरती पर अवतार हुआ तब दुनिया की हालत बहुत तरसमई थी। राजे कसाई की तरह व्यवहार करते थे और धर्म-कर्म दुनिया से कहीं दूर था। इस समय के हालात को खुद श्री गुरु नानक देव जी राग माझ, मल्हार और सारंग की वारों में
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पेश करते हुए बताते हैं :
कलि काती राजे कासाई धरमु पंखु कर उडरिया।।

कूड़ु अमावस सचु चंद्रमा दीसै नाही कह चढ़िया।।

हउ भालि विकुनी होई आधेरे राहु न कोई।।

विचि हउमै करि दुखु रोई।।

कहु नानक किनि बिधि गति होई।। (वार माझ, अंग 145)

राजे सींह मुकद्दम कुते।।

जाय जगायन बैठे सुते।।
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चाकर नहदा पायन घाउ।।

रतु पितु कुतिहो चट जाहु।।

जिथे जीआं होसी सार।।

नकीं वढीं लाएतबार।। (मल्हार की वार, अंग 1288)

कलि होई कुत्ते मुही खाजु होआ मुरदारु।।

कूड़ु बोलि बोलि भउकणा चूका धरमु बीचारु।। (सारंग की वार, अंग 1242)

श्री गुरु ग्रंथ साहिब में दर्ज है इन गुरुओं की बाणी
श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में श्री गुरु नानक देव जी (974 शबद और श्लोक), श्री गुरु अंगद देव जी (62 श्लोक), श्री गुरु अमरदास जी (907 शबद और श्लोक), श्री गुरु राम दास जी (679 शबद और श्लोक), श्री गुरु अर्जुन देव जी (2218 शबद और श्लोक), श्री गुरु तेग बहादुर जी (115 शबद और श्लोक) की बाणी शामिल है। इसके अलावा भक्त जैदेव (2 शबद), शेख फरीद (130 श्लोक, 4 शबद), भक्त त्रिलोचन जी (4 शबद), भक्त नामदेव जी (60 शबद), भक्त रामानन्द जी (1 शबद), भक्त सधना जी (1 शबद), भक्त बेनी जी (1 शबद), भक्त रविदास जी (41 शबद), भक्त कबीर जी (292 शबद, 249 श्लोक), भक्त धन्ना जी (4 शबद), भक्त पीपा जी (1 शबद), भक्त सेन जी (1 शबद), भक्त परमानंद (1 शबद), भक्त सूरदास (1 शबद), भक्त भीखन जी (2 शबद), भाई मरदाना जी (3 श्लोक), बाबा सुंदर जी (6 पउडिय़ां), डूम सत्ता और राय बलवंड (8 पद, भाव एक वार) की वाणी को भी गुरु साहिबान की बाणी के बराबर सम्मान और सत्कार देकर श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में शामिल किया गया। इसके अलावा 11 भाटों कलसहार, जालप, कीरत, सल्ल, भल्ल, नल्ल, मथुरा, गयन्द, भीखा, बल्ल और हरबंस जी के 123 सवैये भी श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में दर्ज किए गए हैं।
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गुरु ग्रंथ साहिब में जिन भक्तों की वाणी दर्ज है वे देश के विभिन्न हिस्सों से संबंधित हैं 
कभक्त जैदेव जी बंगाल के बीरभूम जिले के गांव कन्दूली।
कशेख फरीद जी जिला मुलतान।
कभक्त त्रिलोचन जी व भक्त परमानंद जी शोलापुर जिला के गांव बारसी।
कभक्त नामदेव जी जिला सितारा के गांव नरसी बामनी (महाराष्ट्र)।
कभक्त रामानन्द जी उत्तर प्रदेश।
कभक्त सधना जी ङ्क्षसध।
कभक्त रविदास जी व भक्त कबीर जी बनारस।
कभक्त धन्ना जी गांव धुआन (राजस्थान)।
कभक्त पीपा जी गुजरात (रियासत गगरौनगढ़ के राजा)।
कभक्त सेन जी रियासत रीवां।
कभगत सूरदास जी गांव सीही (दिल्ली)।
कभक्त भीखन जी गांव काकोरी (लखनऊ)।
कभाई मरदाना जी ननकाना साहिब (श्री गुरु नानक देव जी के खानदान के मिरासी)।
कबाबा सुंदर जी (श्री गुरु अमरदास जी के पड़पौत्र)।
कसत्ता डूम और राय बलवंड (गुरु घर के कीर्तनीय) आदि देश के अलग-अलग हिस्सों के साथ संबंधित भक्त और संत हुए हैं।

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