...तो क्या रावण के पिता को मिले इस श्राप के कारण लगी थी लंका में आग

Edited By Jyoti,Updated: 06 Aug, 2019 12:13 PM

the fire in lanka was caused by this curse received by ravans father

अगर हिंदू धर्म से संबंध रखने वाले व्यक्ति से किसी व्यक्ति से पूछा जाए कि हिंदू धर्म का महाकाव्य है तो एक ही नाम सामने आता है वो है रामायण। समस्त ग्रंथों व पुराणों में रामायण महत्वपूर्ण होने के साथ-साथ अधिक पूजनीय भी है।

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अगर हिंदू धर्म से संबंध रखने वाले व्यक्ति से किसी व्यक्ति से पूछा जाए कि हिंदू धर्म का महाकाव्य है तो एक ही नाम सामने आता है वो है रामायण। समस्त ग्रंथों व पुराणों में रामायण महत्वपूर्ण होने के साथ-साथ अधिक पूजनीय भी है। आप में बहुत से ऐसे लोग होंगे जो बचपन से लेकर आज तक टीवी, सिनेमा, रेडिओ आदि में रामायण के इतिहास के बारे में जानते आए होंगे। जिसमें एक किस्सा आज भी बच्चे से लेकर बड़े तक को याद है। वो है पवनपुत्र हनुमान जी द्वारा रावण की सोने की लंका में आग लगाना। धार्मिक ग्रंथों में इससे जुड़ी कई पौराणिक कथाएं आदि वर्णित हैं। लेकिन आज हम आपक इससे जुड़ी एक ऐसी बात बताने वाले हैं जो शायद आप में से कोई ही जानता होगा।
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दरअसल एक प्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार रावन की लंका के जलने का मुख्य कारण एक श्राप था। लेकिन अब सवाल यह है कि आख़िर ये श्राप है क्या और किसने, किसको और क्यों ये श्राप दिया। तो चलिए आपको बताते हैं इससे जुड़ी पौराणिक कथा-

पौराणिक कथाओं के मुताबिक एक बार मां पार्वती ने विष्णु और लक्ष्मी जी को कैलाश पर भोजन पर आने के लिए निमंत्रण दिया। तब मां लक्ष्मी ने देवी पार्वती से पूछा कि आपने अपने जीवन का अधिकतर भाग राजकुमारी की तरह व्यतीत किया है तो आप इतनी ठंडी हवाओं के बीच कैसे रह लेती हैं। मां लक्ष्मी के इस सवाल से माता पार्वती काफी आहत हुई। कुछ दिनों बाद मां लक्ष्मी ने देवी पार्वती को अपने बैकुठं धाम आने का न्यौता दिया। जिसके बाद मां पार्वती शिवजी के साथ बैकुंठ धाम पहुंची। बैकुंठ का वैभव और ऐश्वर्य देखकर देवी पार्वती ने भोलेनाथ से एक अत्यंत वैभवशाली महल का निर्माण करने को कहा। इस पर शिव जी ने मां पार्वती को बहुत समझाने को कोशिश की लेकिन जब मां पार्वती नहीं मानीं तो शिव जी ने विश्वकर्मा जी को महल निर्माण का कार्य सौंपा। जिसके बाद ही उन्होंने सोने का एक महल तैयार किया।
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जब महल तैयार हो गया तो मां पार्वती ने सभी देवी-देवताओं को वहां आमंत्रित किया। महल की वस्तुप्रतिष्ठा की पूजा के लिए रावण के पिता ऋषि विश्रवा को बुलाया गया, जो अत्यंत विद्वान थे। परंतु महल की चकाचौंध देखकर ऋषि विश्रवा का मन डोल गया और उन्होंने भोलेनाथ से महल को ही दान में मांग लिया। शिव ने उन्हें निराश न करते हुए महल को उन्हों दान दे दिया।

इसके बाद मां पार्वती को बहुत दुख हुआ और क्रोधित होकर उन्होंने ऋषि विश्रवा को दान में लिए गए महल को जलने का ऋाप दे दिया। कहा जाता है उनके श्राप के कारण ही हनुमान जी ने सोने की लंका को जलाकर भस्म कर दिया था।
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