अथर्ववेद से आधुनिक जीवन तक, क्यों गाय को कहा गया सभी वरदानों का स्रोत ?

Edited By Updated: 18 Dec, 2025 12:44 PM

importance of gau mata

Gau Mata: हमारे पूर्वज सृष्टि के रहस्यों से गहन परिचित थे। उन्हें गाय के महत्व और उसकी सेवा के परिणामों का भली-भांति अहसास था। ये गौ सेवा के महत्व का ही परिणाम है कि गाय सम्पूर्ण इतिहास में गौ माता सभी संस्कृतियों और आस्थाओं में पूजनीय रही है।

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Gau Mata: हमारे पूर्वज सृष्टि के रहस्यों से गहन परिचित थे। उन्हें गाय के महत्व और उसकी सेवा के परिणामों का भली-भांति अहसास था। ये गौ सेवा के महत्व का ही परिणाम है कि गाय सम्पूर्ण इतिहास में गौ माता सभी संस्कृतियों और आस्थाओं में पूजनीय रही है।

इस बात की पुष्टि अथर्ववेद से उद्धृत श्लोक से भी होती है।
धेनुः सदनं रयीणाम् (अथर्ववेद 11.1.34)
"गाय सभी वरदानों का स्रोत है।

उपरोक्त श्लोक हमारे पूर्वजों के वैदिक ज्ञान और सृष्टि की गहरी समझ को दर्शाता है। जरा गाय पर नजर डालें, वह ही है जो हमें प्रचुर मात्रा में दूध और डेयरी उत्पाद प्रदान करती है। उसका गोबर ही हमें ईंधन और खाद देता है। उनका मूत्र ही हमें औषधि और खाद प्रदान करता है। जैसे-जैसे वह हमारी धरती पर चलती है, ज़मीन जुती जाती है और दीमकों से मुक्त हो जाती है। गाय ऑक्सीजन ग्रहण भी करती है और ऑक्सीजन छोड़ती भी है। गाय की मालिश करने से दीर्घायु के साथ मजबूत और सुंदर शरीर प्राप्त होता है। इसके बछड़े की सेवा करने से आपके जीवन में स्वस्थ संबंधों का लाभ मिलता है।

यदि हम कामधेनु बैल के कान में कुछ कामना कर के कहते हैं, तो वह बात सीधे भगवान शिव के पास पहुंचती है और हमारी कामना पूरी हो जाती है।
उदाहरण प्रस्तुत है ध्यान आश्रम से संबंध रखने वाले एक छात्र अपने माता-पिता की अनिच्छा के बावजूद विदेश में पढ़ाई करना चाहते थे। उन्हें सलाह दी गई की अपनी इच्छा पूर्ति के लिए तीन महीने तक गायों की सेवा करो। तीन महीने के भीतर ही उनके अभिवावक ने उन्हें सहमति दे दी। अब विदेश में एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में पढ़ रहे हैं।

यज्ञ के दौरान देवी-देवताओं से संपर्क साधने के लिए भी गाय के घी और उपले का उपयोग होता है। माना जाता है की जब गाय ने कबीर जी के माथे पर अपनी जीभ से चाटा, उसके उपरांत ही उन्हें असाधारण काव्य क्षमता का आशीर्वाद मिला। गाय समृद्धि और प्रचुरता का प्रतीक है, समस्त सृष्टि के लिए पोषण का स्रोत है, वह माता है।

आज इस गोवंश देवी के साथ दुर्व्यवहार, शोषण हो रहा है और बेरहमी से इनकी हत्या की जा रही है। केवल कल्पना ही की जा सकती है कि जो गाय हमारा पालन-पोषण करती है, उस पर अत्याचार करके हम किस विपत्ति को आमंत्रण दे रहे हैं।

अश्विनी गुरुजी 

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