Edited By Jyoti,Updated: 03 Mar, 2019 12:34 PM
कल 4 मार्च को देश के हर कोने में भोलेनाथ का पावन त्यौहार महाशिवरात्रि मनाया जाने वाला है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस दिन को महारात्रि इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह हुआ था।
ये नहीं देखा तो क्या देखा (VIDEO)
कल 4 मार्च को देश के हर कोने में भोलेनाथ का पावन त्यौहार महाशिवरात्रि मनाया जाने वाला है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस दिन को महारात्रि इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह हुआ था। ज्योतिष शास्त्र और धार्मिक ग्रंथों में इस दिन की पूजा के कई विधान पढ़ने को मिलते हैं। कहा जाता है कि जो भी इन्हें अपनाता है उस पर भोलेनाथ सदैव अपनी कृपा बनाए रखते हैं। तो चलिए जानते हैं इस दिन आपको कौन सी विधान से कौन सा पाठ करना चाहिए।
इतना तो सब जानते हीं होंगे कि भारत में अलग-अलग स्थानों पर भगवान शंकर के 12 ज्योतिर्लिंग स्थापित है। माना जाता है कि इनके दर्शन करना बहुत लाभदायक माना जाता है। लेकिन क्या आपको पता है महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग के सामने इन 12 ज्योतिर्लिंगों का पाठ करना भी आपको ढेरों लाभ दिला सकता है। जी हां, कहा जाता है कि जो भी शिव जी की इस प्रार्थना को उनके सामने पढ़ लेता है तो जीवन उसके भंडारे भर देते हैं।
बता दें कि महाशिवरात्र के अलावा भी प्रतिदिन प्रातः काल जो भी इस ज्योतिर्लिंगों प्रार्थना का पाठ शिवलिंगों का ध्यान करते हुए करता है, उसके सात जन्मों तक के पाप नष्ट हो जाते हैं।
इस तरह से करें प्रार्थना-
महाशिवरात्रि के पावन दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर गंगाजल मिले जल से स्नान करने के बाद शिवालय में एक बाल्टी शुद्धजल, एक लोटा या गोमुखी पात्र, सफ़ेद अक्षत, बेलपत्र, चंदन, कुमकुम, धुपबत्ती, कपूर और नैवेद्य साथ लेकर जाए। अब सबसे पहले शिवलिंग को प्रणाम करके एक लोटे जल से उसका स्नान कराएं। इसके बाद ॐ नमः शिवाय मंत्र के साथ चंदन इस पर लगाकर आवाहन करें। फिर शुद्ध जल से 108 बार नमः शिवाय बोलते हुए जलाभिषेक करें। विधि-वत पूजन के बाद निम्न दी गई स्तुति प्रार्थना का पाठ करें।
सौराष्ट्रे सोमनाथंच श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालमोंकारं परमेश्वरम्।।
केदारं हिमवत्पृष्ठे डाकियां भीमशंकरम्।
वाराणस्यांच विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।।
वैद्यनाथं चिताभूमौ नागेशं दारूकावने।
सेतूबन्धे च रामेशं घुश्मेशंच शिवालये।।
द्वादशैतानि नामानि प्रातरूत्थाय यः पठेत् ।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति ।।
यं यं काममपेक्ष्यैव पठिष्यन्ति नरोत्तमाः।
तस्य तस्य फलप्राप्तिर्भविष्यति न संशयः।।
क्या शिव और शंकर अलग-अलग हैं ? (VIDEO)