Kundli Tv- श्राद्ध में करें ये ख़ास काम कभी नहीं छूएगी बीमारी

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 27 Sep, 2018 10:31 AM

third shradh pitru paksha

गुरुवार दिनांक  27.09.18  को अश्विन शुक्ल तृतीया पर तीज का श्राद्ध मनाया जाएगा। शास्त्र याज्ञ-वल्क्य-स्मृति के अनुसार मनुष्य के तीन पूर्वज हैं पिता, पितामह व प्रपितामह, अतः पितृ साक्षात वसु, रुद्र व आदित्य रूप में श्राद्ध देवता हैं।

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गुरुवार दिनांक  27.09.18  को अश्विन शुक्ल तृतीया पर तीज का श्राद्ध मनाया जाएगा। शास्त्र याज्ञ-वल्क्य-स्मृति के अनुसार मनुष्य के तीन पूर्वज हैं पिता, पितामह व प्रपितामह, अतः पितृ साक्षात वसु, रुद्र व आदित्य रूप में श्राद्ध देवता हैं। मान्यतानुसार वसु, रुद्र व आदित्य श्राद्धकर्ता में प्रवेश करके व रीति-रिवाज के अनुसार करवाए गए श्राद्ध से तृप्त होकर वंशधर को सुख-समृद्धि का वरदान देते हैं। तृतीया तिथि का श्राद्ध उन पूर्वजों के निमित किया जाता है जिनकी मृत्यु शुक्ल या कृष्ण पक्ष की तीज पर हुई हो। तृतीया तिथि की स्वामिनी देवी गौरी हैं। तृतीया के श्राद्धकर्म में तीन ब्राह्मणों को भोजन करवाने का मत है। जिसमें सुहागन ब्राह्मणी सहित उसका पति व उनके पुत्र होने का मत है। इस श्राद्ध में पुत्री व दामाद को पीले फल व कपड़े भेंट देते हैं। इस श्राद्ध में भगवान विष्णु के परशुराम अवतार का पूजन कर भागवत गीता के तीसरे अध्याय का पाठ किया जाता है। तृतीया के श्राद्धकर्म, पिंडदान व तर्पण से आरोग्य की प्राप्ति होती है। धन वृद्धि होती है व जीवन में समृद्धि आती है।
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तृतीया श्राद्ध विधि: घर की दक्षिण दिशा में दक्षिणमुखी होकर सफ़ेद कपड़ा बिछाकर पितृ यंत्र व पितृओं के चित्र स्थापित करें। जनेऊ (यज्ञोपवित) दाहिने कंधे से लेकर बाई तरफ करें। पीतल के दीपक में गौघृत का दीप करें। सुगंधित धूप जलाएं, चंदन अर्पित करें, पीले फूल चढ़ाएं, मिश्री व इलायची चढ़ाएं तथा भोजन में बेसन का हलवा, पूड़ी व कुष्मांड सब्जी का भोग लगाएं। इसके बाद विष्णु के परशुराम अवतार का स्मरण करते हुए तुलसी पत्र चढ़ाएं व भागवत गीता के तीसरे अध्याय का पाठ करें। पितृ के निमित्त इस मंत्र का जाप करें। इसके बाद श्राद्ध में चढ़े भोग में से पहले गाय फिर काले कुत्ते व कौए के लिए ग्रास अलग से निकालकर उन्हें खिलाएं। इसके बाद ब्राह्मण को भोजन करवाकर यथायोग्य दक्षिणा दें। 
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स्पेशल मंत्र: ॐ ब्रह्मक्षत्राय विद्महे क्षत्रियान्ताय धीमहि तन्नो परशुराम: प्रचोदयात्॥ 

तृतीया श्राद्ध मुहूर्त-
सर्वोत्तम कुतुप मुहूर्त: दिन 11:48 से दिन 12:35 तक। 

श्रेष्ठ रौहिण मुहूर्त: दिन 12:35 से दिन 13:23 तक।

साध्य अपराह्न मुहूर्त: दिन 13:23 से शाम 15:45 तक।

स्पेशल टोटके:
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धन वृद्धि के लिए: पितृओं पर चढ़ा पीतल का कलश किसी धर्म स्थल में दान करें।

आरोग्य प्राप्ति के लिए: पपीता सिर से वारकर पितृओं पर चढ़ाकर किसी गरीब को दान करें।

जीवन में समृद्धि के लिए: पितृओं पर चढ़े केसर से घर की उत्तर-पूर्व दीवार पर टीका करें।

उपाय चमत्कार:
गुड हेल्थ के लिए: भगवान परशुराम के चित्र पर चढ़ी केसर से मस्तक पर तिलक करें।

गुडलक के लिए: भगवान परशुराम के चित्र पर सूर्यमुखी का फूल चढ़ाकर जेब में रखें।

विवाद टालने के लिए: भगवान परशुराम के चित्र पर चढ़े पपीते के 2 टुकड़े करके 2 गरीबों में बांटे।

नुकसान से बचने के लिए: पीले धागे में सफ़ेद फूल पिरोकर भगवान परशुराम के चित्र पर चढ़ाएं।

प्रोफेशनल सक्सेस के लिए: भगवान परशुराम के चित्र पर चढ़ा बूंदी का लड्डू भिखारी को दान करें।

एजुकेशन में सक्सेस के लिए: भगवान परशुराम के चित्र पर चढ़ा पीला स्केच पेन इस्तेमाल करें।

बिज़नेस में सफलता के लिए: भगवान परशुराम के चित्र पर चढ़ा पीपल का पत्ता वर्कप्लेस के गेट पर बांधे।
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पारिवारिक खुशहाली के लिए: पूजा घर में बैठकर ॥ॐ रां रां परशुहस्ताय नम:॥ मंत्र का जाप करें।

लव लाइफ में सक्सेस के लिए: कागज़ पर हल्दी से लवर का नाम लिखकर भगवान परशुराम के चित्र पर चढ़ाएं। 

मैरिड लाइफ में सक्सेस के लिए: दंपत्ति विष्णु मंदिर जाकर हल्दी मिश्रित घी का दीपक करें।

आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

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