Edited By Prachi Sharma,Updated: 30 Aug, 2025 07:00 AM

Barsana: बरसाना से लगभग दो किलोमीटर दूर, ऊंचागांव नामक स्थान पर स्थित सखिगिरी पर्वत, भगवान कृष्ण और उनकी सखी ललिता के अद्भुत कालीन प्रसंगों का साक्षी बना हुआ है। यह स्थान राधारानी की प्रमुख सखी ललिता का निवास माना जाता है। यहां पर आज भी उस समय की कई...
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Barsana: बरसाना से लगभग दो किलोमीटर दूर, ऊंचागांव नामक स्थान पर स्थित सखिगिरी पर्वत, भगवान कृष्ण और उनकी सखी ललिता के अद्भुत कालीन प्रसंगों का साक्षी बना हुआ है। यह स्थान राधारानी की प्रमुख सखी ललिता का निवास माना जाता है। यहां पर आज भी उस समय की कई पौराणिक और दिव्य छापें देखी जा सकती हैं, जो कृष्णकालीन कथाओं से जुड़ी हैं।
ऐसा माना जाता है कि इसी सखिगिरी पर्वत पर भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी सखी ललिता के साथ विवाह के सात फेरे लिए थे। हर वर्ष भाद्रपद महीने की सुदी द्वादशी को यह पावन और दिव्य लीला पुनः जीवंत हो उठती है। इस अवसर पर विधिपूर्वक पूजा-अर्चना और कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसमें श्रीकृष्ण, ललिता और अन्य अष्टसखियों के साथ विवाह संस्कार होता है। इस धार्मिक आयोजन का उल्लेख कई ब्रजस्थली भक्ति ग्रंथों जैसे रासलीलानुकरण और ब्रज भक्ति विलास में मिलता है।

सखिगिरी पर्वत की खास बातें
फिसलनी शिला: सखिगिरी पर्वत पर एक चिकनी पत्थर की शिला है, जिसे फिसलनी शिला कहा जाता है। कहा जाता है कि भगवान कृष्ण यहां अपनी सखियों के साथ खेलते-खेलते इस पत्थर पर फिसलते थे। यह शिला इतनी चिकनी है कि यह किसी मार्बल पत्थर जैसी लगती है।
चित्र विचित्र शिला: इस शिला की खासियत यह है कि सूरज की रोशनी पड़ने पर यह कई अलग-अलग आकृतियाँ प्रकट करती है। खासकर पूर्णिमा की रात को चांदनी की रोशनी में इस शिला पर महारास का दृश्य नज़र आता है। इसे इसलिए चित्र विचित्र शिला भी कहा जाता है।
छप्पन कटोरा शिला: इस पर्वत पर एक और चिन्ह मौजूद है, जिसे छप्पन कटोरा कहा जाता है। मान्यता है कि श्रीकृष्ण को उनकी सखियों द्वारा छप्पन प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन खिलाए जाते थे, और यह चिन्ह उसी प्रसंग की याद दिलाता है।
पर्वत की महत्ता और श्रद्धा
सखिगिरी पर्वत की ये शिलाएं और दिव्य चिन्ह आज भी उस पौराणिक युग की कहानियों को जीवित बनाए हुए हैं। भक्तगण इस पर्वत को भगवान कृष्ण और उनकी सखियों की लीला स्थली के रूप में पूजते हैं। यहाँ की भव्य और मनोहारी परंपराएं आज भी ब्रज की संस्कृति और भक्ति रस को गहराई से दर्शाती हैं।
