Savan Special: क्या है कांवड़ यात्रा का महत्व, जानें यहां ?

Edited By Lata,Updated: 08 Jul, 2019 10:41 AM

what is the significance of the journey of kannada know here

हिंदू पंचांग के अनुसार 17 जुलाई से सावन का पवित्र माह शुरु होने वाला है। कहते हैं कि जो व्यक्ति इस माह में शिव जी को प्रसन्न कर देता है,

ये नहीं देखा तो क्या देखा (VIDEO)
हिंदू पंचांग के अनुसार 17 जुलाई से सावन का पवित्र माह शुरु होने वाला है। कहते हैं कि जो व्यक्ति इस माह में शिव जी को प्रसन्न कर देता है, भगवान उसकी सारी मनोकामना जल्द ही पूरी कर देते हैं। अब इस बात से तो सब वाकिफ ही होंगे कि इसी माह में बहुत से श्रद्धालु कांवड़ यात्रा के लिए अपने घरों से निकलते हैं और इसी बीच भोलेनाथ के नाम के जयकारे हर जगह सुनने को मिलते हैं। लेकिन क्या आप में से कोई ये जानता है कि कांवड़ यात्रा क्या है और क्या है इसका महत्व ? अगर नहीं तो चलिए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।  
PunjabKesari, kundli tv, Savan Special, Kanwar Yatra

जानें, क्यों निकाली जाती है कांवड़ यात्रा ? (VIDEO)

क्या है कांवड़ यात्रा 
शास्त्रों के अनुसार किसी पावन जगह से कंधे पर गंगाजल लाकर भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग पर जल चढ़ाने की परंपरा कांवड़ यात्रा कहलाती है। सावन मास में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कांवड़ यात्रा को सहज मार्ग माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि अगर कोई सच्चे मन से भगवान से कुछ मांग ले तो वह जरूर पूरा होता है। कहा जाता है कि जो भी सावन महीने में कांधे पर कांवड़ रखकर बोल-बम का नारा लगाते हुए पैदल यात्रा करता है, उसे अश्वमेघ यज्ञ करने जितना फल प्राप्त होता है। मान्यता है कि उसे मृत्यु के बाद उसे शिवलोक की प्राप्ति होती है।
PunjabKesari, kundli tv, Savan Special, Kanwar Yatra
कांवड़ यात्रा का महत्व
मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान समुद्र से जो विष निकला था, उसे भगवान शिव ने दुनिया को बचाने के लिए पी लिया था। जिसके बाद से भगवान शिव को नीलकंठ भी कहा जाने लगा। क्योंकि विष पीने के बाद भगवान का गला नीला हो गया था। भगवान शिव के विष का सेवन करते ही दुनिया तो बच गई, लेकिन भगवान शिव का शरीर जलने लगा। ऐसे में भोलेनाथ के शरीर को जलता देखकर देवताओं ने उन पर जल अर्पित करना शुरू कर दिया और इसी मान्यता के अंतर्गत कावड़ यात्रा का महत्व माना गया है।

राशि अनुसार सावन में करें ये काम, फिर देखें भोले का चमत्कार (VIDEO)

कांवड़ यात्रा के नियम और प्रकार
कांवड यात्रा के कई नियम हैं। कांवड़ यात्रा के दौरान नशा, मांस, मदिरा और तामसिक भोजन वर्जित रहता है। इसके अलाना बिना स्नान किए कांवड़ को हाथ नहीं लगा सकते हैं।
PunjabKesari, kundli tv, Savan Special, Kanwar Yatra
सामान्य कांवड़ : सामान्य कांवड़ ले जाने वाले कांवड़िए आराम से जाते हैं। वे जगह-जगह पर जरूरत या थकावट महसूस होने पर यात्रा के दौरान विश्राम करते जाते हैं। 

डाक कांवड़ : इसमें शिव के जलाभिषेक तक लगातार चलते रहना होता है। डाक कांवड़ ले जाने वाले कांवड़िए आराम नहीं करते हैं। 

दांडी कांवड़ : ये भक्त नदी तट से शिवधाम तक की यात्रा दंड देते हुए पूरी करते हैं। ऐसे कांवड़िए को शिवधाम तक जाने में महीने भर का वक्त लग जाता है।

Related Story

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!