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Edited By Updated: 29 Oct, 2018 05:31 PM

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ज्यादातर लोग अपनी राशि के बारे में जानते नहीं होते। कोई अपने बोलते नाम को सही राशि मानता है, कोई जन्म कुंडली के नाम से तो कोई अंकों के अनुसार। बच्चे से बड़े होने तक यह तय नहीं हो पाता कि कौन सी है असली राशि ?

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ज्यादातर लोग अपनी राशि के बारे में जानते नहीं होते। कोई अपने बोलते नाम को सही राशि मानता है, कोई जन्म कुंडली के नाम से तो कोई अंकों के अनुसार। बच्चे से बड़े होने तक यह तय नहीं हो पाता कि कौन सी है असली राशि ? ज्योतिष के पांच प्रमुख अंग हैं। इन्हीं के जरिए यह जाना जा सकता है कि पैदा होने वाले जीव का स्वभाव कैसा होगा, आने वाले समय में उस पर किस प्रकार से कौन-कौन से ग्रह का असर होगा। ग्रहों-नक्षत्रों की गति पल-पल बदलती रहती है और इसी के अनुसार हर प्राणी प्रभावित होता है।
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सौर या सूर्य आधारित राशि 
सूर्य जिस राशि में होता है उसी के अनुसार राशि का निर्धारण होता है। इस पद्धति के अनुसार पूरे एक माह तक पैदा होने वाले जातकों की एक ही राशि होती है। 21 मार्च-20 अप्रैल तक जन्मे लोगों की राशि मेष, 21 अप्रैल-20 मई तक वृष, 21 मई-21 जून तक मिथुन, 22 जून-22 जुलाई तक कर्क, 23 जुलाई-23 अगस्त  तक सिंह, 24 अगस्त से 23 सितम्बर तक कन्या, 24 सितम्बर से 22 अक्तूबर तक तुला, 23 अक्तूबर-22 नवम्बर तक वृश्चिक, 23 नवम्बर-21 दिसम्बर तक धनु, 22 दिसम्बर -21 जनवरी तक मकर, 22 जनवरी से 21 फरवरी तक कुंभ और 22 फरवरी से 20 मार्च तक जन्मे लोग मीन राशि के होते हैं।
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चंद्र आधारित राशि 
वैदिक ज्योतिष में राशि का निर्धारण नक्षत्रों को आधार मान कर चंद्रमा की उपस्थिति के अनुसार किया जाता है। पूरा भूमंडल गोल होने के कारण 360 अंश मान को 12 बराबर भागों में बांट कर 30 अंश की एक राशि मानी गई है। हमारे 27 नक्षत्रों के चार भाग कर कुल 108 चरण बनाए गए हैं। प्रत्येक राशि में सवा दो नक्षत्र (9 चरण) शामिल कर बारह राशियां बनाई गई हैं। इस प्रकार वैदिक रीति से चंद्र आधारित राशियों में समय की सूक्ष्म इकाई का प्रयोग कर भविष्य कथन किया जाता है, जो ज्यादा सटीक होता है।

अंक शास्त्र के जरिए भविष्यवाणी 
अंक शास्त्र में राशि न होकर मूल 9 अंकों को प्रत्येक ग्रह का स्वामित्व और अंक की विशिष्ट राशि प्रदान करने की अवधारणा है। स्वामित्व के आधार पर भविष्य कथन किया जाता है। इस शास्त्र के अनुसार शून्य को ब्रह्मांड का प्रतीक मानते हुए पूर्ण अंक की संज्ञा नहीं दी गई है। साथ ही तीन प्रकार के नामांक, मूलांक और भाग्यांक के आधार पर भविष्य बताया जाता है।
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1 अंक के स्वामी सूर्य व राशि सिंह, 2 के स्वामी चंद्रमा व राशि कर्क, 3 के स्वामी गुरु व राशि धनु, 4 के स्वामी राहु व राशि कुंभ, 5 के स्वामी बुध और राशि मिथुन तथा कन्या, 6 के स्वामी शुक्र व राशि वृष, तुला,  7 अंक के स्वामी केतु व राशि मीन, 8 के स्वामी शनि व राशि मकर और 9 के स्वामी मंगल और राशि मेष व वृश्चिक है।

टैरो कार्ड और राशि 
इस पद्धति में राशि न होकर वैदिक ज्योतिष के प्रश्र लग्न के समान विधा ईजाद की गई है। किसी भी राशि या घटना या प्रश्न का उत्तर देने के लिए तीन कार्ड खोलकर निर्णय किया जाता है। पहले कार्ड से आपकी मानसिक स्थिति का आकलन, दूसरे कार्ड से आपके मन के विचार या समस्या का विश्लेषण और तीसरे के परिणाम के बारे में अनुमान किया जाता है। इसमें कार्ड रीडर की योग्यता और आध्यात्मिक शक्ति का प्रयोग ज्यादा होता है।
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चाइना पद्धति में राशि 
इस पद्धति में भी राशियां तो बारह ही हैं पर उनके निर्धारण का आधार जन्म के वर्ष से होता है। यानी इसमें एक वर्ष में पैदा होने वाली सभी जातकों की राशि एक ही होती है।

चंद्र आधारित राशि में देखें भविष्यफल या मुहूर्त
सभी तरह के राशिफल देखने के बाद यह तो साफ है कि चंद्र आधारित राशिफल अधिक सही व सटीक हैं, क्योंकि इसमें समय की छोटी से छोटी इकाई का इस्तेमाल कर राशि का निर्धारण किया जाता है। भविष्यफल का सही आकलन कुंडली से ही हो पाता है क्योंकि उसमें हम तीन कुंडलियां जैसे लग्न आधारित, चंद्र आधारित और सूर्य के आधार पर तैयार की गई कुंडलियों के अनुसार करते हैं। इसके अलावा वर्ग कुंडलियां तैयार करने में आगे और भी गहराई से विश्लेषण किया जाता है।
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कहा जा सकता है कि चंद्र आधारित राशिफल में प्रभावी और सटीक होने की संभावना ज्यादा होती है। आप जो राशि प्रतिदिन पढ़ते हैं वह सामान्य प्रवृत्ति मात्र होती है फिर भी दैनिक राशिफल आपको अपने बोलते हुए नाम के अनुसार देखनी चाहिए क्योंकि शास्त्रों में लिखा है कि विदेश यात्रा, व्यापार, व्यवसाय प्रारंभ करने, गृह प्रवेश और विवाह के समय हमेशा जन्म राशि के आधार पर निर्णय करना चाहिए। बाकी अन्य सभी कार्यों में बोलते नाम की राशि के अनुसार निर्णय करना चाहिए। ऐसा उन लोगों पर लागू होता है जिनका वास्तविक नाम उनकी जन्म राशि के आधार पर नहीं है। शनि की साढ़ेसाती भी जन्म राशि से ही देखनी चाहिए।
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