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Interview: मैं तो ओटीटी के शुरुआती दौर से हूं और हर प्लेटफॉर्म पर भरपूर मात्रा में हूं- पंकज त्रिपाठी

Updated: 01 Jun, 2025 03:17 PM

pankaj tripathi and shweta basu prasad exclusive interview with punjab kesari

पंकज त्रिपाठी और श्वेता बासु प्रसाद ने पंजाब केसरी, नवोदय टाइम्स, जगबाणी, और हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश:

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। जियो हॉटस्टार का मशहूर शो 'क्रिमिनल जस्टिस' अब अपने चौथे सीजन के साथ लौट आया है जिसमें एक बार फिर आमने सामने खड़े नज़र आ रहें हैं पंकज त्रिपाठी और श्वेता बासु प्रसाद। नए सीजन में नई क्राइम स्टोरी के साथ फिर से दर्शकों को भरपूर सस्पेंस, थ्रिल और कोर्ट रूम ड्रामा देखने को मिल रहा। इस सीजन में कई नए चेहरे जैसे सुरवीन चावला और आशा नेगी भी जुड़े है। सीरीज 29 मई को रिलीज हो चुकी है जिसे डायरेक्ट रोहन सिप्पी  ने किया है। इसी के चलते सीरीज के लीड एक्टर्स पंकज त्रिपाठी और श्वेता बासु प्रसाद ने पंजाब केसरी, नवोदय टाइम्स, जगबाणी, और हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश:


पंकज त्रिपाठी 
सवाल: आपका ये चौथा सीजन है तो कैसा लग रहा है ? कैसा होने वाला है सीजन 4 ?
बहुत शानदार है , इंपैक्टफुल है तभी तो हम इसका हिस्सा बने हैं।  बहुत ही अच्छे स्क्रिप्ट है जिसमें बहुत सारे ट्विस्ट हैं।  इस बार का सीजन ऐसा है कि क्राइम इन्वेस्टिगेशन तो है हो साथ में थोड़ा थ्रिलर का फील भी है।  इसमें ऑडियंस का पॉइंट ऑफ़ व्यू भी जैसे जैसे कहानी आगे बढ़ेगी तो बदलेगा।  

सवाल: इस बार इसमें टीम वकील है तो उसमें क्या एंगल दिखाया गया है?
वही तो कि चलते हुए मैच में तीसरी पार्टी कहां से आ गई। हम दो लोग मैच खेल रहे थे तो अब एक तीसरी वकील भी आ। और यही तो ट्विस्ट है कहानी का।  आम तौर पर एक केस में दो वकील होते हैं एक बचाव का और एक अभियोग लगाने वाला लेकिन इसमें तीन हैं और वही मज़ेदार है। 

सवाल: एप्लॉज़ एंटरटेनमेंट ने इसे प्रोडूस किया है आपका कैसा रहा इनके साथ एक्सपीरियंस?
बहुत शानदार एक्सपीरियंस है।  एप्लॉज़ का पहला शो था ये शुरूआती दौर में और हॉटस्टार का भी ये पहला शो था जब ओटीटी भारत में शुरू हो रहे थे और मेरा ये ओटीटी का तीसरा शो था क्यूंकि मैं तो ओटीटी के शुरूआती दौर से हूँ और हर प्लेटफॉर्म पर भरपूर मात्रा  में हूँ।  

सवाल: आपका किरदार 'माधव मिश्रा' इस बार कौन सी चुनौतियों का सामना करने जा रहा है?
सबसे बड़ी चुनौती तो सामने वाली वकील ही है जो विदेश से पढ़के आई है और माधव मिश्रा पटना का जुगाड़ू वकील।  चुनौती तो यही है कि इनके सामने टिके रहना है और सर्वाइव करना है।  पर ये एक अच्छा संबंध है जो कोर्ट रूम में चलता रहता है इन दोनों के बीच में और वो वही एंगेजिंग और एंटरटेनिंग है क्यूंकि दोनों दो अलग-अलग दुनिया से आए लोग हैं।  

सवाल: क्रिमिनल जस्टिस सीजन 4 बाकी कोर्ट रूम ड्रामा से कैसे अलग है ?
क्यूंकि ये बहुत मशहूर है।  किरदारों और कहानियों से लोग बहुत रिलेट करते हैं इसलिए हम चौथे सीजन में पहुँच गए हैं। आम तौर पर बाकी ड्रामा में सिर्फ सीरियस मुद्दे और बहस होते हैं यहाँ भी सीरियस है लेकिन माधव मिश्रा के किरदार में एक दूसरी लेयर सटायर और ह्यूमर की है।  तो इसी लिए ये थोड़ा ज़्यादा इंटरेस्टिंग लगता है।  जैसे जौली एलएलबी में था।  वहां भी कोर्ट रूम में एक ह्यूमर था और यहां कोर्ट रूम में तो थोड़ा कम है लेकिन कोर्ट रूम के बाहर मेरी परसनल लाइफ और यहाँ-वहां ह्यूमर का तड़का जरूर है। और वही चीज़ ऑडियंस को एंगेज करती है क्यूंकि मुस्कुराहट अगर चेहरे पर आ जाएगी तो आप ध्यान से सुनेंगे और देखेंगे। 

सवाल: इस बार सीजन में सुरवीन चावला और जीशान भी जुड़े हैं तो उनके साथ काम करने का एक्सपीरियंस कैसा रहा ?
सुरवीन का बहुत ही सेंसिटिव और वेनरेबल किरदार है , जीशान तो मेरा जूनियर है और कमाल का अभिनेता है।  वो दोनों इस कहानी के स्तंभ हैं केस तो उन्ही का है हम दोनों तो वकील है और लड़ रहे हैं।  

सवाल: पहले जब क्राइम की बात आती थी तो आदमियों की छवि बन जाती थी लेकिन आपको क्या लगता है कि आज के टाइम में ये चीज़ बदली है ? महिलाएं भी क्राइम करती हैं। 
क्राइम को जेंडर के हिसाब से नहीं देख सकते।  हां ये सच है कि स्त्रियों में करुणा भगवान् ने ज़्यादा  भरी है दया की मात्रा ईश्वर ने थोड़ी ज़्यादा दी है।  पर अनैतिक तो कोई भी हो सकता है उसमें जेंडर का डिवीजन नहीं हो सकता।  लेकिन आम तौर पर अगर फीसद निकालेंगे तो महिला अपराधी कम हैं।  लेकिन क्रिमिनल कोई भी हो सकता है।  

सवाल: क्राइम रेट कम करने के लिए क्या कुछ नया होना चाहिए हमारे देश में ?
सबसे पहले तो हमारी अपनी एक जिम्मेवारी होनी चाहिए कि हम आज़ाद है लेकिन स्वाधीन हैं अपने अधीन है कुछ नियम बनाए हैं।  फ्रीडम का मतलब ये नहीं कि हम अपनी मर्ज़ी से कुछ भी करें।  एक इंसान स्वाधीन रहे तो अदालतों का काम थोड़ा कम रहेगा।  अगर आर्ट और कल्चर का बजट बढ़े तो भी अदालतों का लोड थोड़ा कम होगा।  जैसे ही हमारी सोसाइटी और समाज में आर्ट और कल्चर समझाया जाए बच्चों को पोएट्री सिखाई जाए संगीत , गाना, अभिनय सिखाया जाए तो अच्छा ही होगा  क्यूंकि कलाओं का काम ही है समाज को बेहत बनाना है और जब समाज बेहतर बनेगा तो न्यायिक बोझ कम होगा।  

श्वेता बासु प्रसाद 
सवाल: क्या क्रिमिनल जस्टिस अपने चौथे सीजन के साथ जस्टिस कर रहा है?
क्रिमिनल जस्टिस 1 से जो क्वालिटी स्टैंडर्ड जो शो ने सेट किया है तो हर सीजन में ऑडियंस कुछ नया और अच्छे की उम्मीद रहती है तो मुझे लगता है कि हर नए सीजन के साथ उन्हें रिजल्ट भी मिल रहा है।  इस बार भी कहानी बहुत दमदार है और बहुत अच्छे किरदार हैं।  बहुत ही कमाल के कलाकार भी हैं सभी।  और इस सीजन में तो बहुत सारे ट्विस्ट और टर्न भी है जो दर्शकों को  आएंगे।  

सवाल: एक एक्टर के तौर पर आप कौन सी चुनौतियां का सामना करती  रहती हैं?
मेरी चुनौतियां भी वही है जो हर एक्टर की होती हैं सबसे पहले एक अच्छे स्टोरी मिलना।  दूसरा स्टोरी ऐसी मिले जो एक एक्टर के तौर पर हमें चैलेन्ज भी करे जो हम अपने क्राफ्ट को और अच्छा कर सके और ऐसे रूल्स मिले जो मैं रिपीट ना करूँ कुछ नया हो।  बाकी ये  कॉम्पिटेटिव दुनिया हैं जहाँ सबसे पहला मुकाबला आपका अपने आप और अपने पिछले काम से ही होता है।  बस यही कोशिश रहती है कि जो पिछला काम  किया है इस बार उससे बेहतर ही करू। 

सवाल: आपने कभी असल ज़िंदगी में क्राइम होते हुए देखा और उसपर आपका क्या रिएक्शन रहा?
मैंने 2 साल पहले बॉम्बे में देखा था एक बच्चा फलों के ठेले पर खड़ा था अपनी मां के साथ , वो लोग फल बेच रहे थे।  ट्रैफिक की वजह से झगड़ा हो गया था और जिससे फल तोलते हैं उससे उस बच्चे को मार दिया था। और मार कर बाइक पर चला गया था।  लेकिन वहां हम सब जितने भी लोग थे सबने बच्चे की मदद की।  हॉस्पिटल  तक लेकर गए ताकि बच्चे की जान  बच सके।  बच्चे की मां बहुत परेशान हो गई थी , ठेले पर भी कोई नहीं था वो सामान भी देख रही थी और बच्चे को भी।  लेकिन एक चीज़ वहां बहुत अच्छी थी कि सब लोग इकठे हुए और उस बच्चे को अपना मान कर उसकी मदद की। 

सवाल: आपको क्या लगता है एक वकील की ज़िंदगी की चुनौतियां क्या होती है?
मैं अपने किरदार के लेंस के जरिये ही बात कर सकती हूँ।  तो मुझे लगता है कि चुनौती यही होती होगी कि सामने वाले से एक कदम आगे कैसे रहें।  या सामने वाले की तरह आप कैसे सोच पाए।  क्रिमिनल जस्टिस में जैसे हमारा डायनामिक बिलकुल अलग है , लेखा माधव की तरह शायद कभी नहीं सोच पाएंगी।

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