पुडुचेरी के उपराज्यपाल कार्यालय में लोगों को आने दिया : किरण बेदी

Edited By Updated: 06 May, 2022 04:59 PM

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पणजी, छह मई (भाषा) भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) की पूर्व अधिकारी किरण बेदी ने कहा कि जब वह पुडुचेरी की उपराज्यपाल थीं तो आम लोगों को अपने कार्यालय में आने की अनुमति देने के उनके कदम से कुछ लोगों के निहित स्वार्थों की पूर्ति नहीं हुई, क्योंकि...

पणजी, छह मई (भाषा) भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) की पूर्व अधिकारी किरण बेदी ने कहा कि जब वह पुडुचेरी की उपराज्यपाल थीं तो आम लोगों को अपने कार्यालय में आने की अनुमति देने के उनके कदम से कुछ लोगों के निहित स्वार्थों की पूर्ति नहीं हुई, क्योंकि इससे उनके आर्थिक हित प्रभावित हुए।

बेदी ने बृहस्पतिवार को ‘गोवा फेस्ट 2022’ में एक संवाद के दौरान लोगों को संबोधित किया। तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन एडवरटाइजिंग एजेंसीज एसोसिएशन ऑफ इंडिया और एडवरटाइजिंग क्लब ने किया।

उन्होंने कहा कि पुडुचेरी के उपराज्यपाल के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने आम आदमी के लिए सरकारी प्रणालियों के दरवाजे लोगों के लिए खोले। बेदी ने कहा, ‘‘जब मैं उपराज्यपाल का कार्यालय रोजाना दो या तीन घंटे के लिए खोल रही थी, तो यह कुछ लोगों के निहित स्वार्थों के अनुकूल नहीं था क्योंकि इससे उनके आर्थिक हित नहीं सध रहे थे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं वास्तव में उनकी तिजोरियों को भरने से रोक रही थी। जो पैसा कहीं और भेजा जा रहा था, मैं उसे वापस आम आदमी की ओर मोड़ रही थी। मैं यह देखने की कोशिश कर रही थी कि पैसा बुनियादी ढांचे पर सही ढंग से खर्च किया गया है या नहीं।’’
बेदी 28 मई 2016 से 16 फरवरी 2021 तक पुडुचेरी की उपराज्यपाल थीं।

विज्ञापन कंपनियों का जिक्र करते हुए बेदी ने कहा, ‘आप उत्पाद बेचने के व्यवसाय में हैं, मैं सेवाएं प्रदान करने के व्यवसाय में थी।’’ पुडुचेरी के उपराज्यपाल के रूप में अपने कार्यकाल के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘एक सरकारी कर्मचारी के रूप में मेरा क्षेत्र सेवा था। मैंने उन सभी माध्यमों को खोला था जिनसे मैं आम लोगों से जुड़ सकती थी। इसलिए मैं सड़कों पर चलती, मैं सड़कों पर बाइक चलाती, मेरे ई-मेल, व्हाट्सऐप आम लोगों के लिए खुले थे। आम लोगों के लिए उपराज्यपाल का कार्यालय खुला था, मेरे पास मौजूद फोन लाइनें खुली थीं, मैंने सभी के लिए वेबकास्टिंग की थी।’’
खुद को ‘‘कट्टर देशभक्त’’ बताते हुए, उन्होंने कहा, ‘‘एक युवा के रूप में मेरे पास विदेशों में छात्रवृत्ति पाने का विकल्प था, लेकिन मैंने इसे अस्वीकार कर दिया और आईपीएस के लिए खड़ी हुई और डटी रही।’’


यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
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