प्रोस्टेट के शुरुआती संकेत और संभावित उपचार के बारे में जानें

Edited By Updated: 09 Jul, 2021 01:18 PM

learn about the early signs and possible treatments for prostate

आप भी जानें प्रोस्टेट के शुरुआती संकेत और क्या है इसके संभावित उपचार...

नई दिल्ली। बढ़ा हुआ प्रोस्टेट आमतौर पर प्रौढ़ा अवस्था में पौरूष बेनिग्न प्रोस्टैटिक हाइपरप्लेसिया (BPH) के कारण होता है, जो पौरूष ग्रंथि का एक गैर कैंसर ग्रोथ है। प्रोस्टेट एक थैलीनुमा ग्रंथि है, जो मूत्राशय के इर्दगिर्द नीचे मौजूद रहता है। यह मनुष्य के स्खलन में शुक्रीय तरल बनाता है। सामान्यतया इस ग्रंथि के बढ़ने की शुरुआत जब मनुष्य 40 वर्ष  का हो जाता है, तब मुलायम मांसपेशी और लाइनिंग सेल्स प्रोलिफरेट के रूप में होती है। जैसे ही प्रोस्टेट बढ़ता है, यह मूत्राशय को तंग अथवा सिकोड़ देता है, और इसके कारण मनुष्य में सामान्य मूत्र निकलने की प्रकिया में अवरोध उत्पन्न हो सकता है।

50 वर्ष से अधिक आयु के करीब आधे लोगो में ऐसा लक्षण बढे़ पौरूष ग्रंथि के कारण दिखाई देता है। इन लक्षणों में मूत्र बाहर निकलने की दुबिधा, उसका प्रवाह कमजोर होना, मूत्र रूक-रूक कर आने के कारण मूत्राशय का पूरी तरह से खाली नहीं होना, बार-बार पेशाब होना और कुछ मामलो में तत्काल प ेशाब करने की जरूरत होना शामिल है। बिना उपचार के बीपीएच के कारण कुछ लोगों में गंभीर जटिलताएं हो सकती है, इनमें रेनल स्टोन्स, ब्लैडर एवं किडनी
दुष्क्रिया और बार-बार पेशाब होने के कारण इंफेक्शन शामिल है।

बढे़ हुए प्रोस्टेट के लिए यहां कई परंपरागत उपचार विकल्प मौजूद है, जिसमें मेडिकशन एवं सर्जरी का समावेश है। यद्यपि दवाई लेने से कुछ मरीजों में विशेषकर शुरूआती अवधि के दौरान बीपीएच लक्षणों से राहत हो सकती है, यहां दुष्प्रभाव भी संभव है, जैसे कि थकावट, चक्कर, स्खलन की समस्या और तनाव में बाधा। सर्ज री आमतौर पर तब की जाती है, जब गंभीर मूत्र संबंधी लक्षणों में मेडिकेशन असरदार नहीं होता है। इसके लिए कई सर्जरी विकल्प मौजूद है, जिसमें प्रोस्टेट का ट्रांसयूरेथ्रल रिशैक्शन (TURP),जिसे बीपीएच के उपचार के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। इसमें लिंग के जरिए एक स्कोप अंदर डाला जाता है और मूत्राशय पर दबाव कम करने के लिए अतिरिक्त प्रोस्टेट टिश्यू को काट कर निकाल दिया जाता है। यद्यपि सेक्सुअल जटिलताओं जैसे कि पश्चगामी स्खलन, तनाव में कमी इत्यादि कारणों के अलावा TURP कस्टप्रद बीपीएच के लिए सबसे प्रभावशाली उपचार है, लेकिन इस सर्ज री में रक्तस्राव का जोखिम होता है, यह सीमा ऐसे लोगों के लिए उपयोगी है जो रक्त पतला करने की दवा लेते है। इतना ही नहीं TURP में पूरी/स्पाइनल ऐनेस्थेसिया की भी जरूरत पड़ती है, जिसके लिए कई प्रौढ़ मरीज मेडिकल के नजरिए से अनुकूल नहीं बैठते है, कारण कि उनमें हार्ट और फेफड़ा के रोग होते है। इस सर्जरी के लिए दो से तीन दिनों तक अस्पताल में रूकने की जरूरत पड़ती और सर्जरी
के बाद तीन से छह सप्ताह लग जाते हैं सुधान आने में।

बीपीएच में बढ़े पौरूष ग्रंथि के उपचार के लिए प्रोस्टेट अर्टरी इम्बोलाइजेशन (च्।म्) सर्वाधिक उन्नत सुरक्षित वैकल्पिक विकल्प पेश करता है। इसमें सबसे कम इनवैसिव प्रक्रिया है तथा इसमें कोई काट नहीं होती है, न हीं टांका लगाया जाता है। एक कैथ लैब में एक विशेषज्ञ वैस्कुलर इंटरवेंशनल रेडियोलाॅजिस्ट द्वारा यह किया जाता है। पीएई मूलतया प्रोस्टेट के रक्त प्रवाह को रोकने की एक तकनीक है, जो प्रोस्टेट अर्टरीज में माइक्रोस्फेरर्स/पीवीए पार्टिकल्स लगाकर किया जाता है। इस प्रकिया में जंघा अथवा कलाई कै ऊपर एक धमनी में कैथेटर नामक एक छोटे से प्लास्टिक ट्यूब को अंदर डाला जाता है। इंटरवेशनल रेडियालाॅजिस्ट प्रोस्टेट धमनियों के लिए कैथेटर के मार्गदर्शन हेतु इमेज गाइडेंस का उपयोग करते है। उसके बाद प्रोस्टेट धमनियों में कैथेटर के माध्यम से माइक्रोस्फेरर्स/पीवीए पार्टिकल्स डाला जाता है। यह ग्रंथि के रक्त प्रवाह को रोक देता है। प्रोस्टेट को रक्त प्रवाह कम करने के साथ प्रोस्टेट ग्रंथि सिकुड़न से छुटकारा मिल जाता है।

पीएई एक दिन में होने वाली प्रक्रिया है। सामान्यतया मरीज 24 घंटे के भीतर अस्पताल से जा सकता है। पीएई का लाभ यह है कि इसमें मरीज में सुधार बड़ी तेजी से आता है और वह सामान्य कार्य की ओर आसानी से लौट आता है। उपचार के पहले सप्ताह के भीतर ही सुधार के लक्षण शुरू हो जाते हैं। यह उन लोगों के लिए विशेषकर एक अच्छा विकल्प है, जो दुष्प्रभाव के कारण इनवैसिव प्रोस्टेट सर्ज री नहीं कराना चाहते है। पीएई कम दुष्प्रभाव के लिए जाना जाता है। पीएई का एक मुख्य मजबूत पक्ष है कि यह अच्छा सेक्सुअल व्यवहार एवं जनन क्षमता को बनाए रखता है, इसके अलावा पूरी प्रक्रिया स्थानीय एनेस्थेसिया के तहत की जा सकती है, जिससे उन मरीजों को मदद मिल सकती है, जो सामान्य एनेस्थेसिया को नहीं सह सकते हैं। 

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