पाकिस्तान में बाप-बेटों को मौलवी से बहस पड़ी भारी, 4 लोगों पर ईशनिंदा का मामला दर्ज

Edited By Tanuja,Updated: 27 Nov, 2021 01:52 PM

4 pakistani youths succumbed to blasphemy law

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में एक मुस्लिम व्यक्ति और उसके तीन बेटों के खिलाफ मौलवी से बहस करने को लेकर सख्त ईशनिंदा कानूनों के तहत ...

पेशावरः पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में एक मुस्लिम व्यक्ति और उसके तीन बेटों के खिलाफ मौलवी से बहस करने को लेकर सख्त ईशनिंदा कानूनों के तहत मामला दर्ज किया गया है। भारतीय सीमा के पास स्थित एक गांव में आरोपी शख्स चाहता था कि मस्जिद का मौलवी एक ईसाई पड़ोसी को दफनाए जाने के कार्यक्रम के बारे में मस्जिद से ऐलान करे लेकिन मौलवी ने ऐसा करने से इंकार कर दिया। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को कहा कि यह घटना 18 नवंबर को भारत की सीमा से लगे बुर्की इलाके के पास खोड़ी खुशहाल सिंह गांव में हुई थी और मस्जिद समिति के एक सदस्य की शिकायत पर पाकिस्तान दंड संहिता (PPC) के तहत चार लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

 

मौलवी ने आरोप लगाया कि एक मृत ईसाई व्यक्ति के लिए एक मस्जिद से घोषणा करने की मांग “इस्लामी कानूनों का अपमान” था, इसके अलावा चार लोगों ने कथित तौर पर इस्लाम के खिलाफ भी बात की थी। प्राथमिकी के अनुसार, जिसकी एक प्रति ‘पीटीआई-भाषा' के पास उपलब्ध है, एक महिला ने गांव में जामिया मस्जिद हशमतुल्ला में जाकर मौलवी से मस्जिद से एक ईसाई पड़ोसी की मौत के बारे में घोषणा करने का अनुरोध किया। इस पर मौलवी ने महिला से कहा कि ‘इस्लाम मस्जिद से केवल मुसलमानों के अंतिम संस्कार की घोषणा करने की इजाजत देता है'।

 

प्राथमिकी के मुताबिक, महिला वापस घर गई और अपने पति को घटना के बारे में बताया। इसमें कहा गया, “उसके पति उमर बख्श और उसके तीन बेटे - मजहर, मुराद और साहिल - मस्जिद में आए और मस्जिद से ईसाइयों या गैर-मुसलमानों के अंतिम संस्कार की घोषणा के मामले में इस्लामी कानूनों पर सवाल उठाया। उन्होंने मस्जिद के बारे में अपमानजनक भाषा का भी इस्तेमाल किया तथा मौलवी व इस्लाम के खिलाफ बात की।” मौलवी मुहम्मद मानशा की शिकायत पर पुलिस ने उमर और उसके तीन बेटों के खिलाफ ईशनिंदा का मामला दर्ज किया है।

 

मामले में मानशा से जुड़े तीन लोगों को गवाह बनाया गया है। पुलिस अधिकारी इमरान हनीफ ने ‘पीटीआई-भाषा' को बताया कि मामला दर्ज होने के बाद फरार संदिग्धों की गिरफ्तारी के लिए एक पुलिस दल का गठन किया गया है। घटना के बाद से इलाके के मुसलमानों और ईसाइयों में तनाव पैदा हो गया है और कथित तौर पर कुछ ईसाई परिवारों ने अपनी जान के जोखिम को देखते हुए गांव छोड़ दिया है। ईशनिंदा कानूनों का दुरुपयोग पाकिस्तान में आम है और अल्पसंख्यक समुदाय के लोग अकसर इसका शिकार बनते हैं।

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