फ्रांस में मिले पाषाण काल के शैल चित्र

Edited By DW News,Updated: 03 Feb, 2023 06:41 PM

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फ्रांस में मिले पाषाण काल के शैल चित्र

करीब 4,000 साल पहले, नवपाषाण काल के कलाकारों ने उस युग के लड़ाकों, युद्ध और दफनाने की रस्म को एक चट्टान पर उकेर कर उन्हें अमर बना दिया. दक्षिण-पूर्वी फ्रांस में पिछले दिनों ऐसी 120 रॉक पेंटिंग्स का पता चला है.बुधवार को फ्रांस के क्षेत्रीय अखबार ला प्रोवांन्स ने खबर दी कि फ्रांसीसी मैरीटाइम आल्प्स के मैरकानटुर नेशनल पार्क में एक चट्टान पर बने इन चित्रों का पता चला. ये चट्टान "वैली ऑफ वंडर्स" कही जाने वाली घाटी से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर है. हैरतों से भरी ये घाटी अपने करीब 40,000 पाषाणकालीन शैल चित्रों के लिए मशहूर है. अनुमान है कि हाल में खोजी गई पेंटिंग्स 4000 साल पुरानी होंगी. जिनमें योद्धाओं, लड़ाई के अभियानों और दफनाने की रस्मों को दिखाया गया है. प्रागैतिहास और पुरातात्विक प्रागैतिहास के मेडिटरेनियन आल्प्स इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष क्लोद सेलिसिस, नयी खोज को लेकर खासे उत्साहित हैं. पिता-पुत्र की जोड़ी को मिले शैल चित्र उन्होंने नीस-माटिन अखबार को बताया कि इस खोज से पहले, समूचे जिले में सिर्फ दो शैल चित्रों की शिनाख्त हो पाई थी. उन्होंने कहा, "यहां हमें एक साथ 120 रॉक पेंटिग्स मिली है. इसका मतलब ये ठिकाना पूरे सूबे में सबसे अहम ठिकानों में से एक है." सेलिसिस के मुताबिक, पत्थर युग के चित्रकारों ने स्थानीय तलछटी चट्टानों पर बारीकी से नक्काशी की, उनमें रंग भरे और अंगुलियों से अपने नमूने पत्थर पर छाप दिए. पिता पुत्र की जोड़ी, मार्सेल और लुई पीत्री को चट्टान की चढ़ाई के दौरान इन चित्रों का पता चला. ला रोश गांव के ऊपर स्थित ये चट्टान, कई साल से हाइकिंग और चढ़ाई के लिए इस्तेमाल की जाती है. लेकिन पहली बार ये चित्र नजर में आ पाए. दोनों हाइकर और अन्वेषक अपने इलाके से गहरे जुड़े हैं और इतालवी सीमा के पास वाल्देब्लोर इलाके का चप्पा चप्पा जानते हैं. लिगुरियाई योद्धाओं का पवित्र स्थल चट्टान की सतह से अतीत में कई बार चूना हटाया गया था. निश्चित रूप से कुछ प्रागैतिहासिक संरचनाएं नष्ट भी हो गई थी. सेलिसिस का अंदाजा है कि ये चट्टान, नवपाषाण काल में सेल्टो-लिगुरियन योद्धाओं का पवित्र स्थल रहा होगा. नोविले-एक्वीतेन इलाके में लासो के गुफा चित्रों से उलट, हाल में मिले शैल चित्र हजारों साल से हवा और मौसम की मार झेलते आए हैं. इसके बावजूद चट्टान पर उभारे गए दृश्य पहचाने जा सकते हैं. फ्रांस के भूमध्यसागरीय क्षेत्र में इंसानी वजूद के निशान, और जैसा कि उन्हें कहा जाता है, "प्राचीन मानव नस्ल" के निशान लाखों साल पहले के हैं.

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