इमरान सरकार ने टेके घुटने: गिलगित-बाल्टिस्‍तान के बाबा जान को 9 साल बाद किया रिहा, जानें कौन है यह शख्सीयत

Edited By Tanuja,Updated: 29 Nov, 2020 11:41 AM

gilgit baltistan political activist baba jan released after nine years

पाकिस्‍तान की इमरान खान सरकार ने लिए जोरदार विरोध प्रदर्शनों के आगे घुटने टेकते पाकिस्‍तान अधिकृत कश्‍मीर (POK) के गिलगित...

मुजफ्फराबादः पाकिस्‍तान की इमरान खान सरकार ने लिए जोरदार विरोध प्रदर्शनों के आगे घुटने टेकते पाकिस्‍तान अधिकृत कश्‍मीर (POK) के गिलगित-बाल्टिस्‍तान के नेता बाबा जान को र‍िहा कर दिया है। गिलगित के हुंजा में चीनी कंपनियों को मार्बल की खदान का अवैध आवंटन का विरोध करने वाले बाबा जान को 9 साल बाद रिहा किया गया है। बाबा जान लेबर पार्टी पाकिस्तान (LPP) के नेता हैं।

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चीनी कंपनियों को अवैध तरीके से खदान सौंपने का विरोध करने पर राजनीतिक कार्यकर्ता बाबा जान के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। पिछले करीब 9 साल से बाबा जान को रिहा करने के लिए POK में जोरदार विरोध प्रदर्शन चल रहा था। बताया जा रहा है कि बाबा जान काफी समय से बीमार भी चल रहे थे। हालांकि ISI और सेना की शह पर उन्‍हें रिहा नहीं किया जा रहा था। यही नहीं जेल के अंदर उन्‍हें टॉर्चर भी किया गया।

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जानकारी के मुताबिक चीनी कंपनियों के विरोध के अलावा बाबा जान पर एक अन्‍य आरोप लगा था। वर्ष 2010 में जलवायु परिवर्तन की वजह से गिलगित-बाल्टिस्तान की हुंजा नदी के पास लैंडस्लाइड हुआ था। इस घटना की वजह से ऐटाबाद झील का निर्माण तो हुआ लेकिन हजारों गांववालों को अपने घरों से हाथ धोना पड़ा। लैंडस्लाइड इतना भयानक था कि गिलगित-बाल्टिस्तान को बाकी पाकिस्तान से जोड़नेवाले हाइवे को भी नुकसान पहुंचा था, जिसकी वजह से गांववालों को मदद मिलने में भी दिक्कत हो रही थी।

जानें बाबा जान के बारे में खास बातें

  • वैश्विक दबाव के कारण पाकिस्तान की जेल से रिहा किए गए बाबा जान गुलाम कश्मीर के आम आदमी की दमदार आवाज हैं।
  •  बाबा जान की दमदार शख्सियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनकी रिहाई के लिए वर्ष 2017 में दुनिया के नौ देशों के 18 सांसदों ने आवाज उठाई थी।
  •  ऐसी ही एक अपील पर 49 देशों की 426 हस्तियों ने हस्ताक्षर किए थे। 
  • संयुक्त राष्ट्र में भीउनकी गिरफ्तारी का मुद्दा उठा था। 
  • अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग भी लगातार पाकिस्तान को चेता रहा था।
  • बाबा जान ने सरकार और सेना की मिलीभगत से गिलगिट-बाल्टिस्‍तान के लोगों पर हो रहे अत्‍याचारों के खिलाफ पूरी दुनिया का ध्‍यान खींचा था।
  •  उनका कहना था कि सरकार सेना के साथ मिलकर यहां पर उनके खिलाफ उठने वाली हर आवाज को कुचल रही है। 
  • युवाओं और महिलाओं समेत बुजुर्गों को भी अवैध रूप से जेलों में ठूंसा जा रहा है और उन्‍हें यातनाएं दी जा रही हैं।
  •  गौरतलब है कि बाबा आवामी वर्कर्स पार्टी की फेडरल कमेटी के सदस्‍य होने के साथ-साथ इसके पूर्व उपाध्‍यक्ष भी रह चुके हैं।

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हुंजा की कहानी
वर्ष 2010 में हुंजा घाटी में भूस्खलन की वजह से हुंजा नदी का पानी रुक गया था। इससे क्षेत्र में बाढ़ आ गई और 23 गांव डूब गए। हजारों लोगों के साथ बाबा जान ने मुआवजे के लिए प्रदर्शन किया। कुछ लोगों को मुआवजा मिला, लेकिन काफी को नहीं मिल पाया। बाबा जान ने फिर आंदोलन शुरू किया। पुलिस व आंदोलनकारियों में संघर्ष हो गया। थाने फूंक दिए गए। इसके बाद बाबा जान को गिरफ्तार कर लिया गया।

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