Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 01 Sep, 2025 10:37 AM

एससीओ शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद पर दोहरे मापदंडों को अस्वीकार्य बताते हुए कुछ देशों द्वारा आतंकी संगठनों के समर्थन पर सवाल उठाए। उन्होंने पहलगाम हमले का ज़िक्र करते हुए कहा कि भारत चार दशकों से आतंकवाद झेल रहा है। मोदी ने...
नेशनल डेस्क: शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के 25वें शिखर सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद को लेकर बेहद स्पष्ट और कड़ा रुख अपनाया। चीन के तियानजिन में आयोजित इस सम्मेलन में उन्होंने कहा कि आतंकवाद आज केवल किसी एक देश के लिए खतरा नहीं बल्कि पूरे विश्व, खासकर मानवता के लिए एक गंभीर चुनौती बन चुका है। इस सम्मेलन में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी मौजूद थे। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी का आतंकवाद के समर्थन को लेकर कुछ देशों पर सीधा सवाल उठाना और उसे अस्वीकार्य बताना काफी अहम माना जा रहा है।
पहलगाम हमले का जिक्र और भारत का दर्द
प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत पिछले चार दशकों से आतंकवाद के जख्म झेल रहा है। उन्होंने कहा, "हाल ही में, हमने पहलगाम में आतंकवाद का सबसे बुरा रूप देखा। मैं इस दुख की घड़ी में हमारे साथ खड़े मित्र देशों का आभार व्यक्त करता हूँ।" इस बयान के माध्यम से प्रधानमंत्री ने भारत की पीड़ा को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उजागर किया और यह बताया कि आतंकवाद का असर सिर्फ सीमाओं तक सीमित नहीं है।
आतंकवाद पर दोहरा मापदंड स्वीकार नहीं
अपने भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने बिना किसी देश का नाम लिए कहा कि कुछ देश अब भी आतंकवाद का खुला समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने यह सवाल उठाया कि क्या ऐसा रवैया अब और सहन किया जा सकता है? "हमें स्पष्ट रूप से और एकमत से कहना होगा कि आतंकवाद पर कोई भी दोहरा मापदंड स्वीकार्य नहीं है। यह हमला मानवता में विश्वास रखने वाले प्रत्येक देश और व्यक्ति के लिए एक खुली चुनौती थी।" उनका यह बयान साफ तौर पर पाकिस्तान की ओर इशारा करता है जो लंबे समय से भारत पर आतंकी संगठनों को पनाह देने के आरोपों से घिरा रहा है।
एससीओ में भारत की भूमिका
प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर एससीओ में भारत की सकारात्मक भूमिका का भी ज़िक्र किया। उन्होंने बताया कि भारत की नीति तीन मूल स्तंभों पर आधारित है:
एस - सुरक्षा, सी - संपर्क और ओ - अवसर। उन्होंने कहा कि भारत ने हमेशा क्षेत्रीय स्थिरता और सहयोग को बढ़ावा दिया है और आगे भी इसी दिशा में काम करता रहेगा।
आरएटीएस के तहत भारत की अगुवाई
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि भारत ने एससीओ के क्षेत्रीय आतंकवाद-रोधी ढांचे (RATS) के तहत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने बताया, "भारत ने संयुक्त सूचना अभियान का नेतृत्व करके अल-क़ायदा और उससे जुड़े संगठनों से लड़ाई में अहम योगदान दिया है। साथ ही, भारत ने आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ भी आवाज़ उठाई है।" इसका उद्देश्य सिर्फ आतंकी घटनाओं को रोकना नहीं, बल्कि उनकी जड़ों को खत्म करना है — यानी उनके वित्तीय स्रोतों को भी बंद करना।
आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता जरूरी
अपने भाषण के अंत में प्रधानमंत्री ने सभी एससीओ देशों से अपील की कि आतंकवाद को किसी भी तरह के रंग, धर्म या राजनीति से न जोड़ा जाए। उन्होंने कहा कि मानवता के खिलाफ जो भी खड़ा है, उसके खिलाफ एकजुट होना हम सभी का कर्तव्य है। उनका यह संदेश वैश्विक आतंकवाद से लड़ने की दिशा में एक बार फिर भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।