ब्रिटेन में सीवेज से  पोलियो वायरस मिलने से मचा हड़कंप; अलर्ट जारी, WHO ने भी जारी की चेतावनी

Edited By Tanuja,Updated: 23 Jun, 2022 11:28 AM

national incident declared over polio virus findings in london

लंदन में सीवेज के सैंपल से पोलियो वायरस मिलने से ब्रिटेन में हड़कंप मच गया है।  बुधवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन और ब्रिटिश स्वास्थ्य अधिकारियों ने...

जेनेवा: लंदन में सीवेज के सैंपल से पोलियो वायरस मिलने से ब्रिटेन में हड़कंप मच गया है।  बुधवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन और ब्रिटिश स्वास्थ्य अधिकारियों ने  बताया कि टीकों से प्राप्त एक प्रकार के पोलियो वायरस का पता चलने के बाद इस मामले को लेकर जांच चल रही है। वायरस मिलने के बाद ब्रिटेन में अलर्ट जारी कर दिया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी एक बयान में  कहा कि ब्रिटिश राजधानी लंदन में सीवेज के सैंपल में ‘पोलियो वायरस टाइप-2 (VDPV2)’ पाया गया है। हालांकि करीब दो दशक पहले पोलियो की बीमारी को ब्रिटेन से खत्म कर दिया गया था और  इसके बाद से  यहां इंसानों में पोलियो का एक भी मामला सामने नहीं आया है।  

 

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक WHO ने बयान जारी कर कहा, ‘यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि वायरस को केवल पर्यावरणीय सैंपल से अलग किया गया है।’ साथ ही यह जोर देकर कहा कि ‘हाल में लकवा के किसी भी संबंधित मामले का पता नहीं चला है। कहीं भी पोलियो वायरस का कोई भी वैरिएंट हर जगह बच्चों के लिए खतरा साबित हो सकता है।’ बता दें कि हाल के कुछ वर्षों में वैश्विक स्तर पर पोलियो का सफाया करने के लिए व्यापक अभियान चलाया गया है। 1988 के बाद से मामलों में 99 प्रतिशत की कमी आई है।  125 देशों में पोलियो का प्रकोप था और दुनिया भर में 350,000 मामले दर्ज किए गए थे।

 

 बता दें कि साल 2003 में ब्रिटेन को पोलियो मुक्त देश घोषित किया गया था । उसके बाद से अब तक यहां कोई नया मामला सामने नहीं आया है। पोलियो वायरस का खतरनाक संस्करण अब केवल अफगानिस्तान और पाकिस्तान में मौजूद है।   हालांकि पोलियो सहित अन्य खतरनाक बीमारियों पर लंबे समय से नजर रखा जा रहा है।  ब्रिटेन की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी ने इसी क्रम में फरवरी और मई महीने में सीवेज के गंदे पानी के सैंपल लिए थे। 

 

रिपोर्ट के मुताबिक ओरल पोलियो वैक्सीन (ओपीवी) आंत में रेप्लिकेट बनाता है और मल-दूषित पानी के माध्यम से दूसरों के अंदर आसानी से ट्रांसफर हो सकता है. इसका मतलब यह है कि यह वायरस उस बच्चे को नुकसान नहीं पहुंचाएगा, जिसका टीकाकरण हो चुका है, लेकिन उन जगहों पर इसका बुरा असर देखने को मिल सकता है, जहां गंदगी हो और टीकाकरण की संख्या कम हो। 

 

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