Edited By Tanuja,Updated: 07 Sep, 2019 03:21 PM
आर्थिक, राजनीतिक व कूटनीतिक मामलों में चित्त पाकिस्तान सरकार को अब चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) पर बड़ा झटका मिला है...
इस्लामाबाद/बीजिंगः आर्थिक, राजनीतिक व कूटनीतिक मामलों में चित्त पाकिस्तान सरकार को अब चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) पर बड़ा झटका मिला है। संसदीय समिति ने सीपीईसी प्राधिकरण गठित करने के प्रस्ताव को शुक्रवार को सर्वसम्मति से अस्वीकार कर दिया। इसके तहत 60 अरब डॉलर की परियोजना से संबंधित सभी कार्य एक ही एजेंसी के पास रहने की बात कही गई थी।
समिति ने बृहस्पतिवार को हुई बैठक में सीपीईसी प्राधिकरण के गठन को गैर जरूरी बताते हुए कहा कि इससे अरबों डालर की इस महत्वाकांक्षी परियोजना के क्रियान्वयन को लेकर ज्यादा भ्रांतियां उत्पन्न होंगी। एक्सप्रेस ट्रीब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, संयुक्त संसदीय समिति ने सरकार के उस फैसले का भी विरोध किया है, जिसमें प्राधिकरण का गठन राष्ट्रपति के अध्यादेश से किए जाने की बात कही गई है।
समिति का कहना है कि इससे सरकार की साख पर बट्टा लगेगा। इस हफ्ते संघीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रपति के अध्यादेश के जरिये सीपीईसी परियोजनाओं के क्रियान्वयन पर नजर रखने के लिए सीपीईसी प्राधिकरण के गठन को मंजूरी दी थी। समिति के एक सदस्य ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बताया कि सदस्यों ने हाथ खड़े कर सीपीईसी प्राधिकरण गठन प्रस्ताव को खारिज कर दिया। पाकिस्तान के सैन्य प्रतिष्ठान ने 2016 में सीपीईसी प्राधिकरण का विचार दिया था। तब तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने इससे इंकार कर दिया था।