'भारत और चीन की वजह से जारी है रूस-यूक्रेन युद्ध', UNGA में डोनाल्ड ट्रंप का बड़ा आरोप

Edited By Updated: 23 Sep, 2025 08:47 PM

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र में बड़ा बयान देते हुए कहा कि भारत और चीन रूस-यूक्रेन युद्ध के मुख्य आर्थिक मददगार (Primary Funders) हैं। ट्रंप ने आरोप लगाया कि दोनों देश रूस से तेल और गैस खरीद कर...

इंटरनेशनल डेस्कः अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र में बड़ा बयान देते हुए कहा कि भारत और चीन रूस-यूक्रेन युद्ध के मुख्य आर्थिक मददगार (Primary Funders) हैं। ट्रंप ने आरोप लगाया कि दोनों देश रूस से तेल और गैस खरीद कर मास्को को आर्थिक मदद दे रहे हैं, जिससे रूस युद्ध जारी रख पा रहा है।

क्या बोले ट्रंप?

ट्रंप ने अपने भाषण में कहा: "यूक्रेन में रूस की जंग रूस की छवि को नुकसान पहुंचा रही है, लेकिन यह युद्ध भारत और चीन जैसे देशों की मदद से चल रहा है।" उन्होंने कहा कि रूस की ऊर्जा बिक्री से होने वाली कमाई सीधे तौर पर युद्ध में इस्तेमाल की जा रही है।

यूरोप और NATO पर भी निशाना

ट्रंप ने सिर्फ भारत और चीन को ही नहीं, बल्कि यूरोपीय देशों और नाटो सहयोगियों को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि: "अगर यूरोप ने रूस से ऊर्जा खरीदना बंद नहीं किया, तो अमेरिका अकेले ही कड़े कदम उठाएगा।" ट्रंप ने चेतावनी दी कि अगर रूस युद्ध रोकने को तैयार नहीं हुआ, तो अमेरिका: “बहुत ही सख्त और भारी टैरिफ (आयात शुल्क)” लगाएगा। उन्होंने यह भी कहा: "अगर ये टैरिफ असरदार बनाने हैं, तो यूरोपीय देशों को भी बिल्कुल यही कदम उठाने होंगे और तुरंत रूस से हर तरह की ऊर्जा खरीद बंद करनी होगी।"

ट्रंप पहले भी कह चुके हैं – “यूक्रेन युद्ध सबसे आसान युद्ध है जिसे खत्म किया जा सकता है”

ट्रंप इससे पहले भी कई बार कह चुके हैं कि यूक्रेन और रूस के बीच का युद्ध सबसे आसान युद्ध है जिसे खत्म किया जा सकता है, बशर्ते वैश्विक शक्तियां सही रणनीति अपनाएं। लेकिन इस बार उन्होंने सीधे भारत और चीन पर उंगली उठाई है, जो पहली बार हुआ है।

भारत की स्थिति क्या है?

भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर अब तक तटस्थ (Neutral) रुख अपनाया है। भारत ने रूस से सस्ते दामों पर कच्चा तेल खरीदना जारी रखा है, जिससे घरेलू कीमतों को नियंत्रित रखा जा सके। भारत यह कहता रहा है कि उसका उद्देश्य राष्ट्रीय हित में ऊर्जा सुरक्षा बनाए रखना है।

चीन की स्थिति:

चीन भी रूस से ऊर्जा खरीद कर रहा है और कई बार पश्चिमी प्रतिबंधों की आलोचना कर चुका है। हालांकि उसने यूक्रेन युद्ध को लेकर सीधे समर्थन या विरोध का रुख नहीं अपनाया।

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