दुनिया की सबसे डरावनी रेल यात्रा! ना सीट मिलती है ना छत, 50 डिग्री की गर्मी में रेगिस्तान से गुजरती है ये ट्रेन

Edited By Updated: 21 Apr, 2025 01:49 PM

the longest train in mauritania the most dangerous train in the world

दुनिया की सबसे खतरनाक रेल यात्राओं में से एक का नाम है "ऑयरन ओर ट्रेन ऑफ मॉरिटानिया". यह कोई आम ट्रेन नहीं बल्कि ऐसी ट्रेन है जो बिना सीट, बिना छत और बिना किसी स्टॉप के 704 किलोमीटर की यात्रा तय करती है. और वो भी सहारा रेगिस्तान जैसे इलाके में, जहां...

इंटरनेशनल डेस्क: क्या आप सोच सकते हैं कि कोई ट्रेन ऐसी भी हो सकती है जिसमें ना सीट हो, ना छत और फिर भी लोग उसमें 14 घंटे का सफर करते हों? और वो भी 50 डिग्री की झुलसाती गर्मी में, बिना किसी स्टॉप के, सीधे सहारा रेगिस्तान के बीचोंबीच! ये कोई फिल्मी कहानी नहीं है बल्कि मॉरिटानिया की "Iron Ore Train" की हकीकत है। यह ट्रेन सिर्फ माल नहीं ढोती बल्कि इंसानी हिम्मत और जान का भी इम्तिहान लेती है। जो एक बार इसमें चढ़ा, वो इसे जिंदगी का सबसे खतरनाक सफर कहता है।

यह ट्रेन मॉरिटानिया के उत्तर में स्थित ज़ौरात नाम की जगह से चलती है. यह इलाका पश्चिमी सहारा की सीमा पर है और आतंकवाद के लिहाज़ से भी बेहद संवेदनशील माना जाता है. यहां अल-कायदा जैसे आतंकी संगठन सक्रिय हैं. फिर भी ये ट्रेन रोज चलती है और इसे मॉरिटानिया की जान रेखाकहा जाता है.

क्यों चलती है ये ट्रेन?

सहारा रेगिस्तान में दुनिया की सबसे बड़ी लौह अयस्क (Iron Ore) की खदानें हैं. इन्हीं खदानों से अटलांटिक महासागर के किनारे स्थित शहर नौआदीबू तक अयस्क पहुंचाने के लिए इस ट्रेन का इस्तेमाल किया जाता है. इसी वजह से इसे ऑयरन ओर ट्रेन कहा जाता है.

ट्रेन की खासियतें: इतनी विशाल कि हैरान हो जाएंगे

यात्री भी चढ़ते हैं, जान जोखिम में डालकर

हालांकि यह ट्रेन माल ढोने के लिए बनाई गई है, फिर भी स्थानीय लोग इस पर सवारी करते हैं. वजह? सस्ता और तेज़ सफर. लेकिन इसमें न तो बैठने की सुविधा है और न ही छांव. लोग अयस्क के ऊपर बैठ जाते हैं. दिन में तपता सूरज और रात में हड्डी तक गला देने वाली ठंड के बीच यह यात्रा जानलेवा हो सकती है.

चौम है सबसे सही जगह, लेकिन जोखिम फिर भी बरकरार

अगर कोई इस ट्रेन पर चढ़ना चाहता है तो उसके लिए सबसे सुरक्षित स्टेशन है चौम (Choum). लेकिन ध्यान रहे, अगर आप रास्ते में किसी मुश्किल में फंस जाते हैं तो कोई मदद नहीं मिलती. न मोबाइल नेटवर्क, न पुलिस, न मेडिकल सुविधा.

मौसम की मार और सुरक्षा का संकट

  • गर्मियों में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक

  • रात में 5 डिग्री से भी नीचे

  • रास्ते में रेत के तूफान आम

  • आतंकियों का खतरा बना रहता है

  • ट्रेन में गिरने या फिसलने का खतरा हर पल

इतिहास से जुड़ा है ट्रेन का नाम

1963 से यह ट्रेन सहारा के रेगिस्तान में चल रही है. इसे कभी-कभी "ट्रेन डु डेजर्ट" यानी रेगिस्तान की ट्रेन भी कहा जाता है. ये ट्रैक इतनी लंबी और मुश्किल जगहों से होकर गुजरता है कि इसे इंजीनियरिंग का चमत्कार माना जाता है.

फिर भी क्यों चलती है ये ट्रेन?

क्योंकि मॉरिटानिया के लिए ये ट्रेन आर्थिक रीढ़ है. लौह अयस्क का निर्यात देश की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा है. इसी ट्रेन से खदानों से समुद्र किनारे स्थित बंदरगाहों तक अयस्क पहुंचता है, जिससे देश को करोड़ों डॉलर की कमाई होती है.

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