Edited By Tanuja,Updated: 21 May, 2025 02:54 PM

गाजा पट्टी में हालात हर घंटे बिगड़ते जा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि अगर अगले 48 घंटों में मानवीय सहायता नहीं पहुंचाई गई तो करीब 14,000 बच्चों की जान जा सकती है
International Desk: गाजा पट्टी में हालात हर घंटे बिगड़ते जा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि अगर अगले 48 घंटों में मानवीय सहायता नहीं पहुंचाई गई तो करीब 14,000 बच्चों की जान जा सकती है। मार्च 2025 से इज़राइल की ओर से जारी पूरी नाकेबंदी ने गाजा को भुखमरी और कुपोषण की आग में झोंक दिया है।मार्च में इज़राइली सरकार ने गाजा में भोजन, पानी और ईंधन की आपूर्ति पूरी तरह बंद कर दी थी। अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते हाल ही में कुछ राहत ट्रकों को अंदर जाने की अनुमति मिली है, लेकिन जहां गाजा को रोज़ाना 500 ट्रकों की ज़रूरत है वहां सिर्फ 5 से 10 ट्रक भेजे जा रहे हैं।
सबसे ज्यादा असर बच्चों पर
गाजा की सरकार के मुताबिक करीब 3 लाख बच्चे भुखमरी के कगार पर हैं जबकि 11 लाख बच्चे गंभीर कुपोषण से जूझ रहे हैं । हर पांचवां वयस्क भी भूखा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह सिर्फ ‘भूख’ नहीं, बल्कि वह तीन-चरणीय भुखमरी है जिसमें शरीर धीरे-धीरे मांसपेशियों और हड्डियों को खाकर जीवित रहने की कोशिश करता है।
‘खुली जेल’ में तब्दील हुआ गाजा
गाजा एक 40 किलोमीटर लंबा क्षेत्र है, जहां प्रति वर्ग किलोमीटर लगभग 6000 लोग रहते हैं। 2007 में हमास के सत्ता में आने के बाद से ही इज़राइल और मिस्र ने इस क्षेत्र की सीमाएं सील कर दीं, जिसे संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों ने ‘ओपन एयर प्रिज़न’ (खुली जेल) करार दिया।
क्या UN और ICJ सिर्फ चेतावनी देंगे?
इस भीषण मानवीय संकट के बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) इस स्थिति में सिर्फ चेतावनी जारी करते रहेंगे या इज़राइल पर युद्ध अपराधों को लेकर कोई कठोर कदम उठाएंगे ?अब तक इस संघर्ष में इज़राइल में 1,726 और गाज़ा में 57,000 से अधिक मौतें हो चुकी हैं, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं।
अंतर्राष्ट्रीय कानून
जनसंख्या को जानबूझकर भोजन, पानी और दवा से वंचित रखना अंतरराष्ट्रीय कानून में ‘वॉर क्राइम’ की श्रेणी में आता है। इसके बावजूद, ICJ और UN जैसे संगठनों की कार्रवाई केवल ‘अपील’ और ‘चेतावनी’ तक सीमित नजर आती है। गाजा में मानवीय त्रासदी अब अलार्मिंग मोड से आगे निकल चुकी है । बच्चों की भूख से मौतें, बंद सीमाएं और नाकाफी राहत सब एक साथ मिलकर इंसानियत को शर्मसार कर रही हैं।अब सवाल यह है कि क्या दुनिया की बड़ी ताकतें सिर्फ रिपोर्ट पढ़ती रहेंगी, या कुछ करेंगी भी?