ब्रिटिश PM बोरिस के गले की फांस बना ब्रेक्जिट मुद्दा, खतरे में नई सरकार

Edited By Tanuja,Updated: 07 Sep, 2019 02:50 PM

uk pm boris johnson s bid for early election rejected

थरेसा में की कुर्सी छीन चुका ब्रेक्जिट मुद्दा हाल ही में ब्रिटेन की सत्ता पर बिराजे प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के लिए भी गले की फांस बन गया है...

लंदनः थरेसा में की कुर्सी छीन चुका ब्रेक्जिट मुद्दा हाल ही में ब्रिटेन की सत्ता पर विराजे प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के लिए भी गले की फांस बन गया है और उनकी कुर्सी पर भी खतरा मंडरा रहा है। ब्रिटेन ने जुलाई 2019 में बोरिस जॉनसन को अपना नया प्रधानमंत्री चुना, लेकिन सिर्फ 1 महीने बाद ही खुद बोरिस जॉनसन ने फिर से चुनाव कराने का प्रस्ताव संसद में रख दिया। जुलाई से पहले 24 मई, 2019 को तत्कालीन प्रधानमंत्री थरेसा मे ने भी बार-बार ब्रेक्जिट में नाकाम होने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। जानिए कैसे क्या है ब्रेक्जिट और कैसे यह मुद्दा आखिर कैसे बार-बार सरकार गिरने का कारण बन रहा है। 
PunjabKesari

जानें क्या है ब्रेक्जिट?
ब्रेक्जिट यानी (ब्रिटेन एग्ज़िट (Britain Exit यानी Brexit)) यूरोपीय संघ (European Union) से अलग होने का प्रस्ताव है। इसकी शुरुआत साल 2008 में हुई जब ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में आ गई थी। देश में महंगाई बढ़ व बेरोजगारी बढ़ गई थी, जिसका समाधान निकालने और अर्थव्यवस्था को ठीक करने के प्रयास के बीच यूनाइटेड किंगडम इंडिपेंडेंस पार्टी (यूकेआईपी) ने साल 2015 में हो रहे चुनावों के दौरान यह मुद्दा उठाया कि यूएन ब्रिटेन की आर्थिक मंदी को कम करने के लिए कुछ नहीं कर रहा है. उनका कहना था कि इसकी वजह से ही ब्रिटेन की स्थिति दिनोंदिन खराब होती जा रही है. यूएन को आर्थिक मंदी का कारण मानते हुए वजह बताई गई कि ब्रिटेन को हर साल यूरोपियन यूनियन के बजट के लिए 9 अरब डॉलर देने होते हैं। यूएन की वजह से ब्रिटेन में बिना रोक-टोक के लोग बसते हैं।

PunjabKesari

पहले 2 प्रधानमंत्री भी खो चुके कुर्सी
इसके साथ ही फ्री वीजा पॉलिसी से ब्रिटेन को भारी नुकसान हो रहा है। लेकिन इससे विपरीत ब्रिटेन के कई लोग यूएन से हो रहे फायदों के बारे में जानते हैं और ब्रिटेन का यूएन से अलग होने के फैसले को गलत बताते हैं। ब्रिटेन की कंजर्वेटिव पार्टी और उस पार्टी के डेविड कैमरन जो साल 2010 से 2016 तक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रहे, ब्रेक्जिट के विरोध में हैं। 

PunjabKesari

 ब्रेक्जिट का विरोध कर रहे लोगों को मालूम है कि इससे दूसरे यूरोपिय देशों से कारोबर पर बुरा असर होगा। ब्रिटेन का सिंगल मार्केट सिस्टम खत्म हो जाएगा और ब्रिटेन की जीडीपी को भारी नुकसान होगा। वहीं, डेविड कैमरन के बाद बने दोनों पीएम (थरेसा मे और बोरिस जॉनसन) ने ब्रेक्जिट को अपना मुद्दा बनाया और इसे लागू करने की शर्त पर प्रधानमंत्री का पदभर संभाला, लेकिन इनमें से थरेसा मे ब्रेक्जिट पर बहुमत हासिल नहीं कर पाईं और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।  वहीं अब तत्कालीन प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की सरकार भी खतरे में है।

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!