नहीं सुधर रहा भारत, तो बंद करो उन्हें अमरीकी वीजा देना: अमरीकी सांसद

Edited By ,Updated: 28 Jun, 2016 01:15 PM

us senator seeks to end issuing visas to india 22 others

एक तरफ जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बराक ओबामा अपनी दोस्ती की नींव मजबूत करने में लगे हुए हैं। वहीं, दूसरी तरफ अमरीकी सांसद भारत के खिलाफ साजिश रच रहे हैं।

वॉशिंगटन: एक तरफ जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बराक ओबामा अपनी दोस्ती की नींव मजबूत करने में लगे हुए हैं। वहीं, दूसरी तरफ अमरीकी सांसद भारत के खिलाफ साजिश रच रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, अमरीका के एक शीर्ष सीनेटर ने ओबामा प्रशासन से कहा है कि वह भारत और चीन समेत 23 देशों के नागरिकों को प्रवासी और गैर-प्रवासी वीजा जारी करना बंद कर दे। सीनेटर ने आरोप लगाया कि ये देश अमरीका से अवैध प्रवासियों को वापस लेने के मामले में सहयोगात्मक रूख नहीं दिखाते हैं।  

रिपब्लिकन सीनेटर चक ग्रैसले ने गृह सुरक्षा मंत्री जे. जॉनसन को लिखे एक पत्र में कहा, ‘हत्यारों समेत खतरनाक अपराधियों को हर दिन छोड़ा जा रहा है क्योंकि उनके अपने देश उन्हें वापस लेने में सहयोग नहीं करेंगे।’ सीनेट की न्यायिक समिति के अध्यक्ष ग्रैसले ने कहा कि वित्त वर्ष 2015 में ही, इन हठी देशों के फैसले और असहयोग के कारण अमेरिका में 2,166 लोगों को छोड़ा गया था। पिछले दो साल में 6,100 से ज्यादा लोग छोड़े गए।

ग्रैसले ने कहा कि इस समय, अमरीका ने 23 देशों को असहयोगी करार दिया हुआ है। इनमें पांच शीर्ष हठी देश क्यूबा, चीन, सोमालिया, भारत और घाना हैं। इसके अलावा अमेरिका प्रवासी एवं आबकारी प्रवर्तन उन अन्य 62 देशों का निरीक्षण कर रहा है, जहां से सहयोग में दिक्कतें तो आ रही हैं लेकिन अभी तक उन्हें असहयोगी करार नहीं दिया गया है। जॉनसन को लिखे पत्र में ग्रैसले ने उन्हें याद दिलाया कि कांग्रेस ने इस समस्या का निपटान आव्रजन एवं राष्ट्रीयता अधिनियम की धारा 243 (डी) को लागू कर किया था।  

उन्होंने कहा, ‘धारा 243 (डी) के तहत विदेश मंत्री को किसी देश को आपसे यह नोटिस मिलने के बाद प्रवासी या अप्रवासी वीजा देना बंद करना होता है कि अमुक देश ने किसी नागरिक या निवासी को स्वीकार करने से इंकार कर दिया है या फिर वह उसे स्वीकार करने में बेवजह देरी कर रहा है।’’  ग्रैसले ने कहा, ‘‘इसका इस्तेमाल एक बार वर्ष 2001 में गुआना के मामले में किया जा चुका है। वहां इसका तत्काल प्रभाव पड़ा था। इसका नतीजा दो माह के भीतर गुआना से सहयोग के रूप में सामने आया था।’

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