मां संतोषी की व्रत-विधि, रखें कुछ बातों का ध्यान

Edited By Updated: 17 Jun, 2016 09:24 AM

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शुक्रवार का दिन देवी संतोषी को समर्पित है। 16 शुक्रवार विधिवत व्रत रखने से मन में संतोष की भावना पैदा होती है, घर में सुख-शांति और धन-समृद्ध‍ि आती है।

शुक्रवार का दिन देवी संतोषी को समर्पित है। 16 शुक्रवार विधिवत व्रत रखने से मन में संतोष की भावना पैदा होती है, घर में सुख-शांति और धन-समृद्ध‍ि आती है। मां की कृपा से सारी चिंताअों से मुक्ति मिलती है अौर सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। उपवास रखने की विधि इस प्रकार है-

शुक्रवार (संतोषी माता) व्रत-विधि

सूर्योदय से पहले उठकर घर की साफ-सफाई करें। फिर नित्य क्रियाओं से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। घर के मंदिर में संतोषी माता की प्रतिमा या चित्रपट को स्थापित करें। जल से भरा पात्र लें उस पर एक कटोरी रखकर उसमें गुड़ और चना रखें। विधिवत मां संतोषी का पूजन करने के पश्चात कथा सुनें। उसके बाद आरती करें अौर गुड़-चने का प्रसाद सभी को बांट दें। बर्तन में भरे जल को घर में छिड़क दें अौर बाकी को तुलसी के गमले में अर्पित कर दें। ऐसे ही 16 शुक्रवार तक पूरे विधि-विधान से व्रत रखकर आखिरी शुक्रवार को उद्यापन करें। अंतिम शुक्रवार को पूर्व कथित विधि से संतोषी माता का पूजन करके 8 बालकों को खीर-पुरी का भोजन करवाएं अौर इच्छानुसार दक्षिणा एवं केले का प्रसाद दें फिर स्वयं खाना खाएं।

इस दिन क्या करें -

- इस दिन व्रती न तो खट्टी चीजों का स्पर्श करें अौर न ही उनका सेवन करें।

 

- व्रत करने वाले स्त्री-पुरुष भी स्वयं गुड़ और चने का प्रसाद ग्रहण करें।

 

- भोजन में खट्टी चीज, अचार और खट्टा फल न खाएं। 

 

- व्रती के पारिवारिक सदस्य भी उस दिन खट्टी चीजों का सेवन न करें।

संतोषी माता की कृपा से व्रत करने वाले स्त्री-पुरुषों की संपूर्ण इच्छाअों की पूर्ति होती है। परीक्षा में सफलता, न्यायालय में विजय, व्यापार में फायदा और घर में खुशहाली की प्राप्ति होती है। कुवांरों को योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति होती है।

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