Edited By Parveen Kumar,Updated: 19 Jul, 2025 05:59 PM

हिमाचल प्रदेश में मानसून का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। तेज बारिश, भूस्खलन और अचानक आई बाढ़ के कारण जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। प्रदेश में अब तक 116 लोगों की मौत हो चुकी है और 1200 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति को नुकसान पहुंचा है।
नेशनल डेस्क: हिमाचल प्रदेश में मानसून का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। तेज बारिश, भूस्खलन और अचानक आई बाढ़ के कारण जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। प्रदेश में अब तक 116 लोगों की मौत हो चुकी है और 1200 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति को नुकसान पहुंचा है।
बिजली और पानी की आपूर्ति बाधित
लगातार हो रही बारिश और भूस्खलन के कारण प्रदेशभर में 230 से ज्यादा सड़कों पर आवाजाही बंद है। मंडी जिले में सबसे ज्यादा 121 सड़कें बंद हैं, जबकि कुल्लू में 23 और सिरमौर में 13 रास्ते बंद पड़े हैं। इसके अलावा 81 बिजली वितरण ट्रांसफार्मर और 61 जल आपूर्ति योजनाएं भी बाधित हैं।
मंडी, कांगड़ा और कुल्लू सबसे ज्यादा प्रभावित
मंडी, कांगड़ा और कुल्लू जिले सबसे अधिक प्रभावित हैं। सिर्फ 19 जुलाई को ही मंडी में 153 सड़कें बंद रहीं। कुल्लू में 39 सड़कों पर यातायात पूरी तरह ठप है। सिरमौर जिले में भूस्खलन के चलते हेवनाके पास राष्ट्रीय राजमार्ग-707 (NH-707) को बंद कर दिया गया है। प्रशासन इन क्षेत्रों में लगातार राहत और पुनर्निर्माण कार्य में जुटा हुआ है।
लोगों से सतर्क रहने की अपील
मौसम विभाग ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में अगले तीन दिनों के लिए ऑरेंज और येलो अलर्ट जारी किया है। खासकर रविवार तक भारी बारिश की संभावना जताई गई है। प्रशासन ने लोगों से सावधानी बरतने, अनावश्यक रूप से घर से बाहर न निकलने और नदी-नालों के पास न जाने की अपील की है।
35 लोग लापता, 199 घायल
राज्य आपदा नियंत्रण केंद्र (SEOC) के अनुसार अब तक 35 लोग लापता हैं और लगभग 199 लोग घायल हुए हैं। 116 में से 68 मौतें सीधे बारिश जनित आपदाओं (जैसे भूस्खलन, बाढ़ आदि) के कारण हुईं, जबकि 48 लोगों की जान खराब मौसम और दृश्यता की वजह से हुई घटनाओं में गई है।
अब तक 31 बार अचानक बाढ़, 22 बार बादल फटा
प्रदेश में मानसून सीजन के दौरान 31 बार अचानक बाढ़, 22 बादल फटने और 19 भूस्खलन की घटनाएं दर्ज की गई हैं। इससे अब तक कुल 1,220 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हो चुका है।
राहत कार्यों में जुटे एनडीआरएफ और एसडीआरएफ
प्रशासन ने राष्ट्रीय आपदा राहत बल (NDRF), राज्य आपदा राहत बल (SDRF) और स्थानीय एजेंसियों के साथ मिलकर प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव अभियान तेज कर दिया है। प्रयास किया जा रहा है कि बंद सड़कों को जल्द खोला जाए और बिजली-पानी की आपूर्ति फिर से बहाल हो सके।