लकवाग्रस्त था पति, रास्ते में खून चूसने वाले से हो गई डील, बोला- “एक बूंद खून की कीमत ₹5000” सुनते ही पत्नी हुई तैयार, फिर...

Edited By Updated: 22 Jul, 2025 12:58 PM

25 lakh fraud in the name of treatment of paralyzed husband in faridabad

भरोसा एक ऐसी चीज़ है जिसे अगर आप गलत व्यक्ति पर कर लें तो लेने के देने पड़ सकते हैं। ऐसा ही कुछ हुआ फरीदाबाद के शांति (सेवानिवृत्त शिक्षिका) और रामलाल (लकवाग्रस्त पति) के साथ जिन्हें एक ठग गिरोह ने 25 लाख रुपये की चपत लगा दी। इस गिरोह ने जहरीला खून...

नेशनल डेस्क। भरोसा एक ऐसी चीज़ है जिसे अगर आप गलत व्यक्ति पर कर लें तो लेने के देने पड़ सकते हैं। ऐसा ही कुछ हुआ फरीदाबाद के शांति (सेवानिवृत्त शिक्षिका) और रामलाल (लकवाग्रस्त पति) के साथ, जिन्हें एक ठग गिरोह ने 25 लाख रुपये की चपत लगा दी। इस गिरोह ने 'जहरीला खून चूसकर' लकवे के इलाज का दावा किया था।

मुरथल ढाबे पर शुरू हुआ ठगी का खेल

दरअसल शांति के 67 वर्षीय पति रामलाल को 2020 में ब्रेन स्ट्रोक के बाद आंशिक लकवा हो गया था। एक दिन जब यह दंपति मुरथल के एक ढाबे पर नाश्ता कर रहा था तो उनकी मुलाकात मोहम्मद कासिम से हुई जिसने खुद का नाम नितिन अग्रवाल बताया। कासिम ने बड़े विश्वास के साथ बताया कि उसके पिता को भी लकवा था लेकिन दिल्ली के द्वारका में रहने वाले डॉ. आर. जेरीवाला ने उन्हें पूरी तरह ठीक कर दिया। उसने शांति को एक फोन नंबर और पता दिया जिससे रामलाल और शांति को उम्मीद की किरण दिखी।

विश्वास जीतकर फंसाया जाल में

अगले कुछ दिनों में कासिम ने चालाकी से रामलाल और शांति का भरोसा जीत लिया। उसने कई फोन कॉल्स करवाए जिसमें कुछ लोग उसके माता-पिता बनकर बात करते थे और डॉ. जेरीवाला की खूब तारीफें करते थे लेकिन जब रामलाल ने डॉक्टर से मिलने की कोशिश की तो कासिम (जो अब खुद को समीर बता रहा था) ने बहाने बनाए कि डॉक्टर दुबई और कनाडा में व्यस्त हैं। कई दिनों की कोशिश के बाद आखिरकार 4 दिसंबर को डॉक्टर के आने की बात पक्की हुई।

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5000 रुपये में एक बूंद 'जहरीला खून'

डॉक्टर (जिसका असली नाम मोहम्मद जाहिर था) रामलाल के घर आया। समीर ने पहले 'गर्म तौलिया थेरेपी' दी, फिर डॉ. जेरीवाला ने रामलाल के लकवाग्रस्त हिस्सों पर ब्लेड से छोटे-छोटे चीरे लगाए और एक पाइप से खून चूसकर बाहर निकाला। इस खून को एक खास केमिकल वाली जगह पर डाला गया जिससे खून पीला हो गया। डॉ. जेरीवाला ने दावा किया कि यह 'जहरीला खून' था जिसे निकालने से रामलाल ठीक हो जाएंगे। उसने यह कहकर कि इस प्रक्रिया में उसकी जान को भी खतरा था क्योंकि 'जहरीला खून' उसके मुंह में गया था और उसे खास दवाइयां लेनी पड़ती थीं हर बूंद खून के लिए 5,000 रुपये मांगे और कुल मिलाकर 25 लाख रुपये का बिल थमा दिया।

रामलाल और शांति ने 1 लाख रुपये नकद दिए और बाकी राशि बाद में देने का वादा किया। अगले दिन डॉ. जेरीवाला ने फोन करके 19 लाख रुपये तुरंत ट्रांसफर करने का दबाव डाला यह कहकर कि और दवाइयां भेजनी हैं। जैसे ही पैसा ट्रांसफर हुआ ठगों के सारे फोन बंद हो गए। शांति को शक हुआ कि वे ठगे गए हैं। उन्होंने सेक्टर 65 पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की और 23 दिसंबर 2024 को डॉ. जेरीवाला, नितिन (कासिम), मीनाक्षी और समीर (आमिर का भाई) के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज हुआ।

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ऐसे पकड़ा गया गिरोह, पैसा भी हुआ बरामद

पुलिस के लिए इस गिरोह को पकड़ना आसान नहीं था। महीनों की मेहनत के बाद एक मोबाइल नंबर राजस्थान के सनोद गांव में सक्रिय मिला लेकिन वह फोन एक मजदूर महिला के पास था जिसे इस धोखाधड़ी का कोई अंदाजा नहीं था। पूछताछ में पता चला कि एक मोबाइल दुकान नकली पहचान पत्रों से सिम कार्ड बेच रही थी। चार महीने की गहन जांच के बाद 4 अप्रैल 2025 को कासिम (असली नाम मोहम्मद कासिम) को सनोद गांव से गिरफ्तार किया गया। उसने कबूल किया कि उसे इस धोखाधड़ी से 2.5 लाख रुपये मिले थे। इसके बाद समीर का भाई आमिर भी पकड़ा गया जिसे 1.5 लाख रुपये मिले थे। 'डॉ. जेरीवाला' जिनका असली नाम मोहम्मद जाहिर था और समीर (जो मोहम्मद जाहिर का ही दूसरा रूप था) ने 20 लाख रुपये जमा करके अग्रिम जमानत हासिल कर ली थी। यह राशि पीड़ितों को लौटा दी गई।

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