धोखे से रूसी सेना में भर्ती नेपाली युवकों का छलका दर्द, बोले- नेपाल सरकार लाचार, प्लीज भारत बचा ले जान (Video)

Edited By Tanuja,Updated: 11 Mar, 2024 05:33 PM

4 nepali men stuck in russia war appeal to india for rescue

यूक्रेन के खिलाफ जंग लड़ रहे  रूस में फंसे  नेपाली युवकों ने भारत से मदद की गुहार लगाई है। इन नेपाली युवकों का एक वीडियो वायरल हो...

इंटरनेशनल डेस्कः यूक्रेन के खिलाफ जंग लड़ रहे  रूस में फंसे  नेपाली युवकों ने    भारत से मदद की गुहार लगाई है।  इन नेपाली युवकों का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें वे कह रहे हैं कि उन्हें धोखे से रूसी आर्मी में भर्ती कराया गया और फिर जंग लड़ने भेज दिया गया। वीडियो में युवक भारत सरकार से उन्हें वापस नेपाल पहुंचाने के लिए मदद मांग रहे हैं। उनका कहना है कि नेपाल सरकार मदद नहीं कर पा रही है इसलिए भारत सरकार इस मामले में दखल दे। मिलिट्री यूनिफॉर्म पहने नेपाली युवकों ने वीडियो में कहा  हमें हेल्पर की नौकरी ऑफर हुई थी।

 

रूस पहुंचने पर आर्मी में भर्ती कर लिया गया और यूक्रेन के खिलाफ जंग लड़ने भेजा गया। हमने मॉस्को स्थित नेपाली एम्बेसी से मदद मांगी, लेकिन हमें मदद नहीं मिली। भारत और नेपाल के बीच अच्छे संबंध हैं इसलिए हम भारत सरकार से अपील करते हैं कि वो हमें यहां से रेस्क्यू करे। हमारे साथ तीन भारतीय युवक भी जंग लड़ रहे थे। भारत सरकार ने उन्हें रेस्क्यू कर लिया है। भारत की एम्बेसी पावरफुल है। हम 30 लोग रूस आए थे। अब सिर्फ 5 ही बचे हैं। हमारी मदद करें।
 बता दें कि दिसंबर 2023 में यूक्रेन के खिलाफ रूस की तरफ से लड़ते हुए 6 नेपाली मारे गए थे।

 

यह खबर सामने आने के बाद नेपाल ने रूस से कहा है कि वो उसके नागरिकों का इस्तेमाल बंद करे। नेपाल के कई नौजवान पैसे की खातिर रूस के लिए जंग के मैदान में मौजूद हैं। काठमांडू पोस्ट के मुताबिक, मॉस्को ने पिछले महीने जंग में मारे गए नेपालियों के परिवारों को मुआवजा देने पर सहमति जताई थी। जंग में अब तक 14 नेपाली मारे जा चुके हैं। 4 फरवरी 2022 से जारी रूस-यूक्रेन जंग में 65 लाख से ज्यादा यूक्रेनी देश में ही बेघर हो गए हैं। 10 हजार यूक्रेनी नागरिकों की मौत हुई है। वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादातर नेपाली नागरिक पैसा कमाने की खातिर दूसरे देशों में जाते हैं। कई बार ये बेहद जोखिम वाले काम भी करते हैं। खास बात यह है कि ये नेपाली नागरिक जितना पैसा अपने देश भेजते हैं, वो करीब-करीब नेपाल की GDP के बराबर है।

 

भारत के अलावा ब्रिटिश आर्मी में भी नेपाली गोरखा रिक्रूट किए जाते हैं। यह सिलसिला 1815 में शुरू हुआ था। उस वक्त भारत पर ब्रिटेन का शासन था। ब्रिटिश क्वीन एलिजाबेथ कई बार गोरखा यूनिट से मिली थीं। 22 फरवरी की टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पहली बार भारतीयों को धोखा देकर यूक्रेन जंग में भेजने की बात सामने आई थी। इसके बाद 29 फरवरी को विदेश मंत्रालय ने बताया था कि रूस में फिलहाल 20 भारतीय नागरिक फंसे हैं और इन्हें निकालने की कोशिश जारी है।

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