मशहूर लेखिका महाश्वेता देवी का निधन, दीदी बोली- बंगाल ने मां खो दी

Edited By ,Updated: 28 Jul, 2016 07:35 PM

Mahasweta Devi Mamata Banerjee P Tandon Embed

प्रख्यात लेखिका और समाज के दबे कुचले और वंचित वर्गों की पैरोकार महाश्वेता देवी का आज निधन हो गया। वह 91 वर्ष की थीं। उन्हें गत 22 मई को यहां के बेल व्यू नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया था।

कोलकाता: प्रख्यात लेखिका और समाज के दबे कुचले और वंचित वर्गों की पैरोकार महाश्वेता देवी का आज निधन हो गया। वह 91 वर्ष की थीं। उन्हें गत 22 मई को यहां के बेल व्यू नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया था। नर्सिंग होम के सीईओ पी टंडन ने बताया कि उनके शरीर के कई महत्वपूर्ण अंगों ने काम करना बंद कर दिया था और आज दिल का दौरा पडऩे के बाद अपराह्न 3 बजकर 16 मिनट पर उनका निधन हो गया।   
 
कौन थी महाश्वेता?
►महाश्वेता देवी का जन्म अविभाजित भारत के ढाका में 14 जनवरी 1926 को हुआ था। उनके पिता मनीष घटक कवि एवं उपन्यासकार थे और माता धारित्री देवी लेखिका एवं सामाजिक कार्यकर्त्ता थी।

►विभाजन के बाद पूरा परिवार पश्चिम बंगाल आकर बस गया। उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में स्नातकोत्तर की डिग्री ली और यहां प्रोफेसर के रूप में काम भी किया।

►लेखन में उनकी रुचि बचपन से ही थी और उनकी प्रथम रचना ‘झांसी की रानी’ का प्रकाशन 1956 में हुआ था। उनका पहला उपन्यास ‘नाती’ 1957 में प्रकाशित हुआ था।महाश्वेता देवी की प्रमुख रचनाओं में अग्निगर्भ, जंगल के दावेदार, 1084वें की मां, माहेश्वर आदि हैं। उनके लगभग सौ उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं और छोटी-बड़ी कहानियों के लगभग 20 संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं।

►महाश्वेता देवी ने अविभाजित बिहार, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के कल्याण के लिए काफी काम किया। उन्होंने पश्चिम बंगाल की औद्योगिक नीतियों के खिलाफ भी आंदोलन छेड़ा था।

न्याय की आवाज थीं महाश्वेता: पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके कहा, ‘‘उनके जाने से हम शोक संतप्त हैं। महाश्वेता देवी ने कलम की ताकत को बहुत अच्छे ढंग से व्यक्त किया। वह करुणा, समानता और न्याय की आवाज थीं, उनके निधन से हम बेहद दुखी हैं।’’ 

बंगाल ने मां खो दी: ममता बनर्जी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उनके निधन पर शोक जताते हुए कहा कि देश ने एक महान लेखक खो दिया। ममता ने ट्वीट किया, ‘‘भारत ने एक महान लेखक खो दिया। बंगाल ने एक ममतामयी मां खो दी। मैंने अपनी एक मार्गदर्शक गंवाई। महाश्वेता दी को शांति मिले।’’ 

सोनिया ने जताया शोक
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा, ‘‘वह आजीवन अपनी लेखनी के जरिए समाज के कमजोर तबकों के प्रति संवेदनशील रही और आदिवासियों, मध्यम वर्ग तथा महिलाओं के हितों के मुद्दे उठाकर उनके विरुद्ध होने वाले अन्याय, दमन, असमानता तथा भेदभाव के खिलाफ लड़ती रही। भारत के आदिवासी समुदाय के प्रति उन्हें बेहद लगावा था। महाश्वेता देवी उन लोगों की प्रतिनिधि थीं जिनकी आवाज सुनी नहीं जाती थी। वह जो बोलती उसके लिए आवाज उनके हृदय से आती थी।’’  

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