Edited By Harman Kaur,Updated: 28 Jul, 2024 03:54 PM
पंजाब और हिमाचल प्रदेश की सीमा पर स्थित कांगड़ा जिले के इंदौरा के पास काठगढ़ गांव में देश एक विशेष शिव मंदिर है। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां शिव के अर्धनारीश्वर रूप की पूजा की जाती है। यह मंदिर अन्य शिव मंदिरों से अलग है, क्योंकि यहां शिवलिंग...
नेशनल डेस्क: पंजाब और हिमाचल प्रदेश की सीमा पर स्थित कांगड़ा जिले के इंदौरा के पास काठगढ़ गांव में देश एक विशेष शिव मंदिर है। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां शिव के अर्धनारीश्वर रूप की पूजा की जाती है। यह मंदिर अन्य शिव मंदिरों से अलग है, क्योंकि यहां शिवलिंग दो हिस्सों में बंटा हुआ है:- एक भाग भगवान शिव का है और दूसरा मां पार्वती का। इन दोनों भागों के बीच का अंतर समय के साथ बदलता रहता है, जो ग्रह-नक्षत्रों के परिवर्तन से संबंधित माना जाता है। शिवलिंग की ऊंचाई शिव के रूप में 7 से 8 फीट और पार्वती के रूप में 5 से 6 फीट है।
काठगढ़ मंदिर का ऐतिहासिक महत्व और धार्मिक मान्यता
शिव पुराण के अनुसार, ब्रह्मा और विष्णु के बीच श्रेष्ठता को लेकर विवाद हुआ था। इस विवाद को सुलझाने के लिए भगवान शिव ने एक प्रकट स्तंभ के रूप में प्रकट होकर यह साबित किया कि ब्रह्मा और विष्णु दोनों बराबर हैं। यह प्रकट स्तंभ ही काठगढ़ के शिवलिंग के रूप में पूजा जाता है। ईशान संहिता के अनुसार, यह शिवलिंग फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की रात को प्रकट हुआ था।
मान्यता के अनुसार, भरत और शत्रुघ्न, जो अपने ननिहाल कैकय देश (कश्मीर) जाते थे, यहां पूजा-अर्चना करते थे। एक प्राचीन कहानी के अनुसार, विश्व विजेता सिकंदर ने 326 ईस्वी में मीरथल पहुंचकर 5000 सैनिकों के साथ वहां विश्राम किया। सिकंदर ने एक फकीर को शिवलिंग की पूजा करते देखा और प्रभावित होकर अष्टकोणीय चबूतरे का निर्माण कराया। इन दिनों काठगढ़ शिव मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन हो रहा है। यह मंदिर धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थल है, जहां हर साल श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।
पठानकोट और मीरथल से काठगढ़ शिव मंदिर तक पहुंचने का आसान मार्ग
मंदिर की कमेटी के प्रबंधक ओमप्रकाश कटोच के अनुसार, यहां श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए 25 कमरे उपलब्ध हैं। 29 जुलाई को यहां रुद्राभिषेक का आयोजन किया जाएगा। काठगढ़ मंदिर पठानकोट से 25 किलोमीटर और मीरथल से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आप पठानकोट से टैक्सी या निजी वाहन से मंदिर तक पहुंच सकते हैं। नजदीकी रेलवे स्टेशन मीरथल भी है जहां पैसेंजर ट्रेनें रुकती हैं। जालंधर-पठानकोट हाईवे पर स्थित मीरथल से बस से भी काठगढ़ पहुंचा जा सकता है।