Edited By Niyati Bhandari,Updated: 05 Nov, 2019 07:16 AM

कार्तिक पक्ष की शुक्ल नवमी को आंवला नवमी कहते हैं, इस दिन आंवला की विशेष पूजा होती है। आंवले के औषधीय गुणों से हम सभी परिचित हैं। इसके अतिरिक्त इस वृक्ष के पूजन के अनेकानेक आध्यात्मिक लाभ भी हैं।
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कार्तिक पक्ष की शुक्ल नवमी को आंवला नवमी कहते हैं, इस दिन आंवला की विशेष पूजा होती है। आंवले के औषधीय गुणों से हम सभी परिचित हैं। इसके अतिरिक्त इस वृक्ष के पूजन के अनेकानेक आध्यात्मिक लाभ भी हैं। मान्यता है आज के दिन श्री हरि विष्णु और भगवान शिव आंवले के पेड़ पर निवास करते हैं। चरक संहिता में इस दिन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया गया है, आज के दिन महर्षि च्यवन ने आंवला का सेवन करने के बाद युवा होने का वरदान प्राप्त किया था। कहते हैं जो लोग आज के दिन ये काम करते हैं, वे सदा जवान और खूबसूरत रहते हैं-
सुबह आंवले का रस नहाने के पानी में डालकर स्नान करें। आंवले के वृक्ष की पूजा करें। पूर्व दिशा की तरफ मुंह करके षोडशोपचार पूजा करें। आंवले की जड़ में दूध अर्पित करें। कर्पूर से आंवले के पेड़ की पूजा करने के बाद आरती करें। फिर सात बार परिक्रमा करें।
श्री हरि विष्णु और उनकी प्राण प्रिया देवी लक्ष्मी को आंवले का भोग लगा कर बांटें और अंत में खुद भी खाएं।
आंवले के पेड़ की छाया में बैठ कर सपरिवार भोजन करें। मान्यता के अनुसार खाना खाते समय यदि किसी के भोजन में या उस पर आंवले का पत्ता गिर जाए तो उसके वार-न्यारे हो जाते हैं।
आंवले का पौधा लगाएं।

इस दिन किया गया गौ, स्वर्ण तथा वस्त्र का दान अमोघ फलदायक होता है। इन वस्तुओं का दान देने से ब्राह्मण हत्या, गौ हत्या जैसे महापापों से बचा जा सकता है। आज के दिन जो भी पुण्य किया जाता है, उसका शुभ फल कई जन्मों तक समाप्त नहीं होता। आंवले के वृक्ष के नीचे ब्राह्मणों को भोजन कराएं तथा दान आदि दें तथा कथा का श्रवण करें। घर में आंवले का वृक्ष न हो तो किसी बगीचे में या गमले में आंवले का पौधा लगा कर यह काम सम्पन्न करना चाहिए।
आंवले के पेड़ के नीचे झाड़ू से साफ-सफाई करें। फिर दूध, फूल एवं धूप से पूजन करें। इसकी छाया में पहले ब्राह्मणों को भोजन करवाएं फिर स्वयं करें।

पुराणों के अनुसार भोजन करते वक्त थाली में आंवले का पत्ता गिर जाए तो आपके भविष्य के लिए यह मंगलसूचना का संकेत है। मान्यता के अनुसार आने वाला साल सेहत के लिए तंदरूस्ती भरा होगा। आंवले के पेड़ के नीचे भोजन करने की प्रथा का आरंभ देवी लक्ष्मी ने किया था।
आंवले की पूजा अथवा उसके नीचे बैठकर भोजन खाना संभव न हो तो आंवला जरूर खाएं।