Edited By Radhika,Updated: 19 Jul, 2025 11:05 AM

गाजियाबाद के बखरवा, मोदीनगर की रहने वाली आशा अपने पति सचिन और दो बच्चों के साथ हरिद्वार से गंगाजल लेकर कांवड़ यात्रा पर निकली हैं। उनके पति सचिन पिछले साल रीढ़ की हड्डी के ऑपरेशन के दौरान पैरालिसिस का शिकार हो गए थे, जिसके कारण अब वे चल नहीं पाते।
नेशनल डेस्क: गाजियाबाद के बखरवा, मोदीनगर की रहने वाली आशा अपने पति सचिन और दो बच्चों के साथ हरिद्वार से गंगाजल लेकर कांवड़ यात्रा पर निकली हैं। उनके पति सचिन पिछले साल रीढ़ की हड्डी के ऑपरेशन के दौरान पैरालिसिस का शिकार हो गए थे, जिसके कारण अब वे चल नहीं पाते। सचिन बीते 13 सालों से हर वर्ष पैदल चलकर कांवड़ यात्रा करते आ रहे थे। इस साल जब कांवड़ यात्रा का समय आया तो सचिन की लाचारी देखकर आशा ने खुद उन्हें हरिद्वार ले जाने और कंधे पर बिठाकर यात्रा पूरी करने का संकल्प लिया।
सेवा में ही मेवा: आशा का समर्पण
आशा का कहना है कि उन्होंने भगवान भोलेनाथ से मन्नत मांगी है कि उनके पति सचिन के पैर ठीक हो जाएं ताकि वे फिर से अपने पैरों पर चलकर कांवड़ यात्रा कर सकें। आशा मानती हैं कि पति की सेवा में ही मेवा है। रास्ते में मिलने वाले अन्य शिवभक्त कांवड़िए भी आशा के इस अद्भुत समर्पण की सराहना कर रहे हैं और उनका हौसला बढ़ा रहे हैं।

आर्थिक तंगी और आयुष्मान कार्ड का सहारा
सचिन पहले रंगाई-पुताई का काम करके परिवार का भरण-पोषण करते थे, लेकिन बीमारी के बाद से घर में कोई कमाने वाला नहीं है। आशा का कहना है कि वे गंभीर आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। उन्होंने बताया कि सचिन का इलाज आयुष्मान कार्ड के जरिए हुआ, जिसके लिए वे सरकार की आभारी हैं। यदि आयुष्मान कार्ड न होता तो शायद इलाज संभव ही नहीं हो पाता।

परिवार का साथ और बच्चों का धैर्य
आशा बताती हैं कि वे रुक-रुक कर चलती हैं और उनके दोनों बेटे भी उनके साथ पैदल चल रहे हैं। उनके बच्चे भी परिवार की आर्थिक स्थिति को समझते हुए कोई जिद नहीं करते। सचिन का ऑपरेशन पिछले साल 1 अगस्त को हुआ था और अब एक साल पूरा होने वाला है। आशा ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है ताकि उनके पति को कोई काम मिल सके या कुछ सुविधाएं मिलें।
सचिन की भावनाएँ: पत्नी की प्रेरणा
सचिन बताते हैं कि 13 जुलाई की शाम उनकी पत्नी ने अचानक हरिद्वार चलने को कहा, जबकि उनकी हालत ऐसी नहीं थी कि वे खड़े भी हो सकें। आशा ने उन्हें हिम्मत दी और कहा कि वे उन्हें नहलाकर लाएंगी। हरिद्वार में स्नान के बाद आशा ने सचिन से कहा कि वे उन्हें बाबा भोलेनाथ के मंदिर में अपने कंधों पर लेकर जाएंगी। सचिन बताते हैं कि वे 16 साल से कांवड़ लाते आ रहे हैं और हर की पौड़ी से बाबा कौशल नाथ के मंदिर में 13 कांवड़ चढ़ा चुके हैं।