Edited By Anu Malhotra,Updated: 12 Dec, 2025 01:58 PM
देहरादून और उत्तराखंड के रियल एस्टेट सेक्टर के लिए एक अहम चेतावनी जारी की गई है। विशेषज्ञों ने कहा है कि कई इलाकों में सक्रिय भूकंपीय फाल्ट लाइनों के कारण जमीन की स्थिरता से जुड़े गंभीर जोखिम मौजूद हैं। ऐसे में बिल्डर्स, घर खरीदने वाले उपभोक्ता और...
नेशनल डेस्क: देहरादून और उत्तराखंड के रियल एस्टेट सेक्टर के लिए एक अहम चेतावनी जारी की गई है। विशेषज्ञों ने कहा है कि कई इलाकों में सक्रिय भूकंपीय फाल्ट लाइनों के कारण जमीन की स्थिरता से जुड़े गंभीर जोखिम मौजूद हैं। ऐसे में बिल्डर्स, घर खरीदने वाले उपभोक्ता और बैंकिंग संस्थानों को किसी भी प्रॉपर्टी में निवेश से पहले विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
सार्वजनिक हित में जारी किए गए एक वीडियो में इन्हीं खतरों पर विस्तार से जानकारी दी गई है। वीडियो में बताया गया है कि दून घाटी और आसपास के कई ज़ोन भूवैज्ञानिक दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील हैं। यहाँ निर्माण की अनुमति से पहले भू-अध्ययन, फाल्ट लाइन मैप, और स्थानीय मास्टर प्लान की तकनीकी सिफारिशों का पालन बेहद जरूरी है। bविशेषज्ञों ने चेताया है कि बिना जांचे-परखे किए गए निवेश भविष्य में बड़े वित्तीय जोखिम में बदल सकते हैं। कई इलाकों में ऐसे स्थान चिह्नित हुए हैं जहाँ फाल्ट लाइनों के पास निर्माण पर रोक या सीमित निर्माण की अनुमति का प्रस्ताव रखा गया है।
वीडियो में यह भी कहा गया है कि—
-खरीदारों को कब्जा लेने से पहले भूमि की भू-स्थिरता रिपोर्ट अवश्य देखनी चाहिए।
-बिल्डर्स को निर्माण मानकों और भूकंप-रोधी डिज़ाइन को प्राथमिकता देनी चाहिए।
-बैंक और वित्तीय संस्थाओं को जोखिम वाले ज़ोन में लोन स्वीकृति से पहले तकनीकी परीक्षण करवाना चाहिए।
मिली जानकारी के अनुसार, भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा जारी नए सिस्मिक हज़ार्ड मैप में देहरादून को अब देश के सबसे अधिक संवेदनशील जोन-6 में रखा गया है। इसका मतलब है कि यह इलाका भूकंप के खतरे की दृष्टि से पहले माने जाने वाले जोन-4 और जोन-5 से भी अधिक जोखिम वाला क्षेत्र बन चुका है। हिमालयी क्षेत्र में भूगर्भीय हलचलों का इतिहास पुराना है, और दून घाटी उसी बदलते भू-विज्ञान का हिस्सा रही है। यही वजह है कि मसूरी–देहरादून विकास प्राधिकरण (MDDA) ने जब 2041 तक का GIS आधारित मास्टर प्लान तैयार किया, तो इसमें भूमि के नीचे मौजूद फाल्ट लाइनों को विशेष प्राथमिकता दी गई। योजना में ऐसे क्षेत्रों में निर्माण पर सख्त प्रतिबंध की सलाह दी गई है। दुर्भाग्य से, यह महत्वपूर्ण मास्टर प्लान अभी तक जमीन पर लागू नहीं हो पाया है।
दून में 31 फाल्ट और 25 संवेदनशील क्षेत्र—क्यों बड़ा खतरा मौजूद है?
दून का भौगोलिक ढांचा बेहद जटिल है। हिमालय की उत्पत्ति के समय बने दो बड़े भ्रंश—
—पूरे क्षेत्र को प्रभावित करते हैं। इनके साथ ही दून में 29 छोटे-बड़े सक्रिय फाल्ट/थ्रस्ट भी मौजूद हैं। भूवैज्ञानिकों का कहना है कि इतने अधिक एक्टिव फाल्ट्स वाले क्षेत्र में किसी भी समय शक्तिशाली भूकंप आ सकता है।
25 स्थान जहां फाल्ट लाइनें सीधा असर डालती हैं
फाल्ट लाइनें निम्नलिखित बस्तियों और इलाकों को काटती हैं या इनके बहुत करीब से गुजर रही हैं:
भैंसवाड़ गांव, सरखेत, तिमली मान सिंह, नाथुआवाला, काला गांव, दुगल गांव, राजपुर, चालंग, तरला नागल, डांडा धोरण, चकतुनवाला, भंडार गांव, सिडकुल आईटी पार्क क्षेत्र, आमवाला उपरला, आमवाला करनपुर, मोहकमपुर खुर्द, हटवाल गांव, पुरकुल, सलान गांव, धर्मपुर (रिस्पना नदी क्षेत्र), केदारपुर, गुजराड़ा मान सिंह, अंबीवाला।
(कई क्षेत्रों में फाल्ट सीधे क्रॉस करते हैं, जबकि कुछ जगह बेहद निकट से गुजरते हैं।)
निर्माण के लिए सख्त नियम: फाल्ट से 50 मीटर तक नो-कंस्ट्रक्शन ज़ोन
MDDA द्वारा तैयार मास्टर प्लान के अनुसार:
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फाल्ट लाइन के दोनों ओर 50 मीटर तक निर्माण पूरी तरह वर्जित होना चाहिए।
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इसके आगे 100 मीटर का बफर ज़ोन तय किया गया है, जहाँ केवल लो-राइज बिल्डिंग्स की अनुमति होगी।
अगर यह नीति लागू हो जाती है, तो यह देश का पहला मास्टर प्लान होगा जिसमें भूकंपीय फाल्ट की सक्रियता के आधार पर ज़ोनिंग तय की गई है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इसे अमल में लाना चुनौती है, लेकिन दून घाटी की संवेदनशीलता के मद्देनज़र यह बेहद जरूरी कदम है।
वाडिया संस्थान का शोध बना आधार—29 फाल्ट को मैप कर प्लान में जोड़ा गया
वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वरिष्ठ भूवैज्ञानिक डॉ. आर. जे. पेरुमल ने ‘एक्टिव टेक्टोनिक्स ऑफ कुमाऊं एंड गढ़वाल हिमालय’ शीर्षक से विस्तृत अध्ययन किया है। इसमें दून घाटी में फैली सभी 29 फाल्ट लाइनों की पहचान और मैपिंग की गई। नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग ने इन्हीं शोधों के आधार पर फाल्ट लाइनों को सटीक कोऑर्डिनेट्स सहित मास्टर प्लान में शामिल किया है।
ये फाल्ट कितने पुराने?—15 हजार से 5 लाख वर्ष तक की आयु
दून में सक्रिय पाए गए फाल्ट की उम्र 15,000 वर्ष से लेकर 5 लाख वर्ष तक मानी जाती है।
मुख्य सक्रिय फाल्ट में शामिल हैं: