सही नाम के लिए लड़ता रहा 55 साल, मिला तो खुशी से मौत

Edited By ,Updated: 26 May, 2016 08:22 PM

articlethe success came 55 years later was pleasantly death

पांच दशक तक वो शख्स ज़मीन से जुड़े रिकॉड्र्स में अपने नाम की स्पैलिंग ठीक कराने के लिए संघर्ष करता रहा...

बीकानेर  : पांच दशक तक वो शख्स ज़मीन से जुड़े रिकॉड्र्स में अपने नाम की स्पैलिंग ठीक कराने के लिए संघर्ष करता रहा। पिछले हफ्ते उस शख्स को जैसे ही अपने बेटे से पता चला कि उसके नाम की स्पैलिंग ठीक हो गई है, ठीक उसी वक्त उसने दम तोड़ दिया।
मामला बीकानेर जि़ले के जैमलसार गांव का है। यहां के निवासी मांगीदास जब सिर्फ 20 साल के थे तो उनके पिता नरिसिंहदास का निधन हो गया था। पिता ने मांगीदास के लिए 10 बीघा ज़मीन नोखा दाइया गांव में और 40 बीघा ज़मीन जैमलसार गांव के बाहर छोड़ी। लेकिन जब ये ज़मीन मांगीदास के नाम ट्रांसफर हुई तो किसी ने ग़लती से उनका नाम मांगनीदास लिख दिया।
 
नाम की स्पैलिंग में इस गलती ने मांगीदास का जीना मुहाल कर दिया। नाम की स्पैलिंग को ठीक कराने के लिए शुरू की गई उनकी मुहिम 55 साल तक चलती रही, लेकिन लालफीताशाही के चलते इतने सालों तक उन्हें राहत नहीं मिल सकी। मांगीदास के बेटे बाबूदास ने बताया कि मेरे पिता ने नाम को सही कराने के लिए अथक प्रयास किए क्योंकि सरकारी रिकॉड्र्स में उनकी किसान की पहचान साबित नहीं हो पा रही थी। यहां तक कि वो किसान क्रेडिट कार्ड पाने के भी हक़दार नहीं थे क्योंकि उनका नाम सरकारी कागज़ात वाले नाम से मेल नहीं खाता था।
 
आखिर मांगीदास की मुहिम 55 साल बाद रंग लाई। जैमलसार पंचायत मुख्यालय में 21 मई को न्याय आपके द्वार कैम्प में मांगीदास के नाम की स्पैलिंग सरकारी रिकॉड्र्स में ठीक की गई।
 
मांगीदास के दूसरे बेटे जानकीदास ने बताया कि उन्होंने नाम सही कराने के लिए सारी औपचारिकताएं पूरी कराने के बाद हलफनामे पर पिता के अंगूठे का निशान लगवाया। मांगीदास को पहली बार में तो विश्वास ही नहीं हुआ कि उनका नाम रिकॉड्र्स में ठीक हो गया है। जानकीदास के मुताबिक जब तक वो नाम के ठीक होने का सरकारी कागज़ लेकर आए तब तक उनके पिता दम तोड़ चुके थे। जानकीदास के मुताबिक उनके पिता की मृत्यु खुशी के अतिरेक की वजह से हुई।
 
कैंप में आए एक राजस्व अधिकारी ने बताया कि उन्हें पता नहीं था कि मांगीदास ने इतने साल तक अपने नाम ठीक कराने के लिए प्रयास किए थे। राजस्व अधिकारी के मुताबिक उनकी क्षेत्र में हाल में पोस्टिंग हुई है और जैसे ही उनके सामने नाम ठीक करने की अर्जी आई, वैसे ही उस पर कार्रवाई की गई। लेकिन दुर्भाग्य से नाम के सही होने वाले सरकारी सबूत को खुद अपनी आंखों से देखने से पहले ही मांगीदास चल बसे।

 

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