बाबरी मस्जिद गिराने का मामला: न्यायालय ने फैसला सुनाने के लिए समयसीमा 30 सितंबर तक बढ़ाई

Edited By Pardeep,Updated: 22 Aug, 2020 08:42 PM

babri masjid case court extends deadline to give its verdict till 30 september

उच्चतम न्यायालय ने 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में मुकदमा पूरा करने के लिए समयसीमा एक महीने बढ़ा दी है और विशेष सीबीआई अदालत से कहा है कि 30 सितंबर तक फैसला सुना दिया जाना चाहिए। मामले में वरिष्ठ

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में मुकदमा पूरा करने के लिए समयसीमा एक महीने बढ़ा दी है और विशेष सीबीआई अदालत से कहा है कि 30 सितंबर तक फैसला सुना दिया जाना चाहिए। मामले में वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती सहित 32 लोग आरोपी हैं। लखनऊ स्थित विशेष सीबीआई अदालत मामले में दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 313 के तहत 32 आरोपियों के बयान दर्ज करने का काम पूरा कर चुकी है। शीर्ष अदालत ने पूर्व में मुकदमा पूरा करने और फैसला सुनाने के लिए 31 अगस्त तक की समयसीमा तय की थी। 
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न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन, न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की पीठ ने विशेष न्यायाधीश एस के यादव द्वारा दायर की गई रिपोर्ट का संज्ञान लिया और समयसीमा 30 सितंबर तक बढ़ा दी। पीठ ने कहा, ‘‘विद्वान विशेष न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार यादव द्वारा दायर रिपोर्ट को पढ़ने के बाद और इस तथ्य पर विचार करते हुए कि कार्यवाही पूरी होने के कगार पर है, हम कार्यवाही पूरी करने और निर्णय सुनाने के लिए 30 सितंबर 2020 तक एक महीने का समय देते हैं।'' आदेश 19 अगस्त को पारित किया गया और इसे हाल में शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किया गया। शीर्ष अदालत ने गत आठ मई को मामले में मुकदमा पूरा करने के लिए तीन महीने का समय बढ़ा दिया था और कहा था कि 31 अगस्त तक फैसला सुना दिया जाना चाहिए। 
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कारसेवकों ने छह दिसंबर 1992 को अयोध्या स्थित बाबरी मस्जिद को गिरा दिया था जिनका मानना था कि इस मस्जिद का निर्माण भगवान राम की जन्मभूमि पर बने मंदिर को तोड़कर किया गया था। राम मंदिर आंदोलन के समय अग्रणी भूमिका में रहे पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी और वरिष्ठ भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अपनी गवाही दी थी। अदालत कल्याण सिंह और उमा भारती जैसे दिग्गज भाजपा नेताओं के बयान भी दर्ज कर चुकी है। ये दोनों अदालत के समक्ष व्यक्तिगत रूप से पेश हुए थे। आडवाणी का बयान पांच अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर के लिए हुए भूमि पूजन से कुछ दिन पहले ही दर्ज किया गया था। 
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उच्चतम न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने पिछले साल ऐतिहासिक निर्णय में दशकों पुराने विवाद का समाधान करते हुए अयोध्या में संबंधित भूमि पर राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया था और मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए पांच एकड़ का प्लॉट आवंटित किए जाने का भी आदेश दिया था। मस्जिद गिराने के मामले में भाजपा नेता विनय कटियार और साध्वी रितंभरा भी आरोपी हैं। मामले में आरोपी विश्व हिन्दू परिषद के नेताओं-गिरिराज किशोर, अशोक सिंघल और विष्णु हरि डालमिया का मुकदमे के दौरान निधन हो गया। मस्जिद गिराए जाने की घटना के समय कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। 

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