Edited By Anu Malhotra,Updated: 13 Aug, 2025 01:03 PM

बंगाली फिल्म इंडस्ट्री के एक सम्मानित चेहरे और वरिष्ठ अभिनेत्री बसंती चटर्जी का निधन 13 अगस्त की रात कोलकाता में उनके घर हुआ। 88 वर्ष की उम्र में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। लंबे समय से गंभीर बीमारी से जूझ रही बसंती ने पिछले कुछ महीनों में...
नेशनल डेस्क: बंगाली फिल्म इंडस्ट्री के एक सम्मानित चेहरे और वरिष्ठ अभिनेत्री बसंती चटर्जी का निधन 13 अगस्त की रात कोलकाता में उनके घर हुआ। 88 वर्ष की उम्र में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। लंबे समय से गंभीर बीमारी से जूझ रही बसंती ने पिछले कुछ महीनों में अपना स्वास्थ्य काफी खो दिया था, लेकिन उनका अभिनय और समर्पण आज भी सबके दिलों में जिंदा है।
बसंती चटर्जी ने अपनी कला की शुरुआत थिएटर से की थी, जहां उन्होंने मंच पर अभिनय की बारीकियां सीखी। इसी मंचीय अनुभव ने उन्हें पर्दे पर खास पहचान दिलाई। उनका संवाद प्रस्तुतीकरण, भावनाओं की गहराई और हर किरदार को जीने का अंदाज उन्हें बंगाली सिनेमा की एक स्थापित अभिनेत्री बनाता था। उनकी भूमिकाओं में पारंपरिक माताओं, दादियों और समाज की कठिनाइयों से जूझती महिलाओं की कहानियां शामिल थीं, जिन्हें उन्होंने पूरी सहजता और स्वाभाविकता से निभाया।
50 वर्षों से भी अधिक समय तक अभिनय के सफर में बसंती चटर्जी ने 100 से ज्यादा फिल्मों में काम किया। ‘ठगिनी’, ‘मंजरी ओपेरा’, ‘आलो’ जैसी फिल्मों में उनका अभिनय दर्शकों के दिलों को छू गया। इसके अलावा, वे टेलीविजन धारावाहिकों में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराती रहीं। ‘भूतु’, ‘बोरॉन’, ‘दुर्गा दुर्गेश्वरी’ जैसे लोकप्रिय शो में उनकी भूमिका को काफी सराहा गया। उनकी अंतिम स्क्रीन उपस्थिति ‘गीता एलएलबी’ सीरियल में हुई, जहां शूटिंग के दौरान उनकी तबीयत अचानक बिगड़ी।
बीमारी के बावजूद अदम्य जज़्बा
कैंसर से जूझती हुई भी बसंती ने अभिनय का दामन नहीं छोड़ा। अस्पताल में लंबी अवधि तक रहने के बाद भी, जब स्थिति गंभीर हुई, तो उन्हें घर लाया गया जहां पेशेवर देखरेख में उनका इलाज चलता रहा। इस बीच उन्होंने कभी भी अपनी कला से दूरी नहीं बनाई, जो उनके जुनून और समर्पण का परिचायक था।
सिनेमा जगत में गहरा मातम
बसंती चटर्जी के निधन से बंगाली फिल्म उद्योग में शोक की लहर दौड़ गई। अभिनेता भास्वर चटर्जी ने कहा कि भले ही उनका शरीर कमजोर था, लेकिन उनका अभिनय हमेशा याद रहेगा। बसंती का जाना न केवल एक कलाकार के निधन जैसा है, बल्कि एक पूरे युग के खत्म होने जैसा भी है। उनका योगदान और संघर्ष सभी के लिए प्रेरणा है, जिन्होंने कला के प्रति अपने प्रेम को जीवन भर जीवित रखा।