Edited By Radhika,Updated: 14 Nov, 2025 01:49 PM

देशभर की निगाहें आज बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों पर टिकी हुई हैं। अभी तक सामने आए एग्जिट पोल के नतीजों के अनुसार NDA ने बढ़त हासिल कर रही है। अगर ये अनुमान सच साबित हुए तो राज्य की सत्ता की चाबी एक बार फिर नीतीश कुमार के पास जाएगी और वह...
नेशनल डेस्क: देशभर की निगाहें आज बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों पर टिकी हुई हैं। अभी तक सामने आए एग्जिट पोल के नतीजों के अनुसार NDA ने बढ़त हासिल कर रही है। अगर ये अनुमान सच साबित हुए तो राज्य की सत्ता की चाबी एक बार फिर नीतीश कुमार के पास जाएगी और वह मुख्यमंत्री के रूप में एक नया इतिहास रच देंगे। बिहार की राजनीति में पिछले दो दशकों से एक बात लगभग स्थायी रही है। सत्ता की कमान हमेशा नीतीश कुमार के हाथों में रही है, भले ही चुनावी समीकरण या गठबंधन बदल गए हों।
आइए जानते हैं बिहार की राजनीति के 'स्थायी सीएम' नीतीश कुमार के अब तक के मुख्यमंत्री बनने की रोचक कहानी:

नीतीश कुमार के राजनीतिक सफर की मुख्य बातें
- रिकॉर्ड संख्या में मुख्यमंत्री पद: नीतीश कुमार अब तक 9 बार बिहार के सीएम के तौर पर शपथ ले चुके हैं, जो भारतीय राजनीति में एक दुर्लभ रिकॉर्ड है। यदि 2025 के चुनाव परिणाम NDA के पक्ष में आते हैं, तो वह 10वीं बार सीएम बनकर एक नया कीर्तिमान स्थापित करेंगे।
- सबसे छोटा कार्यकाल: उनका पहला कार्यकाल साल 2000 में सिर्फ 7 दिनों का रहा, क्योंकि वह बहुमत साबित नहीं कर पाए थे।
- गठबंधन बदलने में महारत: नीतीश कुमार ने सत्ता में बने रहने के लिए कई बार गठबंधन बदले हैं, जिसके लिए उन्हें 'पलटू राम' का उपनाम भी मिला है। उन्होंने भाजपा के नेतृत्व वाले NDA और राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन दोनों के साथ मिलकर सरकार बनाई है। वह 2013, 2017, 2022 और 2024 में कम से कम चार बार गठबंधन बदलकर सत्ता में बने रहने का नाटकीय निर्णय ले चुके हैं।
- सत्ता का स्थायी केंद्र: गठबंधन में उतार-चढ़ाव के बावजूद पिछले दो दशकों से सत्ता की चाबी हमेशा उनके पास रही है, जिसने उन्हें बिहार की राजनीति का 'स्थायी सीएम' बना दिया है।
- सीटों का उतार-चढ़ाव: 2010 में JDU ने 115 सीटें जीतकर रिकॉर्ड बनाया था, लेकिन 2020 में यह संख्या घटकर 43 रह गई थी, जिसके बावजूद NDA ने उन्हें ही सीएम बनाया।
एग्जिट पोल में NDA बढ़त के साथ आगे: 2025 के एग्जिट पोल एक बार फिर NDA को बहुमत दे रहे हैं, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या नीतीश कुमार गठबंधन की राजनीति में इस बार भी खुद को केंद्र में बनाए रख पाते हैं।