मुंबई में आतंकी हमले के बाद अमेरिकी दबाव में झुकी थी UPA सरकार, BJP ने विपक्ष पर लगाए गंभीर आरोप

Edited By Updated: 05 Oct, 2025 06:18 AM

bjp made serious allegations against the opposition

भाजपा ने शनिवार को आरोप लगाया कि 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले के बाद कांग्रेस नीत संप्रग सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की क्योंकि वह ‘‘अमेरिकी दबाव के आगे झुक गई थी।' भाजपा ने पूर्व केंद्रीय मंत्रियों पी. चिदंबरम और मनीष तिवारी...

नेशनल डेस्कः भाजपा ने शनिवार को आरोप लगाया कि 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले के बाद कांग्रेस नीत संप्रग सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की क्योंकि वह ‘‘अमेरिकी दबाव के आगे झुक गई थी।'' भाजपा ने पूर्व केंद्रीय मंत्रियों पी. चिदंबरम और मनीष तिवारी की हालिया टिप्पणियों का हवाला देते हुए विपक्षी दल पर निशाना साधा।

यहां भाजपा मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से यह स्पष्ट करने को कहा कि मनमोहन सिंह सरकार ने भारत के आंतरिक मामलों में विदेशी “हस्तक्षेप” की अनुमति क्यों दी। उन्होंने मांग की है कि कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी हाल ही में चिदंबरम द्वारा एक समाचार चैनल को दिए गए साक्षात्कार में किए गए “खुलासों” पर सफाई दें।

भाटिया ने कहा कि तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री चिदंबरम ने साक्षात्कार में कहा था कि “पूरी दुनिया दिल्ली पर टूट पड़ी ताकि पाकिस्तान के खिलाफ प्रतिशोध की कार्रवाई को रोका जा सके।” कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने यह भी कहा कि तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री कोंडोलीजा राइस ने उनसे और तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से “प्रतिक्रिया न देने” को कहा था। भाजपा प्रवक्ता ने कहा, “और कोई कार्रवाई नहीं की गई।” भाटिया ने आरोप लगाया, “कांग्रेस के शासनकाल में 26/11 के हमले के बाद जब भारत कड़ी प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहा था, सोनिया गांधी वाशिंगटन से निर्देशों का इंतजार कर रही थीं। यह समझौतावादी और कमजोर कांग्रेसनीत संप्रग सरकार की विदेश नीति थी।”

भाजपा प्रवक्ता ने मीडिया में आई खबरों का हवाला देते हुए कहा कि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने भी चिदंबरम द्वारा किए गए खुलासों को “गंभीर चिंता” का विषय बताया है। भाटिया ने कहा कि विपक्ष 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पर सवाल उठा रहा था, जबकि भारतीय सशस्त्र बलों ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों और हवाई ठिकानों को नष्ट कर दिया था। उन्होंने पूछा, “हम आज सवाल पूछना चाहते हैं...कांग्रेस सरकार के दौरान विदेशी ताकतें भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी फैसलों में कैसे दखल दे रही थीं? सोनिया गांधी ने भारत की संप्रभुता को एक विदेशी ताकत के हाथों कैसे गिरवी रख दिया?” भाटिया ने कहा कि चिदंबरम ने यह भी कहा है कि संप्रग सरकार ने अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण जवाबी कार्रवाई नहीं करने का फैसला किया।

भाटिया ने पूछा, “यह कैसी विदेश नीति थी?...राहुल गांधी कहां हैं? क्या वह देश की जनता के प्रति जवाबदेह नहीं हैं?” उन्होंने पूछा, “राहुल गांधी की प्राथमिकता क्या है? क्या सिर्फ एक देश में जाना, चार दिन वहां रहना, भारत के खिलाफ साजिश रचकर भारत को कमजोर करना, भारत को बदनाम करना, और देश के नागरिकों द्वारा उठाए जा रहे जरूरी सवालों का जवाब न देना?” कोलंबिया में गांधी की हालिया टिप्पणी को लेकर उन पर निशाना साधते हुए भाटिया ने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेता “जो मुंबई आतंकवादी हमले के बाद सुबह चार बजे तक पार्टी कर रहे थे”, विदेश जाकर विदेशी धरती पर कहते हैं कि भारत विश्व का नेतृत्व नहीं करना चाहता। भाजपा प्रवक्ता ने गांधी से पूछा, “अरे अपरिपक्व बालक, कांग्रेस का नेतृत्व तुम नहीं कर पा रहे, तो भारत को बदनाम करोगे अब?'' उन्होंने आरोप लगाया कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी दोनों को इतिहास में “विश्वासघाती” के रूप में याद किया जाएगा।

भाटिया ने कहा कि भारतीय सशस्त्र बल मुंबई हमलों के बाद पाकिस्तान को करारा सबक सिखाने में सक्षम थे, और उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के समान ही वीरता दिखाई, लेकिन ऐसा इसलिए नहीं हो सका क्योंकि “सोनिया गांधी रिमोट कंट्रोल के जरिए मनमोहन सिंह से प्रतिक्रिया न देने के लिए कह रही थीं”।

भाजपा प्रवक्ता ने मीडिया की खबरों का हवाला देते हुए कहा, “तत्कालीन एयर चीफ मार्शल फली होमी मेजर ने मनमोहन सिंह सरकार से स्पष्ट कहा था कि अगर उन्हें खुली छूट दे दी जाए तो पाकिस्तान को ऐसा सबक सिखाया जाएगा कि वह भारत में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने की कभी हिम्मत नहीं कर पाएगा।” उन्होंने कहा कि फिर भी, कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार पाकिस्तान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने और भारत की संप्रभुता की रक्षा करने की अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी को पूरा करने का साहस नहीं जुटा सकी, क्योंकि वह “विदेशी ताकतों की कठपुतली” बन गई थी।

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