Edited By Rohini Oberoi,Updated: 06 Dec, 2025 11:01 AM

देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की विरासत को लेकर कांग्रेस और सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच एक बार फिर तीखी जुबानी जंग (Heated Verbal Battle) शुरू हो गई है। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी ने नेहरू को बदनाम करने के...
नेशनल डेस्क। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की विरासत को लेकर कांग्रेस और सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच एक बार फिर तीखी जुबानी जंग (Heated Verbal Battle) शुरू हो गई है। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी ने नेहरू को बदनाम करने के व्यवस्थित प्रयास का आरोप लगाया है जिस पर भाजपा ने करारा पलटवार किया है।
सोनिया गांधी के गंभीर आरोप
नेहरू सेंटर इंडिया के शुभारंभ के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में सोनिया गांधी ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू को बदनाम करने की परियोजना (Project to Defame Jawaharlal Nehru) आज सत्ताधारी दल का मुख्य लक्ष्य है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस प्रयास का एकमात्र उद्देश्य नेहरू के व्यक्तित्व को कमतर आंकना नहीं है, बल्कि "उन सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक बुनियादों को नष्ट करना" है जिन पर आज के स्वतंत्र भारत की स्थापना हुई थी। गांधी ने इसे "इतिहास को फिर से लिखने का एक अशिष्ट और स्वार्थी प्रयास" बताया और कहा कि यह "पूरी तरह से अस्वीकार्य" है।
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उन्होंने दावा किया कि नेहरू को कमतर आंकने की कोशिश करने वाले लोग उस विचारधारा से जुड़े हैं जिसकी स्वतंत्रता आंदोलन और संविधान निर्माण में कोई भूमिका नहीं थी और जिसने महात्मा गांधी की हत्या वाले माहौल को हवा दी थी। सोनिया गांधी ने ज़ोर देकर कहा कि नेहरू भारत के करोड़ों नागरिकों के लिए "एक प्रकाश स्तंभ" की तरह काम करते रहेंगे।
भाजपा का पलटवार: 'नेहरू' उपनाम क्यों नहीं जोड़ा?
सोनिया गांधी के आरोपों पर पलटवार करते हुए भाजपा प्रवक्ता टॉम वडक्कन ने कांग्रेस पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाया। वडक्कन ने कहा कि अगर सोनिया गांधी को नेहरू के प्रति इतना सम्मान होता तो उन्होंने 'नेहरू' उपनाम को अपने वंश में क्यों नहीं जोड़ा? उन्होंने कहा, "अगर वे अब भी नेहरू की बजाय गांधी उपनाम का इस्तेमाल करना पसंद करते हैं, तो कहीं न कहीं कोई समस्या है।"
भाजपा प्रवक्ता ने कांग्रेस पर ही नेहरू के योगदान को कम आंकने का दावा किया। उन्होंने कहा कि भाजपा नेहरू का अनादर नहीं कर रही बल्कि कांग्रेस ने ही घोटालों से लेकर 1962 के भारत-चीन युद्ध तक नेहरू की "ऐतिहासिक गलतियों" को छुपाने की कोशिश की। वडक्कन ने ज़ोर देकर कहा कि जब सच्चाई सबके सामने आती है तो इसका व्यवस्था से कोई लेना-देना नहीं होता बल्कि यह "ऐतिहासिक सच्चाई" होती है।