मिल गया कैंसर का इलाज! अब बिना इम्यून सिस्टम के खत्म होगा ट्यूमर

Edited By Updated: 27 Aug, 2025 08:00 PM

cancer cure found this therapy will eliminate tumor directly

कैंसर के इलाज में जल्द ही एक नई और प्रभावशाली थेरेपी आ सकती है, जिसे जापान के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है। जापान एडवांस्ड इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (JAIST) के शोधकर्ताओं ने एक बैक्टीरिया आधारित इलाज तैयार किया है, जो बिना शरीर के इम्यून...

नेशनल डेस्क: कैंसर के इलाज में जल्द ही एक नई और प्रभावशाली थेरेपी आ सकती है, जिसे जापान के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है। जापान एडवांस्ड इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (JAIST) के शोधकर्ताओं ने एक बैक्टीरिया आधारित इलाज तैयार किया है, जो बिना शरीर के इम्यून सिस्टम की मदद के भी कैंसर ट्यूमर को नष्ट करने में सक्षम है। इसे "AUN थेरेपी" नाम दिया गया है। यह खोज उन मरीजों के लिए नई उम्मीद बन सकती है, जो अब तक की इम्यूनोथैरेपी या अन्य इलाज से फायदा नहीं उठा पाए हैं।

150 साल पुरानी खोज से निकली नई राह

कैंसर के इलाज में इम्यून सिस्टम को हथियार बनाने की कोशिशें 19वीं सदी से जारी हैं।
डॉ. विलियम कोली ने सबसे पहले इम्यूनोथैरेपी जैसी पद्धति की शुरुआत की थी। हालांकि इसमें एक बड़ी दिक्कत ये थी कि जिन मरीजों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, उनके लिए यह इलाज असरदार नहीं होता।

इस कमी को दूर करते हुए JAIST के वैज्ञानिकों ने ऐसी थेरेपी तैयार की है जो इम्यून सिस्टम पर निर्भर नहीं है और सीधे कैंसर सेल्स को निशाना बनाती है।

कैसे काम करती है AUN थेरेपी?

यह थेरेपी दो खास बैक्टीरिया के मेल से बनती है:

  • A-gyo: यह ट्यूमर तक जाकर कैंसर कोशिकाओं और उनकी रक्त वाहिकाओं (ब्लड वेसल्स) पर सीधा हमला करता है।
  • UN-gyo: यह A-gyo को नियंत्रित रखता है ताकि शरीर के अन्य हिस्सों में संक्रमण न फैले और केवल ट्यूमर को ही नुकसान पहुंचे।

बैक्टीरिया के अनुपात में चौंकाने वाला बदलाव

  • जब थेरेपी दी जाती है, तब इसमें केवल 3% A-gyo और 97% UN-gyo होता है।
  • लेकिन ट्यूमर के अंदर पहुंचने के बाद यह अनुपात बदलकर लगभग 99% A-gyo हो जाता है।

इस बदलाव के चलते ट्यूमर तेजी से नष्ट होने लगता है, लेकिन बाकी शरीर पर इसका कोई गंभीर साइड इफेक्ट नहीं होता।

इम्यूनोथैरेपी से क्यों अलग है AUN थेरेपी?

  • पारंपरिक इम्यूनोथैरेपी, जैसे CAR-T सेल या चेकपॉइंट इनहिबिटर, तभी असर करती है जब शरीर का इम्यून सिस्टम सक्रिय हो।
  • लेकिन AUN थेरेपी इम्यून सिस्टम पर निर्भर नहीं है।
  • रिसर्च में पाया गया कि कमजोर इम्यून सिस्टम वाले मरीजों में भी ट्यूमर खत्म हो गया।
  • साथ ही इसमें साइटोकाइन रिलीज सिंड्रोम जैसे गंभीर दुष्प्रभाव नहीं देखे गए।

जल्द शुरू होगा क्लिनिकल ट्रायल

इस रिसर्च का नेतृत्व कर रहे प्रोफेसर एजीरो मियाको ने बताया कि आने वाले वर्षों में इसका क्लिनिकल ट्रायल शुरू किया जाएगा।
उनका लक्ष्य है कि अगले 6 वर्षों में यह थेरेपी आम मरीजों तक पहुंच सके। इसके लिए वैज्ञानिकों की टीम एक स्टार्टअप शुरू करने की योजना भी बना रही है।

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