Edited By Pardeep,Updated: 11 Dec, 2025 10:20 PM

पाकिस्तान में पहली बार आज़ादी के बाद संस्कृत की पढ़ाई को फिर से शुरू किया गया है। लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट साइंस (LUMS) ने तीन महीने लंबी संस्कृत वर्कशॉप के बाद अब आधिकारिक तौर पर संस्कृत का कोर्स शुरू कर दिया है। इस वर्कशॉप में बड़ी संख्या...
इंटरनेशनल डेस्कः पाकिस्तान में पहली बार आज़ादी के बाद संस्कृत की पढ़ाई को फिर से शुरू किया गया है। लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट साइंस (LUMS) ने तीन महीने लंबी संस्कृत वर्कशॉप के बाद अब आधिकारिक तौर पर संस्कृत का कोर्स शुरू कर दिया है। इस वर्कशॉप में बड़ी संख्या में छात्र, शिक्षक और प्रोफेशनल लोग शामिल हुए थे, जिसके बाद यूनिवर्सिटी ने इसे अपने नियमित कोर्स में शामिल करने का फैसला लिया।
अब LUMS की योजना रामायण, भगवद गीता, और महाभारत जैसे भारतीय महाकाव्यों पर भी अलग कोर्स और रिसर्च शुरू करने की है। यह पाकिस्तान के लिए एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।
लाहौर में आज़ादी के बाद पहली बार संस्कृत का पाठ
1947 के बाद पाकिस्तान में संस्कृत की पढ़ाई लगभग बंद हो चुकी थी। लेकिन LUMS में पिछले तीन महीनों से चली वर्कशॉप में: संस्कृत व्याकरण, प्राचीन साहित्य, पुराण, वैदिक मंत्र और भाषा की उत्पत्ति जैसे विषय पढ़ाए गए। यह पाकिस्तान में संस्कृत की शिक्षा का एक नया अध्याय माना जा रहा है।
यूनिवर्सिटी में रेगुलर संस्कृत कोर्स शुरू
LUMS ने वर्कशॉप के बाद चार-क्रेडिट का रेगुलर विश्वविद्यालय कोर्स शुरू किया है।
इसकी खास बातें: यह पूरी तरह ऑफिशियल और डिग्री कोर्स का हिस्सा है, फिलहाल सीटें सीमित हैं। 2027 तक सीटें बढ़ाकर इसे संस्कृत डिप्लोमा कोर्स के रूप में चलाने की योजना है और कोर्स में बेसिक से एडवांस तक पढ़ाई कराई जाएगी।
रामायण, गीता और महाभारत पर रिसर्च भी होगी
LUMS के गुरमानी सेंटर के डायरेक्टर डॉ. अली उस्मान कासमी ने बताया कि आने वाले 10–15 साल में पाकिस्तान में संस्कृत पढ़ने-लिखने वाले बड़े स्तर के विद्वान तैयार होंगे। यूनिवर्सिटी महाभारत, गीता और रामायण पर रिसर्च को प्रोत्साहन देगी। पाकिस्तानी छात्रों को दक्षिण एशियाई इतिहास और सभ्यता को गहराई से समझने का मौका मिलेगा।
पाकिस्तान में संस्कृत की पढ़ाई क्यों जरूरी मानी जा रही है?
डॉ. कासमी का तर्क:
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कई इतिहासकार मानते हैं कि वेदों की रचना इसी क्षेत्र में हुई थी
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संस्कृत दक्षिण एशियाई भाषाओं का आधार है
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पंजाबी, पश्तो, सिंधी, बलूची और फ़ारसी जैसे कई शब्द संस्कृत से ही आए हैं
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संस्कृत पढ़ने से पूरे भाषाई और सांस्कृतिक इकोसिस्टम को मजबूती मिलेगी
उन्होंने यह भी बताया कि LUMS पहले से कई क्षेत्रीय भाषाएं पढ़ाता है, और संस्कृत जुड़ने से यह अध्ययन और समृद्ध होगा।
LUMS में रखी गई प्राचीन पांडुलिपियां भी खुलेंगी
जानकारी के अनुसार, LUMS की लाइब्रेरी में संस्कृत की बहुत पुरानी पांडुलिपियां मौजूद हैं: इन्हें 1930 में विद्वान J.C.R. Woolner ने ताड़पत्रों पर संग्रह किया था। 1947 के बाद इन पर कोई शोध नहीं हुआ। अब विश्वविद्यालय इन्हें संरक्षित कर रिसर्च के लिए उपलब्ध कराने की योजना बना रहा है।