Edited By rajesh kumar,Updated: 09 Apr, 2022 05:24 PM
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शनिवार को दोहराया कि केंद्र की रेलवे का निजीकरण करने की कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि यात्रियों की आकांक्षाओं को पूरा करने खासकर सुरक्षा और सुविधा के लिहाज से रेलवे को नवीनतम तकनीक को अपनाने की जरूरत है।
नेशनल डेस्क: रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शनिवार को दोहराया कि केंद्र की रेलवे का निजीकरण करने की कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि यात्रियों की आकांक्षाओं को पूरा करने खासकर सुरक्षा और सुविधा के लिहाज से रेलवे को नवीनतम तकनीक को अपनाने की जरूरत है। ‘रेल मंडपम' पेरम्बूर में भारतीय रेलवे मजदूर संघ (बीआरएमएस) के 20वें अखिल भारतीय सम्मेलन का डिजिटल तरीके से उद्घाटन करते हुए वैष्णव ने कहा कि तकनीक वंदे भारत एक्सप्रेस में इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) के योगदान की तरह स्वदेशी होनी चाहिए और इस क्षेत्र को आगे ले जाना चाहिए।
वंदे भारत एक्सप्रेस को केंद्र की ‘मेक इन इंडिया' पहल के तहत पेरम्बूर में आईसीएफ द्वारा डिजाइन और निर्मित किया गया है। रेल मंत्री ने कहा, ‘‘विपक्षी दल बार-बार रेलवे का निजीकरण करने का आरोप लगाते हैं। मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि रेलवे एक बड़ा जटिल संगठन है...रेलवे के निजीकरण की कोई नीति नहीं है। ऐसी कोई योजना नहीं है।'' उन्होंने कहा, ‘‘(प्रशासक के) मन में जो सबसे ऊपर है वह यह है कि रेलवे के लिए जो बेहतर है उसे करने का प्रयास करें और इसे आगे बढ़ाएं।''
रेल मंत्री ने जोड़ा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही कह चुके हैं कि केंद्र सरकार का रेलवे का निजीकरण करने का कोई इरादा नहीं है। भर्ती के मोर्चे पर बहुत कम काम करने के लिए पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार की आलोचना करते हुए मंत्री ने कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने रेलवे में 3.5 लाख पदों को भरा और 1.40 लाख पदों पर भर्ती के लिए कदम उठाए। उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह सुनिश्चित करने के लिए 15 दिनों में एक बार भर्ती प्रक्रिया की समीक्षा कर रहा हूं कि कहीं भी इसमें अड़चन ना आए।''