120 करोड़ का बैंक फ्रॉड! जब आम आदमी बना 'सरकारी अफसर' और रच डाली बड़ी साजिश

Edited By Updated: 13 Aug, 2025 11:31 AM

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बैंक धोखाधड़ी के एक बेहद संगीन मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने मंगलवार को तमिलनाडु के कई शहरों में एक साथ छापेमारी की। यह छापेमारी 120.84 करोड़ रुपये के घोटाले से जुड़ी है, जिसे मद्रास हाई कोर्ट के आदेश के बाद CBI की बेंगलुरु शाखा ने अपने...

नई दिल्ली: बैंक धोखाधड़ी के एक बेहद संगीन मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने मंगलवार को तमिलनाडु के कई शहरों में एक साथ छापेमारी की। यह छापेमारी 120.84 करोड़ रुपये के घोटाले से जुड़ी है, जिसे मद्रास हाई कोर्ट के आदेश के बाद CBI की बेंगलुरु शाखा ने अपने रडार पर लिया था।

किसने की शिकायत?
इस मामले की शुरुआत भारतीय ओवरसीज बैंक, चेन्नई द्वारा की गई शिकायत से हुई, जिसमें आरोप लगाया गया कि कांचीपुरम स्थित एक कंपनी और उससे जुड़ी संस्थाओं ने कुछ अज्ञात सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से मिलकर फर्जीवाड़ा किया। आरोपियों ने बैंक से धोखे से क्रेडिट सुविधाएं हासिल कीं और फिर उन पैसों का दुरुपयोग किया।

कौन है आरोपी?
FIR में मुख्य आरोपी मेसर्स पद्मादेवी शुगर्स लिमिटेड को बनाया गया है, जो कांचीपुरम में स्थित है। इसके अलावा दो अन्य कंपनियां, जिनका लेन-देन संदिग्ध पाया गया, और जिन्हें जांच में शामिल किया गया, वे हैं:

मेसर्स अप्पू होटल्स लिमिटेड
मेसर्स ओटियम वुड इंडस्ट्रीज
इन तीनों कंपनियों के बीच पैसों की हेरफेर और फंड डायवर्जन के साक्ष्य मिलने के बाद CBI ने इन पर शिकंजा कसना शुरू किया।

क्या हैं धोखाधड़ी के आरोप?
CBI की FIR में दर्ज आरोपों के अनुसार:
कंपनी ने धोखे से बैंक से कई तरह की क्रेडिट लाइनें लीं।
फिर इन पैसों को बहन कंपनियों और असंबंधित संस्थानों में घुमाया गया।
निजी कंपनियों को बिना ब्याज के एडवांस दिए गए।
नोटबंदी के दौरान बैंक खातों में संदिग्ध नकद जमा किए गए।
संदेह है कि पैसों को शेल कंपनियों और बेनामी खातों में ट्रांसफर कर असली उद्देश्य को छुपाया गया।

कहां-कहां हुई छापेमारी?
CBI ने मंगलवार को छह जगहों पर एक साथ रेड की:
तेनकासी
चेन्नई
तिरुचिरापल्ली

इन जगहों पर आरोपी कंपनियों के डायरेक्टर्स, अधिकारियों के घरों, दफ्तरों और बिजनेस ठिकानों पर तलाशी ली गई। इसके अलावा, संदिग्ध लेन-देन से जुड़ी दो प्राइवेट कंपनियों के दफ्तरों पर भी कार्रवाई की गई।

क्या मिला रेड में?
CBI को छापेमारी के दौरान:
फंड डायवर्जन से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेज
डिजिटल डेटा
बैंक ट्रांजेक्शन की जानकारी
कंपनियों की आंतरिक रिकॉर्डिंग और ईमेल्स

जैसे कई अहम सबूत हाथ लगे हैं। ये सभी सबूत इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि यह केवल एक कंपनी तक सीमित मामला नहीं है, बल्कि इसके तार व्यापक स्तर पर फैले हो सकते हैं।

आगे क्या?
CBI फिलहाल जब्त दस्तावेजों और डेटा की गहन जांच कर रही है। इस मामले में कई और नाम सामने आने की संभावना है। बैंक, कानून एजेंसियां और फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स भी इस जांच में शामिल किए गए हैं ताकि किसी भी कोण से जांच अधूरी न रहे।

बैंक का क्या कहना है?
भारतीय ओवरसीज बैंक ने शिकायत में बताया कि आरोपी कंपनी ने जानबूझकर ऐसे कदम उठाए जिससे बैंक को गंभीर आर्थिक नुकसान हुआ। साथ ही यह भी संदेह जताया गया है कि कुछ सरकारी अधिकारियों की भूमिका भी इस साजिश में हो सकती है।
 

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