Edited By Mehak,Updated: 17 Dec, 2025 06:37 PM

मारवाड़ जंक्शन क्षेत्र को औद्योगिक हब के रूप में विकसित किया जा रहा है। केंद्र सरकार की पहल से जोधपुर-पाली-मारवाड़ औद्योगिक क्षेत्र 1578 एकड़ में बसाया जाएगा, जिस पर 922 करोड़ रुपये खर्च होंगे। वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर से जुड़ाव के कारण यहां...
नेशनल डेस्क : मारवाड़ जंक्शन क्षेत्र आने वाले समय में उद्योग और कारोबार का नया केंद्र बनने जा रहा है। केंद्र सरकार के वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (WDFC) का हिस्सा होने के कारण यह इलाका रणनीतिक रूप से बेहद अहम हो गया है। इसी के तहत जोधपुर-पाली-मारवाड़ औद्योगिक क्षेत्र को विकसित किया जा रहा है, जो पश्चिम भारत में औद्योगिक गतिविधियों को नई रफ्तार दे सकता है।
यह परियोजना नेशनल इंडस्ट्रियल कॉरिडोर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (NICDC) द्वारा विकसित की जा रही है। इसकी अनुमानित लागत करीब 922 करोड़ रुपये है और यह लगभग 1578 एकड़ क्षेत्र में फैली होगी। यह औद्योगिक क्षेत्र जोधपुर से करीब 30 किलोमीटर और मारवाड़ जंक्शन से 60 किलोमीटर दूर स्थित है, जिससे परिवहन और लॉजिस्टिक्स के लिहाज से यह जगह बेहद सुविधाजनक मानी जा रही है।
जोधपुर-पाली-देसूरी क्षेत्र पहले से ही हैंडीक्राफ्ट, कपड़ा, मार्बल और ग्रेनाइट उद्योगों के लिए जाना जाता है। नए औद्योगिक क्षेत्र के बनने से स्थानीय कारीगरों और उद्योगों को अपने उत्पादों को देश-विदेश के बाजार तक पहुंचाने में आसानी होगी। परियोजना में उद्योगों के साथ-साथ हरियाली, सड़क व्यवस्था, पर्यावरण संतुलन, पार्क, खुले स्थान और आधुनिक लॉजिस्टिक सुविधाओं पर भी खास ध्यान दिया गया है।
इस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर से क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की उम्मीद है। दिल्ली-मुंबई फ्रेट रूट से जुड़ाव होने के कारण व्यापार आसान होगा और गांव-कस्बों तक रोजगार के अवसर पहुंचेंगे। मारवाड़ जंक्शन अब सिर्फ रेलवे स्टेशन नहीं, बल्कि एक उभरता हुआ औद्योगिक द्वार बनता नजर आ रहा है।
सरकार का लक्ष्य इस क्षेत्र में करीब 7500 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित करना है। इससे लगभग 40 हजार लोगों को सीधे रोजगार मिलने की संभावना है, जबकि अप्रत्यक्ष रूप से इससे भी ज्यादा लोगों को काम मिलेगा। फ्रेट कॉरिडोर के पास होने से कच्चा माल लाना और तैयार माल भेजना कम लागत में और कम समय में संभव होगा।
इस परियोजना में टेक्सटाइल, एग्रो व फूड प्रोसेसिंग, बिल्डिंग मटेरियल, हैंडीक्राफ्ट, इंजीनियरिंग और ऑटो सेक्टर जैसे उद्योगों पर विशेष फोकस रहेगा। स्थानीय निवेशकों और निर्यातकों का मानना है कि इस प्रोजेक्ट से लॉजिस्टिक समस्याएं कम होंगी, निर्यात बढ़ेगा और मारवाड़ की अलग पहचान को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूती मिलेगी। कुल मिलाकर, यह औद्योगिक क्षेत्र मारवाड़ के युवाओं के लिए रोजगार का बड़ा अवसर और क्षेत्र की अर्थव्यवस्था के लिए नई ऊर्जा साबित हो सकता है।