‘चंद्रयान-2' और ‘ब्लैक होल' संबंधी घटनाओं पर रही दुनिया की नजर

Edited By Anil dev,Updated: 27 Dec, 2019 06:08 PM

chandrayaan 2 quantum computer black hole apollo

‘ब्लैक होल'' की छवि आने और क्वांटम कंप्यूटर के विकास से विज्ञान ने अपना पुराना दायरा तोड़ने और नई सीमाएं गढ़ने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया जो आने वाले वर्षों में तकनीक को नया आयाम दे सकती हैं। इस क्रम में भारत का चंद्रयान अभियान भी एक अहम कदम है...

नई दिल्लीः ‘ब्लैक होल' की छवि आने और क्वांटम कंप्यूटर के विकास से विज्ञान ने अपना पुराना दायरा तोड़ने और नई सीमाएं गढ़ने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया जो आने वाले वर्षों में तकनीक को नया आयाम दे सकती हैं। इस क्रम में भारत का चंद्रयान अभियान भी एक अहम कदम है जिसने अंतरिक्ष विज्ञान और तकनीक पर देश के वैज्ञानिकों की पकड़ दुनिया के सामने उजागर की। वर्ष 2019 में एक ब्लैक होल की छवि भी सामने आई जिसे लेकर दुनियाभर के खगोल विज्ञानी और खगोल विज्ञान प्रेमी रोमांचित रहे। अप्रैल में ‘इंटरनेशनल ईवेंट हराइजन टेलिस्कोप कलैबरेशन' ने इस ब्लैक होल की पहली ‘तस्वीर' ली। पृथ्वी से पांच करोड़ 40 लाख प्रकाश वर्ष दूर ‘मेसियर 87' नाम की आकाशगंगा में स्थित इस विशालकाय ब्लैक होल को ‘साइंस' पत्रिका ने विज्ञान की दुनिया में 2019 की एक बड़ी उपलब्धि बताया। इस साल अक्टूबर में गूगल ने कंप्यूटर विज्ञान में एक ऊंची छलांग लगाई। 
 

‘साइकैमोर' नाम के अपने अत्याधुनिक क्वांटम कंप्यूटर का इस्तेमाल करते हुए गूगल ने आम मशीनों के लिए असंभव मानी जाने वाली एक समस्या का समाधान कर दुनिया के सर्वाधिक शक्तिशाली सुपर कंप्यूटरों पर ‘क्वांटम सुप्रीमेसी' का दावा किया। विशेषज्ञों के अनुसार क्वांटम कंपयूटर ने जटिल गणना को महज 200 सेकंड में पूरा कर दिया जिसे पूरा करने में सर्वाधिक शक्तिशाली सुपर कंप्यूटर लगभग 10 हजार साल लगा सकते हैं। ‘अनगिनत सपनों' के साथ इस साल 22 जुलाई को चांद के लिए रवाना हुआ ‘चंद्रयान-2' वर्ष 2019 में विज्ञान जगत की एक बड़ी घटना रहा। भारत ने इस दूसरे चंद्र मिशन के तहत सात सितंबर को चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में ‘सॉफ्ट लैंडिंग' का प्रयास किया, लेकिन लैंडर ‘विक्रम' का चांद की सतह से कुछ ऊंचाई पर जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया। ‘सॉफ्ट लैंडिंग' में सफलता न मिलने से देश के वैज्ञानिकों, युवाओं, बच्चों, बुजुर्गों सभी लोगों को दुख हुआ और उनके मन में एक प्रश्न कौंधने लगा कि ‘विक्रम' कहां होगा और उसके साथ क्या हुआ होगा। बाद में इसरो और नासा ने चांद की सतह पर पड़े ‘विक्रम' के बारे में पता लगाया और कहा कि ‘इसकी हार्ड लैंडिंग' हुई थी। 


इस साल इसरो ने एक और महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए कहा कि वह निकट भविष्य में सूर्य की कक्षा में यान भेजने की तैयारी कर रहा है। इसके अलावा इस साल ‘अपोलो' चंद्र मिशन की 50वीं वर्षगांठ मनाई गई। इस साल जनवरी में चीन का एक यान चंद्रमा के सुदूर छोर पर उतरने वाला पहला अंतरिक्ष यान बन गया। इसका रोवर ‘युतु-2' चांद की सतह पर घूमकर पृथ्वी के इस प्राकृतिक उपग्रह के बारे में लगातार जानकारी भेज रहा है। नासा के मंगल मिशन ने इस साल कई परिणाम दिए। नासा ने अप्रैल में घोषणा की कि इसके रोबोटिक ‘मार्स इनसाइट' लैंडर ने मंगल पर पहली बार भूकंप रिकॉर्ड किया है।    इस वर्ष जीवविज्ञान प्रयोगशालाओं में भी कई महत्वपूर्ण घटनाक्रम हुए। अमेरिकी अनुसंधानकर्ताओं ने 32 सूअरों के मृत मस्तिष्क में कोशिकीय प्रणाली को बहाल कर दिया। इनके अलावा और भी कई वैज्ञानिक घटनाएं इस साल विज्ञान जगत में छाई रहीं। 

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